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चार साल से पुलिस SC commission को देती रही मनगढ़ंत Report, डीजीपी से मांंगी Action Taken Report

पुलिस अफसर अनुसूचित जाति आयोग (Scheduled caste commission) को करीब चार साल तक गलत और मनगढ़ंत रिपोर्ट देते रहे हैं। यह खुलासा आयोग की जांच में हुआ हैैै।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 29 Oct 2019 11:19 AM (IST)Updated: Tue, 29 Oct 2019 06:00 PM (IST)
चार साल से पुलिस SC commission को देती रही मनगढ़ंत Report, डीजीपी से मांंगी Action Taken Report
चार साल से पुलिस SC commission को देती रही मनगढ़ंत Report, डीजीपी से मांंगी Action Taken Report

चंडीगढ़ [जय सिंह छिब्बर]। पंजाब पुलिस का आम लोगों के प्रति कैसा व्यवहार है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। हैरान करने वाली बात यह है कि पुलिस अफसर अनुसूचित जाति आयोग (Scheduled caste commission) को भी करीब चार साल तक गलत और मनगढ़ंत रिपोर्ट देते रहे हैं। यह खुलासा आयोग की जांच में हुआ हैैै

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वर्ष 2015 में कश्मीर चंद निवासी बहादरके (लुधियाना) ने पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग के पास शिकायत की थी कि गौशाला की दीवार में कुछ लोगों की तरफ से अवैध कब्जा किया जा रहा था। गांव के एससी वर्ग से संबंधित लोगों ने डिप्टी कमिश्नर और पुलिस को शिकायत की और मौके पर पहुंचे अफसरों ने कब्जा रुकवा दिया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि तरुण कुमार नामक व्यक्ति ने प्रशासनिक अधिकारियों की हाजिरी में उसको जातिसूचक शब्द कहकर अपमानित किया। संबंधित व्यक्ति ने बकायदा फोन पर जिले के एक उच्च अधिकारी को भी गालियां निकालीं। इसका ऑडियो भी वायरल हुआ। 

शिकायतकर्ता ने सीडी भी पेश की, लेकिन पुलिस ने दोषी के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं किया, उल्टा एससी वर्ग के लोगों पर 6 मई, 2015 को मामला दर्ज कर लिया। शिकायतकर्ता ने पुलिस को तरुण कुमार नामक व्यक्ति के खिलाफ जाति सूचक शब्द कहने की शिकायत की, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

जब मामला अनुसूचित जाति आयोग के पास पहुंचा तो लुधियाना पुलिस कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी गई। उन्होंने 21 दिसंबर, 2015 को बताया कि एसीपी उत्तरी और इंस्पेक्टर मनिंदर बेदी मौके पर गए थे। उन्होंने रिपोर्ट में लिखा कि सीडी की रिकॉर्डिंग के अनुसार कोई जातिसूचक शब्द इस्तेमाल नहीं किया गया। सिर्फ गाली-गलौज ही हुआ है और इस संबंध में रिपोर्ट 6 जुलाई 2015 को दर्ज रजिस्टर की जा चुकी है। इसके बाद डायरेक्टर ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन से जांच करवाई गई। ब्यूरो ने भी 27 अक्टूबर 2016 को आरोपों में कोई सच्चाई न होने की बात कह दरखास्त दफ्तर में दाखिल करने की सिफारिश की थी।

आयोग ने फिर डायरेक्टर ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन से ताजा रिपोर्ट मांगी और डायरेक्टर ब्यूरो ने जांच अधिकारी को लिखा कि संबंधित व्यक्ति ने प्रशासन के खिलाफ भद्दी व अश्लील भाषा का इस्तेमाल किया है। आयोग ने 12 सितंबर को पुलिस से एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी। डीजीपी ने एक्शन लेने के बजाय डायरेक्टर ब्यूरो के पत्र के साथ नत्थी रिपोर्ट के हवाले से बताया कि डीए लीगल लुधियाना ने एआइजी क्राइम की रिपोर्ट में बताया है कि कथित दोषी ने भद्दी शब्दावली का प्रयोग किया है और शिकायतकर्ता अदालत में मानहानि का केस दर्ज कर सकता है।

आयोग ने दी अपनी रिपोर्ट

आखिर पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग की चेयरपर्सन तजिंदर कौर ने मामलों की जांच आयोग के मेंबर ज्ञान चंद को सौंपी। ज्ञान चंद ने 9 गांवों के सरपंचों के बयान, शिकायतकर्ता की तरफ से दिए हल्फिया बयान, पुलिस की अलग-अलग जांच रिपोर्टों के आधार पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि कथित दोषी ने शिकायतकर्ता को भद्दी भाषा इस्तेमाल कर गालियां निकाली हैं। यह गालियां लोगों की हाजिरी में निकाली गई हैं। पुलिस जानबूझ कर दोषी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करना चाहती।

ज्ञान चंद ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि पुलिस शिकायतकर्ता को अदालत में जाने की सलाह दे रही है। यह ठीक नहीं है। पुलिस की 7 जुलाई, 2015 को दर्ज की गई रिपोर्ट भी जायज नहीं है, उसके बजाय पुलिस को एट्रॉसिटी एक्ट 1989 के अंतर्गत केस दर्ज करना चाहिए। आयोग ने डीजीपी पंजाब को दोषी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करके पांच दिसंबर तक एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है।

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