PGI चंडीगढ़ की रिपोर्ट: Black Fungus के 50 फीसद मरीज ऐसे जिन्हें कभी नहीं हुआ कोरोना संक्रमण
पीजीआइ चंडीगढ़ की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक अब तक ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस के जितने भी मामले सामने आए हैं। उसमें ब्लैक फंगस के 50 फीसद मरीज ऐसे हैं जो कभी कोरोना संक्रमण की चपेट में आए ही नहीं।
चंडीगढ़, [विशाल पाठक]। पीजीआइ चंडीगढ़ (PGI Chandigarh) की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक अब तक ब्लैक फंगस (Black Fungus) यानी म्यूकरमाइकोसिस के जितने भी मामले सामने आए हैं। उसमें ब्लैक फंगस के 50 फीसद मरीज ऐसे हैं जो कभी कोरोना संक्रमण (Corona Virus) की चपेट में आए ही नहीं। इसके बावजूद यह लोग ब्लैक फंगस की बीमारी से ग्रस्त हुए हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि ब्लैक फंगस बीमारी एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं फैलती। लेकिन यह बीमारी हवा के माध्यम से जरूर फैलती है। पीजीआइ में ब्लैक फंगस के इस समय 189 मरीज एडमिट हैं। इसमें 122 पुरुष और 67 महिलाएं ब्लैक फंगस बीमारी से ग्रस्त हैं।
पीजीआइ की मानें तो इन 189 ब्लैक फंगस मरीजों में से 50 फीसद मरीज ऐसे हैं जो कि पहले कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इन 50 फीसद मरीजों को ब्लैक फंगस की बीमारी अधिक स्टेरॉयड के इस्तेमाल और इनमें से ज्यादातर मरीज डायबिटीज के भी शिकार होने की वजह से ब्लैक फंगस से ग्रस्त पाए गए। ब्लैक फंगस बीमारी से अब तक पीजीआइ में 17 लोगों की मौत हो चुकी है।
पीजीआइ में भर्ती 136 मरीज डायबिटीज से ग्रस्त
पीजीआइ चंडीगढ़ के मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी विभाग के हेड प्रोफेसर अरुणालोक चक्रवर्ती ने बताया कि पीजीआइ में इस समय जो ब्लैक फंगस के मरीज एडमिट हैं, उनमें से 136 मरीज ऐसे हैं जिन्हें डायबिटीज है। जबकि 115 मरीज ऐसे हैं जो कि पहले कोविड पॉजिटिव आ चुके हैं। प्रोफेसर चक्रवर्ती ने बताया कि लोगों में ब्लैक फंगस का खतरा इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि कोरोना संक्रमित होने पर उन्हें स्टेरॉयड की लिमिट से ज्यादा दिया जा रहा है। लोग डॉक्टर की सलाह लेने के बाद स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं।
पीजीआइ में रोजाना आ रहे 70 से 80 सैंपल
प्रोफेसर चक्रवर्ती ने बताया कि पीजीआइ की लैब में रोजाना 70 से 80 लोगों के सैंपल ब्लैक फंगस की बीमारी के जांच के लिए आ रहे हैं। शहर में एकमात्र हाइटेक लैब होने के कारण अन्य राज्यों से भी अब सैंपल जांच के लिए यहां आने लगे हैं।