पुराने पौधों की नहीं हुई देखभाल.. मैडम न पूछ ले, इसलिए नए लगा दिए
मेयर के पूछने से पहले सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर किशनपाल ने खुद ही कह दिया कि जो पिछले साल पौधे लगाए थे वे सड़ गए।
चंडीगढ़, [राजेश ढल्ल]। नगर निगम की ओर से मानसून के दस्तक देने के साथ ही हर साल की तरह पौधारोपण अभियान शुरू कर दिया गया है। जिसके चलते मेयर राजबाला मलिक और कमिश्नर केके यादव ने पिछले शुक्रवार को सेक्टर-15 के कम्युनिटी सेंटर में पौधे लगाए। लेकिन इस कम्युनिटी सेंटर के पिछली तरफ पार्क में पिछले साल जो पौधे लगाए गए थे, वे देखभाल न होने के कारण मर गए। जब मेयर यहां पर पौधरोपण करने के लिए आई तो अधिकारियों को लगा कि कहीं पिछले साल लगे पौधों के बारे में न पूछ ले। इसलिए बागवानी विभाग के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर किशनपाल ने मेयर को खुद ही कह दिया कि मैडम जो पिछले साल आपने पार्षद के तौर पर पौधे लगाए थे, वे सड़ गए। इसलिए उनकी जगह नए पौधे लगा दिए गए हैं। ऐसे में वहां पर मौजूद एक सिटीजन ने दूसरे से गपशप करते हुए कहा कि ऐसे अभियान का क्या फायदा।
कमिश्नर की उम्मीदें टूटी
नगर निगम कमिश्नर केके यादव को उम्मीद थी कि कोरेाना से लड़ने के लिए एक-एक हजार पीपीई किट कांग्रेस और भाजपा से डोनेशन में आ जाएगी। लेकिन उम्मीद उस समय टूट गई, जब वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बैठक में कांग्रेस पार्षद दल के नेता देवेंद्र सिंह बबला मुकर गए कि इस संबंध में जून में हुई सदन की बैठक में कोई बात ही नहीं हुई। जबकि कमिश्नर ने बबला को कहा कि उस बैठक कांग्रेस पार्टी और भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद ने हामी भरी थी, उसकी रिकॉर्डिग भी उन्हें भेज दी जाएगी। अरुण सूद ने भी कहा कि सिर्फ सेनिटाइजर की बोतलें देने की बात की थी। असल में एक हजार पीपीई किट खरीदने का खर्चा सात से आठ लाख रुपये आता है, ऐसे में इस समय कोई भी दल तैयार नहीं है। ऐसे में अब कमिश्नर समझ गए हैं कि उन्हें टेंडर लगाकर ही पीपीई किट खरीदनी होंगी।
कभी थे गुरु, अब राजनीतिक दुश्मन
29 जून को हुई सदन की बैठक में भाजपा पार्षद गुरप्रीत ढिल्लों की कांग्रेस पार्षद सतीश कैंथ के साथ जमकर बहस हो रही थी तो भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद बार-बार बोलने की मेयर से मंजूरी मांग रहे थे। ढिल्लों ने कैंथ पर व्यंग्य किया कि सूद साहब, तुम्हारे भी गुरु रहे हैं। उन्हें भी बोलने दें। कैंथ ने जवाब दिया कि मेरे नहीं, तेरे गुरु होंगे। सूद को मौका मिला तो उन्होंने कैंथ को कहा कि साहब, मैं आपका नहीं, आप मेरे जरूर गुरु रहे हैं। मुझे आपसे काफी कुछ सीखने को मिला है। असल में डेढ़ साल पहले तक कैंथ भाजपा में शामिल थे। उस समय कैंथ और पूर्व मेयर अरुण सूद के बीच काफी अच्छी ट्यूनिंग थी। कैंथ सूद की हर बात में हां मिलाते थे। कई नेता तो कैंथ को सूद का चेला भी कह देते थे। लेकिन कांग्रेस में शामिल होने के बाद स्थिति अलग है।
हर नेता बजा रहा है अपनी डफली
कोरोना काल में कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। ऐसे में कांग्रेस का हर नेता अपनी अलग-अलग डफली बजा रहा है। वे एकजुट होकर कार्यक्रम करने के बजाय अपने अपने अलग-अलग राजनीतिक कार्यक्रम करके सक्रियता बढ़ा रहे हैं। जिससे कांग्रेस के आला नेता परेशान भी हैं। पिछले सप्ताह पेट्रोल-डीजल के बढ़ रहे रेट के विरोध में कांग्रेस के नेताओं ने अपने अलग-अलग प्रदर्शन किए थे। एक दिन तो अलग-अलग विंग के नेताओं ने पांच अलग-अलग कार्यक्रमों के प्रेस नोट जारी कर दिए। चंद नेता तो अपने कार्यक्रमों की सूचना भी बड़े नेताओं से छुपाते हैं कि कहीं उनका आइडिया कोई दूसरा न हैक कर ले। मीडिया से भी अपनी सूचनाएं शेयर करने से कतरा रहे हैं। कार्यक्रम करने के बाद प्रेस नोट शेयर कर दिया जाता है। जबकि कांग्रेस में इस समय कई सीनियर नेता अपने बच्चों को भी आगे बढ़ाने की राजनीति कर रहे हैं।