चंडीगढ़ में ऑक्सीजन के लिए उठाए कदम कारगर साबित, प्राइवेट अस्पतालों में 40 फीसद तक घट गई खपत
पहले जहां चंडीगढ़ को रोजाना आवंटित 20 मीट्रिक टन कोटा भी कम पड़ने लगा था। केंद्र सरकार से और ऑक्सीजन की डिमांड हो रही थी लेकिन ऑडिट के बाद सभी स्तर पर लीकेज बंद होने से खपत घट गई। यही कोटा बढ़ने लगा।
चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ में मेडिकल ऑक्सीजन (Medical Oxygen) ऑडिट के लिए बनाई कमेटी की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। 12 से 14 मई तक कमेटी ने सात कोविड हॉस्पिटल का दौरा किया। इस दौरान इन अस्पतालों में खपत 30 से 140 सिलेंडर डेली थी। 18-60 बेड ऑक्यूपाई थे। हॉस्पिटल स्टाफ को कमेटी ने सही इस्तेमाल के लिए एजुकेट किया। लाइव डेमोंस्ट्रेशन दिए गए। हॉस्पिटल अथॉरिटी को डेली ऑक्सीजन स्टॉक के ऑडिट, कंजप्शन की डेली रिपोर्टिंग के आदेश दिए गए। ट्रेनिंग और लीकेज बंद होने के बाद खपत 30 से 40 फीसद तक इन अस्पतालों में कम हो गई।
ऑक्सीजन ऑडिट के बाद अस्पतालों में खपत 20-25 फीसद तक घट गई। पहले जहां चंडीगढ़ को रोजाना आवंटित 20 मीट्रिक टन कोटा भी कम पड़ने लगा था। केंद्र सरकार से और ऑक्सीजन की डिमांड हो रही थी, लेकिन ऑडिट के बाद सभी स्तर पर लीकेज बंद होने से खपत घट गई। यही कोटा बढ़ने लगा। यह चौंकाने वाली जानकारी ऑडिट टीम के रिपोर्ट सब्मिट करने के बाद सामने आई है। कोरोना की दूसरी लहर पीक पर होने के दौरान अप्रैल के आखिर से ही ऑक्सीजन की मारामारी शुरू हो गई थी। इस बीच ऑक्सीजन सप्लाई नोडल अधिकारी कम सीएचबी सीईओ यशपाल गर्ग ने ऑक्सीजन ऑडिट के आदेश दिए थे। साथ ही पीसीएस जगजीत सिंह की अगुवाई में मेडिकल एक्सपर्ट डा. मनजीत सिंह, डा. मनप्रीत सिंह की टीम गठित कर प्राइवेट, गवर्नमेंट हॉस्पिटल और मिनी कोविड केयर सेंटर में पहुंचकर इंस्पेक्शन, एजुकेशन और सेनिटाइज के आदेश दिए थे। इस दौरान टीम ने प्राइवेट, गवर्नमेंट हॉस्पिटल और मिनी कोविड केयर सेंटर विजिट कर स्टाफ को ट्रेनिंग भी दी।
इन वजह से घटी खपत
वेस्टेज को चेक किया गया
पाइपलाइन की मेंटेनेंस
पेशेंट को सही प्रैशर से ऑक्सीजन दी गई
सही उपकरणों का इस्तेमाल किया गया
गवर्नमेंट हॉस्पिटल में यह आया सामने
कमेटी विजिट से पहले डेली ऑक्सीजन पेशेंट 203 तक थे। लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की खपत 2900 लीटर तक थी। ट्रेनिंग और ऑडिट के बाद खपत कम होकर 2000 लीटर तक आ गई। इसी तरह से जीएमसीएच-32 में रोजाना 12 किलोलीटर और सेक्टर-48 हॉस्पिटल तीन किलोलीटर खपत थी। ट्रेनिंग और ऑडिट के बाद जीएमसीएच-32 में खपत दो किलोलीटर तक कम हो गई। सेक्टर-48 में 0.5 से 0.7 किलोलीटर खपत कम हो गई।