सावन पर करवाई ऑनलाइन काव्य गोष्ठी, कवि-कवयित्रियों ने बांधा समा Chandigarh News
गोष्ठी की शुरुआत संतोष गर्ग ने अपनी कविता नन्ही नन्ही बूंदों की ठंडी फुहार है से की। कार्यक्रम की अध्यक्षता विनोद खन्ना ने और मंच संचालन डॉ. छाया त्यागी ने किया।
चंडीगढ़, [शंकर सिंह]। रीडर्स एंड राइटर सोसाइटी ऑफ इंडिया चंडीगढ़ के तत्वाधान में सावन मास की पावन ऋतु पर एक काव्य गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन संस्था के संस्थापक डॉ. आईडी सिंह द्वारा किया गया। भारत के विभिन्न प्रांतों के कवि-कवयित्रियों ने काव्य पाठ कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
गोष्ठी की शुरुआत संतोष गर्ग ने अपनी कविता 'नन्ही नन्ही बूंदों की ठंडी फुहार है' से की। इसके बाद 'आंधी आए या चले कोई भी तूफान' उषा पांडे ने, 'कोरोना आयुर्वेद की सलाह' डॉ. अनुराग विजयवर्गीय ने, 'बूंदों ने देखो दस्तक दी' संगीता शर्मा कूंद्रा ने सुनाई। इसके अलावा बारिश के 'मजे मेंढक और पपीहा ले रहे हैं' शैलजा ने सुनाई, 'दिल के अंदर और लावा हम पचा सकते नहीं', 'जिंदगी तकरार में हम यूं बिता सकते नहीं' मशहूर शायर अशोक भंडारी नादिर ने पढ़ी।
वहीं 'मन को साहस लाए आशा चाहतों की मंजिल है' सुगंधा ने, 'मैने दिल की मिट्टी में आज बीज बोया' सरिता मलिक ने, 'कलियों ने मुख ढांपे पतियों की चुनर से, सजना पहनाओ जी हरी वैसी चूनरी' छाया त्यागी ने सूनाई। 'शहर में मेरे बचपन के निशां नहीं मिलते' रचना विनोद खन्ना ने सुनाई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विनोद खन्ना ने की। वहीं मंच संचालन डॉ. छाया त्यागी ने बखूबी किया। इस अवसर पर वीके बकुल, डॉ. रितिका ठाकुर, सुधीर बवेजा एवं विशवास श्रोता के रूप मे मौजूद रहे।
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