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पीजीआइ चंडीगढ़ के प्रोफेसर अमन शर्मा को सीएमई द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिला, जानें इनकी उपलब्धियां

पीजीआइ चंडीगढ़ (PGI Chandigarh) के रूमेटोलाॅजिस्ट विभाग के प्रोफेसर डॉ. अमन शर्मा को सीएमई द्रोणार्चा अवॉर्ड (CME Dronacharya Award) से सम्मानित किया गया है।डॉ. अमन शर्मा लगभग दो दशकों से रुमेटोलॉजी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं और उन्होंने विभिन्न प्रशंसा और पुरस्कार जीते हैं।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sat, 28 Aug 2021 09:38 AM (IST)Updated: Sat, 28 Aug 2021 09:38 AM (IST)
पीजीआइ चंडीगढ़ के प्रोफेसर अमन शर्मा को सीएमई द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिला, जानें इनकी उपलब्धियां
पीजीआइ चंडीगढ़ के प्रोफेसर अमन शर्मा। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पीजीआइ चंडीगढ़ (PGI Chandigarh) के रूमेटोलाॅजिस्ट विभाग के प्रोफेसर डॉ. अमन शर्मा को सीएमई द्रोणार्चा अवॉर्ड (CME Dronacharya Award) से सम्मानित किया गया है। यह अवॉर्ड उन्हें रुमेटोलॉजी के क्षेत्र में चिकित्सा शिक्षा को जारी रखने की दिशा में उनके योगदान के लिए दिया गया है। डॉ. अमन को यह पुरस्कार केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रामदास अठावले द्वारा दिया गया।

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सीएमई उत्कृष्टता पुरस्कार की शुरुआत आईएचडब्ल्यू काउंसिल द्वारा सीएमई के माध्यम से विशेषज्ञता के क्षेत्र में स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करने में डॉक्टरों के योगदान और उत्कृष्ट कार्य को मान्यता देने के लिए की गई थी। ये पुरस्कार सीएमई उत्कृष्टता आंदोलन का हिस्सा हैं, जिसे परिषद भारत में एक सक्षम और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा कार्यबल बनाने के लिए नेतृत्व कर रही है। इंटीग्रेटेड हेल्थ एंड वेलबीइंग काउंसिल एक गैर-लाभकारी संस्था है जो मानव उद्यम और अस्तित्व के स्वास्थ्य और भलाई में लगी हुई है।

डॉ. अमन शर्मा लगभग दो दशकों से रुमेटोलॉजी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं और उन्होंने विभिन्न प्रशंसा और पुरस्कार जीते हैं। इन पुरस्कारों में इरा ओरेशन, ज़ायडस ओरेशन, सीएमसी वेल्लोर प्रख्यात मिड करियर रुमेटोलॉजिस्ट ओरेशन एक स्वर्ण पदक के साथ, रवींद्रनाथ टैगोर ओरेशन, आर सुब्रमण्यम ओरेशन, शुरवर ट्रस्ट विजिटिंग प्रोफेसरशिप और डीआरए यंग इंवेस्टिगेटर अवार्ड शामिल है। डॉ. अमन शर्मा को वर्ष 2015-18 से अमेरिकन कॉलेज ऑफ रुमेटोलॉजी की प्रतिष्ठित वार्षिक बैठक योजना समिति के सदस्य के रूप में चुना गया था।

डॉ. शर्मा ने रुमेटोलॉजी के क्षेत्र में छह पुस्तकों का संपादन किया है। उनके नाम पर 400 से अधिक सहकर्मी समीक्षा प्रकाशन और 52 पुस्तक अध्याय हैं। अनुसंधान के क्षेत्रों में प्रणालीगत वास्कुलिटिस, रीलैप्सिंग पॉलीकॉन्ड्राइटिस और सोरियाटिक गठिया शामिल हैं। उनके समूह ने बताया था कि डीएडीए2 जो पहले बच्चों को प्रभावित करने के लिए जाना जाता था, वयस्कों को भी प्रभावित करता है और इसके लिए उन्हें एनआइएच यूएसए से आयोजित तीसरे अंतर्राष्ट्रीय डीएडीए2 सम्मेलन के दौरान उद्घाटन व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया था। वह विभिन्न वास्कुलिटिस विकारों के एसीआर वर्गीकरण मानदंड के विशेषज्ञ समीक्षक रहे हैं।


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