St. Mary School में फीस को लेकर अभिभावकों का हंगामा, वाइस प्रिंसिपल बोली- गहने बेच भरो फीस
फीस बढ़ोतरी को लेकर चंडीगढ़ के सेक्टर 46 स्थित सेंट मारी स्कूल में अभिभवकों ने हंगामा किया। पेरेंट्स का आरोप है कि स्कूल हर साल फीस बढ़ा रहा है। जब स्कूल बंद हैं तो स्टूडेंट्स से कंप्यूटर चार्ज मेंटनेस फंड सहित विभिन्न चार्जेस क्यों मांगे जा रहे हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। कोरोना महामारी के चलते शहर के कई प्राइवेट स्कूलों ने फीस न बढ़ाने का फैसला लिया है। वहीं, कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जो हर साल के मुताबिक आठ प्रतिशत फीस बढ़ाने के नियम पर अड़े हुए हैं। ऐसे में सेंट मैरी स्कूल सेक्टर-46 में बुधवार को फीस बढ़ोतरी को लेकर अभिभावकों ने हंगामा किया। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल हर साल फीस को बढ़ा रहा है जो सही नहीं है। जब स्कूल बंद हैं तो स्टूडेंट्स से कंप्यूटर चार्ज, मेंटनेस फंड सहित विभिन्न चार्जेस क्यों मांगे जा रहे हैं।
अभिभावकों ने कहा कि स्टूडेंट्स घर से ही ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए अभिभावक घर में इंटरनेट से लेकर स्मार्ट फोन और लैपटॉप की सुविधा दे रहे हैं। ठीक उसी प्रकार से टीचर्स भी अपने घर बैठकर खुद का इंटरनेट से निजी उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो स्कूल मेंटनेस, स्पोर्ट्स और बिल्डिंग फंड किस नाम के मांग रहा है।
वाइस प्रिंसिपल बोली- फीस देनी ही होगी
स्कूल के बाहर फीस के विरोध में प्रदर्शन कर रहे अभिभावक तेजिंदर सिंह ने कहा कि फीस को कम संबंधी स्कूल में बात करने की कोशिश की गई तो वाइस प्रिंसिपल ने कहा कि फीस तो देनी होगी। यदि फीस के पैसे नहीं हैं तो अपने गहने बेच दो या फिर गिरवी रखकर फीस भर दो लेकिन फीस को भरनी होगी। वहीं, वाइस प्रिंसिपल ने अभिभावक के आरोप का खंडन करते हुए कहा मैंने किसी को ऐसा नहीं कहा। वाइस प्रिंसिपल ने कहा कि स्कूल की दूसरी ब्रांच में सीबीएसई की इंस्पेक्शन चल रही है। स्कूल प्रशासन वहां मौजूद है। फीस के संबंध में स्कूल प्रशासन ही जबाव देगा।
यह हैं नियम
राइट टू एजुकेशन पॉलिसी में फीस देने की बात कही गई है। ट्यूशन फीस, कंप्यूटर फीस, मेंटनेंस चार्ज से लेकर अन्य किसी प्रकार के चार्जेस का फीस नियम में कोई उल्लेख नहीं है। प्राइवेट स्कूलों ने अभिभावकों को आकर्षित करने के लिए फीस के अलग-अलग यूनिट बनाए हुए है। यह यूनिट सुविधाएं देने के नाम पर स्कूल चार्ज करते है। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2021 में राजस्थान के अभिभावकों के मामले पर सुनवाई करते हुए क्लियर किया था कि फीस सिंगल यूनिट है इसमें प्राइवेट स्कूलों द्वारा बनाए गए कोई यूनिट नहीं है। अभिभावकों को फीस देनी होगी।