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PGI चंडीगढ़ डायरेक्टर प्रो. जगतराम के कार्यकाल का आखिरी दिन, 42 साल में की 90 हजार सफल सर्जरी, मिले 38 नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड

बता दें कि जगतराम के बाद प्रोफेसर सुरजीत सिंह पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड रिसर्च पीजीआइ चंडीगढ़ के कार्यवाहक डायरेक्टर होंगे। प्रो. सुरजीत सिंह अगले छह महीने या पीजीआइ को रेगुलर डायरेक्टर मिलने तक डायरेक्टर पद पर रहेंगे।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sun, 31 Oct 2021 03:30 PM (IST)Updated: Sun, 31 Oct 2021 03:30 PM (IST)
PGI चंडीगढ़ डायरेक्टर प्रो. जगतराम के कार्यकाल का आखिरी दिन, 42 साल में की 90 हजार सफल सर्जरी,  मिले 38 नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड
प्रो. जगतराम को 2019 में भारत सरकार ने पदमश्री से नवाजा था।

सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। कोरोना महामारी के दौरान पीजीआइ में डायरेक्टर रहते हुए बेहतरीन काम करने वाले प्रो. डा. जगतराम सोमवार को पीजीआइ से सेवानिवृत हो जाएंगे। आज उनका कार्यकाल का अंतिम दिन है। डा. जगतराम ने पीजीआइ चंडीगढ़ में 42 साल चार महीनों तक सेवा देते हुए 90 हजार से ज्यादा आंख रोगियों के सफल आपरेशन किए, जिसमें से 10 हजार से ज्यादा बच्चों की आंख की सर्जरी थी। मेहनत और लग्न के चलते डा. जगतराम को 38 नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड हासिल कर चुके है, जिसमें सबसे अहम 2019 में भारत सरकार से पदमश्री रहा है।

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बता दें कि प्रोफेसर सुरजीत सिंह पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एंड रिसर्च पीजीआइ चंडीगढ़ के कार्यवाहक डायरेक्टर होंगे। प्रो. सुरजीत सिंह अगले छह महीने या पीजीआइ को रेगुलर डायरेक्टर मिलने तक डायरेक्टर पद पर रहेंगे।

डा. जगत राम के अनुसार काम के साथ सबसे ज्यादा खुशी विदेश में उस समय होती जब अवार्ड लेने के लिए राष्ट्र गान बजता और उसके लिए भारत के अलावा दुनिया भर के लोग एक साथ खड़े होते। डा. जगत राम पीजीआई चंडीगढ़ का डायरेक्टर बनने के बाद डा. जगत राम ने नेहरू एक्सटेंशन का काम पूरा कराया जहां पर आज के समय में सैकड़ों मरीजों को बेहतर सुविधाएं और देखभाल मिल रही है। इसके साथ ही पीजीआई में मदर एंड चाइल्ड केयर सेंट, न्यूरो साइंस, सारंगपुर प्रोजेक्ट को पास कराना और  हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में शुरू होने वाले सैटेलाइट सेंटर का काम शुरू करवाया है।

हिमाचल सिरमौर में पैदा हुए डा. जगतराम  

डा. जगत राम का जन्म हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के राजगढ़ के पबियाना गांव में हुआ था। पिता दयानुराम गरीब और अनपढ़ किसान थे जो कि खुद के जीवन को खेतीबाड़ी तक ही सीमित रखते थे। 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई डा. जगत राम ने राजगढ़ के स्कूल से पूरी की। उसके बाद 1973 में इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज शिमला में एमबीबीएस के लिए एडमिशन लिया। 1979 को पीजीआइ में नेत्ररोग विशेषज्ञ के तौर पर सेवाएं देना शुरू कर दी।

एमडी की परीक्षा देने आए तो दोस्तों ने थी मदद

डा. जगत राम एमडी की परीक्षा देने के लिए जब पहली बार चंडीगढ़ आए थे तो उस समय उनके पास किराए से लेकर खाने और रहने के लिए पैसे नहीं थे। उन पैसों का इंतजाम दोस्तों ने मिलकर किया था। पीजीआइ पहुंचने के बाद पैसे बचाने के लिए पहली रात खैरां ब्लॉक के सामने मौजूद पेड़ के नीचे सोकर रात गुजारी थी। डा. जगत राम के अनुसार बुरा समय इंसान को हमेशा मजबूती देता है और वह इंसान को जीवन में मिलना भी जरूरी है।

पिता की डांट- काम पूरा करके लौटना, चंडीगढ़ में रहकर करेंगे मरीजों की सेवा

डा. जगत राम बताते है कि 42 साल की नौकरी के बाद भले ही पीजीआइ से सेवानिवृत हाे रहा हूं लेकिन अपने कर्म से कभी सेवानिवृत नहीं होऊंगा। मरीजों की सेवा जल्द ही चंडीगढ़ में दोबारा से शुरू की जाएगी। यह सेवा प्राइवेट या फिर सरकारी दोनों तरीकों से होगी। डा.जगत राम बताते है कि पिता ने मेरे घर से निकलने से पहले कहा था कि जीवन में जो भी करो उसे पूरा करके वापस आना। मेरा कर्म अभी पूरा नहीं हुआ है। जब तक मेरे शरीर में जान है उस समय तक पिता जी की डांट को मानते हुए मरीजों की सेवा करूंगा ताकि सभी स्वस्थ जीवन जी सके।


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