पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के दामाद बोले- किसानों को सियासी जाल में उलझा रही है पार्टियां
पंजाब के पूर्व आइएएस अफसर एसएस चन्नी ने कहा है कि कृषि कानूनों पर राजनीतिक पार्टियां किसानों को अपने स्वार्थ के कारण सियासी जाल में उलझा रही हैं। एसएस चन्नी पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के दामाद हैं।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब में कृषि कानूनों का किसान व राजनीतिक पार्टियां विरोध कर रही हैं। इसके बीच पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के दामाद व पूर्व आइएएस अधिकारी एसएस चन्नी राजनीतिक दलों पर सवाल उठा रहे हैं। चन्नी का कहना है राजनीतिक पार्टियों ने अपने स्वार्थ के लिए भोलेे-भाले किसान को अपनी राजनीति के जाल में उलझा रखा है। अगर किसानों की आय को बढ़ाना है तो नए निवेश लाने होंगे और नई टेक्नाेलॉजी से किसान को अवगत करवाना ही होगा। उनको नए तरीके से आगे बढ़ाना होगा।
पूर्व आइएएस अफसर एसएस चन्नी ने कहा- कोई भी सरकार किसान के खिलाफ कानून नहीं बना सकती
बतौर नौकरशाह पांच वर्षों तक मार्कफैड के एमडी रह चुके चन्नी कहते हैं, ‘किसानों को कहा जा रहा है कि एमएसपी पर उनकी फसलों की खरीद नहीं होगी और एफसीआइ को तोड़ दिया जाएगा। यह केवल गुमराह करने वाली बात है क्योंकि कानून में इस बात का कहीं पर भी जिक्र नहीं है।’ वह कहते है ‘देश में कोई भी राजनीतिक पार्टी किसानों के खिलाफ कानून बनाकर अपना राजनीतिक भविष्य नहीं संवार सकती है, क्योंकि देश में 65 फीसदी आबादी कृषि के साथ जुड़ी हुई है।’
वेल्यू एडीशन के लिए नई तकनीक किसानों को देनी पड़ेगी
चन्नी कहते हैं, किसान दो रुपये किलो आलू बेचता है और कंपनियां उसी आलू में वेल्यू एडीशन करके 200 रुपये में आलू के चिप्स बनाकर बेचती है। डेवलप कंट्री की बात करें तो चार या पांच एकड़ जमीन में किसान ग्रीन हाउस बना कर 25 से 30 लाख रुपये की आमदनी करता है। जबकि हमारे देश में किसान अपनी फसल की कीमत वसूलने में ही लगा हुआ है।
चन्नी कहते हैं, किसानों की आमदनी बढ़ानी है तो निवेश के राह खोलने ही पड़ेंगे। जब तक किसान नई तकनीक से वाकिफ नहीं होगा, उसकी आमदनी कैसे बढ़ेगी। चन्नी कहते है, मुद्दा बिल का नहीं है। क्योंकि कानून पहले बनता है और उनके लागू करने के नियम बाद में। अगर कोई कमी पेशी होगी तो उसमें सुधार किया जा सकता है। अंतत: बात तो टेबल पर बैठक कर ही की जा सकती है।
पूर्व आइएएस अधिकारी कहते हैं, बात हो रही है कि एमएसपी को कृषि कानून का हिस्सा क्यों नहीं बना दिया जाता। सवाल यह उठता है कि डा. मनमोहन सिंह की 10 सालों तक सरकार रही, तब कांग्रेस ने इसको लेकर कदम क्यों नहीं उठाया। एमएसपी प्रशासनिक फैसला ही रहा है।
चन्नी का कहना है, ' कांग्रेस सरकार की नीयत का पता इससे भी लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र में शिवसेना ने कृषि विधेयकों का समर्थन किया, जहां पर कांग्रेस शिवसेना की सहयोगी पार्टी है। वहां, कांग्रेस को कोई आपत्ति नहीं है। जबकि, पंजाब में कांग्रेस इसका विरोध कर रही है। एक तरफ किसान संवैधानिक रूप से अपना प्रदर्शन करने की बात कर रहे है तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह उन्हें आइएसआइ के नाम पर डरा रहे हैं। आखिर कांग्रेस राज्य या लोगों को क्या दिशा देना चाहती है। किसान कभी अपने औजार को नहीं जलाता। ट्रैक्टर जोकि किसान का बेटा होता है। कांग्रेस ट्रैक्टर को जला रही है। किसानों को भ्रम से निकल कर अपने भविष्य के लिए बिल की अच्छाइयों को समझना पड़ेगा।