सिंडीकेट ने छीन ली सारी शक्तियां, पीयू के वीसी पावरलेस
-न पीयू से जुड़ा कोई निर्णय ले सकेंगे और न ही प्रशासनिक कार्य में हस्तक्षेप कर सकेंगे -पक्ष्
-न पीयू से जुड़ा कोई निर्णय ले सकेंगे और न ही प्रशासनिक कार्य में हस्तक्षेप कर सकेंगे
-पक्ष में सिर्फ एक वोट पड़ी, बाकी 12 वोट प्रो. अरुण ग्रोवर के विरोध में
-प्रो. कोमल सिंह पर कार्रवाई पर चर्चा के लिए 27 मई को होगी विशेष सीनेट जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. अरुण ग्रोवर रविवार को पावरलेस हो गए। पावरलेस होने के बाद अब वह पीयू के किसी भी प्रशासनिक कार्य में हस्तक्षेप नहीं कर सकेंगे और न ही पीयू जुड़ा कोई निर्णय ले सकेंगे। यह प्रस्ताव रविवार को हुई सिंडीकेट की बैठक में पास हुआ। इस प्रस्ताव के लिए सिंडीकेट सदस्यों की वोटिंग हुई जिसमें प्रो. रौनकी राम ने वीसी के पक्ष में वोट किया जबकि 12 वोट उनके विपक्ष में पड़े। बैठक में दो सदस्य गैर मौजूद रहने के कारण मत का इस्तेमाल नहीं कर सके। वीसी प्रो. ग्रोवर को पावरलेस करने का मुख्य कारण वीसी द्वारा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सीनेट और सिंडीकेट कमेटी को रिफोर्म करना और इनकी शक्तियों को घटाने की अपील रहा। वीसी ने बीते कुछ दिन पहले एक अपील हाईकोर्ट में डाली थी। उसका 15 दिन पहले हुई सिंडीकेट बैठक में विरोध हुआ था और सिंडीकेट की बैठक शुरू होने के चंद मिनटों बाद ही उसे रद करना पड़ा था।
यही मामला दोबारा से हुई सिंडीकेट बैठक में उठा जिस पर सदस्यों ने वीसी से प्रश्न किया कि उन्होंने सीनेट और सिंडीकेट को किस प्रकार रिफोर्म करने की अपील डाली है। उन्होंने वीसी को पूछा कि ऐसा करने के लिए उनके पास कौन सी पावर है। बिना सीनेट और सिंडीकेट सदस्यों की सहमति के कैसे इस प्रकार का निर्णय लिया।
सदस्यों के जवाब में वीसी ने कहा कि यह अपील उन्होंने वीसी होने के नाते नहीं बल्कि एक शिक्षाविद् होने के नाते निजी तौर पर दी है। इस पर सदस्यों ने कहा कि निजी तौर पर अपील करने के लिए पंजाब यूनिवर्सिटी के सरकारी वकील का इस्तेमाल क्यों किया गया है। उसके लिए अलग से वकील किया जाए। इसके बाद वीसी को पावरलेस करने पर विचार हुआ और वोटिंग करते हुए वीसी से सारी शक्तियां सदस्यों ने छीन ली। चांसलर को भी हो सकती है शिकायत
वीसी को पावरलेस करने के बाद अब सिंडीकेट सदस्य चांसलर देश के पूर्व उपराष्ट्रपति वैकेंया नायडू से शिकायत भी कर सकते हैं। पहले भी कई मुद्दों पर फेल हो चुके हैं वीसी
सीनेट-सिंडीकेट को रिफोर्म करने के अलावा वीसी पहले भी कई प्रकार की परेशानियों से गुजर चुके है। बीते पांच सालों से यूनिवर्सिटी घाटे में चल रही है जिसके कारण कई बार प्रोफेसर का वेतन देने तक में परेशानी हुई है। 22 साल बाद दोहाराया गया इतिहास
वीसी प्रो. ग्रोवर को पावरलेस करने का यह दूसरा मामला है। इससे पहले वर्ष 1996 में तत्कालीन वीसी एमएम पुरी को पावरलेस किया था। जिसकी शिकायत चांसलर तक कर दी गई थी। उन पर कार्रवाई होने के बाद पीयू से वीसी पद छोड़ना पड़ा था। ------------
प्रो.कोमल सिंह पर कार्रवाई के लिए होगी विशेष सीनेट
बैठक में प्रो. कोमल सिंह का मामला भी उठा। जिस पर सदस्यों ने एकजुटता में प्रो. पर कार्रवाई की बात की। सदस्यों का कहना था कि जांच कमेटी की रिपोर्ट में वह दोषी घोषित हो चुकी है अब उस पर कार्रवाई होने की जरूरत है। इसके लिए 27 मई को विशेष सीनेट को बुलाने का निर्णय लिया गया है ताकि यह निर्णय हो कि उन्हें पद से हटाना है या फिर सस्पेंड किया जाना है।
अब एमबीबीएस साढे पांच में नहीं पांच साल में होगी
बैठक में एमबीबीएस का कोर्स पूरा करने के समय में कटौती की गई। पहले यह कोर्स साढ़े पांच साल का होता था लेकिन सिंडीकेट ने इसे पांच साल में ही पूरा करने का प्रस्ताव पास कर दिया। इससे स्टूडेंट के 6 महीने बचेंगे और वह जल्द एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर सकता है।