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पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही विचारधारा हो रही खत्म, युवाओं के मुद्दे अलग

पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही विचारधारा अब खत्म हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 04:23 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 04:23 PM (IST)
पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही विचारधारा हो रही खत्म, युवाओं के मुद्दे अलग
पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही विचारधारा हो रही खत्म, युवाओं के मुद्दे अलग

चंडीगढ़ : पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही एक जैसी विचारधारा अब खत्म हो रही है। आज की युवा पीढ़ी अब हर चीज को प्रेक्टिकली सोच-विचार कर अपना निर्णय लेती है। वो दौर अब चले गए, जब पुरखे अपनी आने वाली पीढि़यों को अपनी ही विचारधारा में ढालकर उन्हें परिवार की जिम्मेदारी सौंपते थे। हर मायने में आज की युवा पीढ़ी अपने पुरखों से अलग सोच रखती है। दैनिक जागरण संवाददाता विशाल पाठक ने आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए शहर के कुछ चुनिदा ऐसे परिवार के सदस्यों से बातचीत की। जहां एक ही परिवार में कम से कम 3 से 4 पीढ़ी के लोग एक छत के नीचे रहते हों। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर आज की युवा पीढ़ी और उनके पूर्वजों की पीढ़ी के बीच किस प्रकार की सोच है। इन सब पहलूओं पर चर्चा की गई। आम आदमी से जुडे़ हर मुद्दे पर करते हैं बहस

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सेक्टर-21 के रहने प्रदीप चोपड़ा ने बताया कि उनके पिता मदन गोपाल चोपड़ा लंबे अरसे तक आरएसएस और भाजपा की विचारधारा से जुड़े रहे। वे हमेशा से उसी विचारधारा पर चलते हुए अपना मत का प्रयोग करते हैं। इसके बावजूद उनकी विचारधारा और सोच कहीं न कहीं कांग्रेस से मिलती रहीं। वे अकसर कांग्रेस की विचारधारा से प्रभावित होकर उनसे जुड़े रहे। उनके दो बेटे हैं। बड़ा बेटा शौर्य और छोटा आदित्य। दोनों हर चीज को प्रेक्टिकली सोच-समझकर अपना वोट देने की बात करते हैं। वे हर मुद्दों पर चर्चा करते हैं और हर पहलू पर अपने विचार रखते हैं। अकसर जब उनके पिता, उनकी पत्नी व बच्चे एक साथ बैठकर आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा करते हैं। अलग-अलग विचारधारा और सोच के चलते हर मुद्दे पर बहस होती है। यह अच्छी बात है कि आज की युवा पीढ़ी हर चीज को प्रेक्टिक्ली सोच-समझकर निर्णय करती है। विचारधारा भले ही एक लेकिन मुद्दे अनेक

हल्लोमाजरा के दीप कांप्लेक्स के रहने वाले मुनीष कुमार ने बताया कि उनके घर में पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही विचारधारा चली आ रही है। वे अपने बुजुर्गो की विचारधारा से आज भी जुड़े हुए हैं। मैं एक गवर्नमेंट इंप्लाई हूं। उनके पिता सोहनलाल की उम्र 74 साल और मां कांता देवी की उम्र 69 साल है। उनकी दो बेटी हिमशिखा और प्रीती हैं। उनके घर में तीनी पीढि़यां मौजूद हैं। तीनों एक ही विचारधारा से जुड़े हुए हैं। उनके बुजुर्ग हमेशा से कांग्रेस विचारधारा से जुड़े रहे। इसलिए वे भी अपने बुजुर्गो की तरह इसी विचारधारा पर आज तक चल रहे हैं। इसके बावजूद आज की युवा पीढ़ी की सोच में अंतर देखने को मिलता है। उनकी दो बेटियां हैं। दोनों हर मुद्दे पर प्रेक्टिकली सोचती हैं। आज के युवा रोजगार, डेवलपमेंट, जीडीपी ग्रोथ, इन्वेस्टमेंट, डेवलपमेंट स्ट्रक्चर जैसे मुद्दों पर बात करते हैं। जबकि बुजुर्ग व्यक्ति व समाज विशेष के मुद्दों के बारे में सोचते थे। कैंडिडेट देखकर करते हैं वोट डालने का फैसला

सेक्टर-18 निवासी कमलजीत सिंह पंछी ने बताया कि उनके घर में तीन पीढि़यां मौजूद हैं। तीनों एक ही विचारधारा की हैं। इसके बावजूद तीनों कैंडिडेट को देखकर वोट डालती हैं। विचारधारा एक होने के बावजूद तीनों पीढि़यां हर मुद्दे पर चर्चा करती हैं। उनकी मां हरजीत कौर 79 साल की हैं। उनकी पत्नी सुरिदर कौर, बेटा साहिबजोत सिंह और उसकी पत्नी मोनिया कौर तीनों ही अलग पीढ़ी हैं। इसके बावजूद विचारधारा और सोच एक जैसी है। विचारधारा और सोच कैसी भी हो। लेकिन जब एक वोटर अपने मत का प्रयोग करें, तो उसे कैंडिडेट देखकर वोट डालना चाहिए। क्योंकि विचारधारा और सोच एक जैसी और अलग-अलग भी हो सकती है।


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