पंचकूला के उद्योगों को चंडीगढ़-मोहाली की तरह मिले सुविधाएं
हरियाणा विशेषकर पंचकूला के लिए कारगर उद्योग नीति बनाने की मांग को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखा है।
जासं, पंचकूला : हरियाणा विशेषकर पंचकूला के लिए कारगर उद्योग नीति बनाने की मांग को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखा है। गुप्ता ने इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन की मांगों को प्रमुखता से उठाया। सीएम को लिखे पत्र में गुप्ता ने कहा कि पंचकूला में औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। बेहतर उद्योग नीति बनाकर ही इन सभी संभावनाओं को मूर्त रूप दिया जा सकता है। इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन अरुण ग्रोवर ने कहा की बड़ी संख्या में हरियाणा के उद्योग मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों की श्रेणी में आते हैं। अगर सीमावर्ती चंडीगढ़ और पंजाब के साथ प्रतिस्पर्धा में बेहतर परिणाम लाने है तो हरियाणा की उद्योग नीति को लचीला और उदार बनाना होगा।
उन्होंने बताया कि फिलहाल पंचकूला के औद्योगिक क्षेत्र में अस्पताल एवं वाणिज्यिक संस्थान आदि खोलने की अनुमति नहीं है। एक कारगर एवं उदार उद्योग नीति नहीं होने के कारण पंचकूला को उसके भौगोलिक एवं आधारभूत ढांचे का भी पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। ज्ञान चंद गुप्ता ने एसोसिएशन की मांगों को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि पंचकूला औद्योगिक क्षेत्र में प्लॉट धारकों को भूतल पर 60 फीसद तक निर्माण की अनुमति मिलनी चाहिए। वर्तमान उद्योग नीति में भूतल पर मात्र 50 फीसदी निर्माण करना होता है। इसके साथ ही यहां होटल और अस्पतालों के निर्माण की छूट भी नई उद्योग नीति में मिले। सरकार औद्योगिक क्षेत्र में 40 फीसदी प्लॉट उद्योगों के लिए 30 फीसदी आवासीय तथा 30 फीसदी वाणिज्यिक संस्थान खोलने की अनुमति दें। औद्योगिक क्षेत्र की संरचना तर्कसंगत होनी चाहिए तथा यहां गोदाम इत्यादि बनाने की छूट भी उद्योगपतियों को मिले। कौशल विकास के लिए औद्योगिक क्षेत्रों का सदुपयोग सरलता से किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि उपरोक्त सभी सेवाओं के लिए रूपांतरण फीस भी सरकार को नहीं लेनी चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित उद्योगों की संरचना को आसानी से नवीनीकृत किया जा सकेगा। गुप्ता ने कहा कि उद्योग नीति को उदार एवं लचीला बनाना समय की आवश्यकता है। पंचकूला के उद्योगपतियों की मांग है कि उन्हें एफएआर 3 की छूट भी मिलनी चाहिए। इसका अर्थ यह हुआ कि 2 हजार वर्ग गज वाले प्लाट पर ऊपर की मंजिलों को मिला कर 6 हजार वर्ग गज क्षेत्र पर निर्माण किया जा सकेगा। फिलहाल पंचकूला इतने बड़े प्लॉट पर 3 हजार वर्ग गज ही निर्माण हो सकता है। वहीं, निकटवर्ती मोहाली में 3 एफएआर का फार्मूला लागू है।