PGI के पल्मानोरी मेडिसन के पूर्व प्रोफेसर डाॅ. एसके बोले- अस्थमा को नियंत्रित कर मरीज जी सकते हैं सामान्य जीवन
पीजीआइ के पल्मानोरी मेडिसन के पूर्व प्रोफेसर तथा हैड डाॅ. एसके जिंदल ने बताया कि अस्थमा के कारण फेफड़ों के वायुमार्ग में सूजन आ जाती है। इसके कारण वायु मार्ग संकरे हो जाते हैं। फेफड़े भी कई तरह की एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाते हैं।
चंडीगढ़ [वैभव शर्मा]। कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आने के साथ ही लोगों को फेफड़ों के स्वास्थ्य से जुड़ी गलत जानकारियों से भी जूझना पड़ रहा है। खासतौर पर अस्थमा के बारे में यह बात सच भी है। पीजीआइ के पल्मानोरी मेडिसन के पूर्व प्रोफेसर तथा हैड डाॅ. एसके जिंदल ने बताया कि अस्थमा के कारण फेफड़ों के वायुमार्ग में सूजन आ जाती है। इसके कारण वायु मार्ग संकरे हो जाते हैं। फेफड़े भी कई तरह की एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाते हैं, जो कि अस्थमा अटैक का कारण बनते हैं। धूल, ठंड, पराग, पालतू पशुओं के रोम, वायु में मौजूद वायरस के अलावा भावनात्मक बेचैनी भी अस्थमा अटैक का कारण बन सकती है।इस तरह के अटैक को सांस लेने की थेरेपी के जरिए रोका जा सकता है।
लंबे इलाज की जरूरत, लेकिन गलत धारणाओं से बचे
डॉ. जिंदल ने कहा कि अस्थमा बीमारी में लंबे समय तक इलाज की जरूरत होती है। मगर इसमें भी गलत धारणा यह है कि इसकी लत लग जाती है, जो कि बिल्कुल गलत है। हमें जरूरत है इस बात की कि अस्थमा से जुड़ी सही जानकारी लोगों के पास होनी जरूरी है। गलत धारणाओं में आकर लोग अपना नुकसान कर रहे हैं।
अस्थमा पर नियंत्रण संभव
उन्होंने कहा कि अस्थमा को ठीक नहीं किया जा सकता है। लेकिन इस पर नियंत्रण जरूर किया जा सकता है। व्यक्ति इस पर नियंत्रण करके एक सामान्य जीवन भी जी सकते हैं। सांस की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति स्टीम ले सकते है। अगर कोई अस्थमा का मरीज स्टीम ले रहा है और उसे बाद में खांसी या फिर सांस फूलने जैसी समस्याएं आए तो उसे फिर स्टीम नहीं लेनी चाहिए लेकिन अस्थमा के मरीज स्टीम का प्रयोग कर सकते हैं।
इनहालेशन थेरेपी अस्थमा के लिए सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित
जीआइएनए गाइडलाइन के मुताबिक, अस्थमा को नियंत्रित करने के लिए इनहालेशन थेरेपी को सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित बताया गया है, क्योंकि यह सीधे आपके फेफड़ों तक पहुंचती है और तुरंत काम करना शुरू करती है। बार-बार दवाएं बदलने या फिर इन्हैलर्स का गलत ढंग से इस्तेमाल से मरीज अपना इलाज ठीक ढंग से जारी नहीं रख पाते हैं।अस्थमा को नियंत्रित करने के तरीकों और इन्हैलर्स के इस्तेमाल को लेकर बातचीत करना चाहिए।
उम्र के साथ बढ़ सकते है अस्थमा के लक्षण
अस्थमा के लक्षण उम्र के साथ बढ़ सकते हैं। अस्थमा का कोई स्थाई इलाज नहीं है।इसके लक्षण कभी भी वापस लौट सकते हैं।धैर्य की कमी से हालात बदतर हो सकते हैं। वातावरण में मौजूद प्रदूषण भी अस्थमा का कारण हो सकता है। डाॅ. जिंदल ने बताया कि इन्हैलर्स की लत नहीं लगती है।
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