चंडीगढ़ में ऑनलाइन कवि सम्मेलन, हिमाचल प्रदेश के कवियों ने गजलें सुना बांधा समां
चंडीगढ़ में आयोजित ऑनलाइन कवि सम्मेलन में दूसरे राज्यों के कवियों ने भी शिरकत की। यह ऑनलाइन कवि सम्मेलन उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला (संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार) के सौजन्य से आयोजित किया गया था। सम्मेलन में शहर के कवियों ने भी अपनी कविताओं की प्रस्तुति दी।
जासं, चंडीगढ़। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) के सौजन्य से ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कवि डाॅ. दिनेश दधीचि ने की। वहीं मंच संचालन कवि व फिल्मी कलाकार डाॅ. सुशील ‘हसरत’ नरेलवी ने किया।
ऑनलाइन विशेष कवि सम्मेलन का शुभारंभ हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की कवयित्री किरण गुलेरिया की गजल ‘मैं जमीं पे ही भटकता हूं बंजारों की तरह, आसमां में वो मुनव्वर है सितारों की तरह’ से हुई। जिसको लोगों ने काफी पसंद किया। चंडीगढ़ से कवि चमन शर्मा ने ‘जुबां पर भी न निकले और न कागज पर उतरते हैं, मेरे ये गम मेरी आंखों से भी बचकर निकलते हैं’ सुनाया। वहीं हिमाचल प्रदेश के चंबा से कवि अशोक ‘दर्द’ ने गजल किरदार में यह अदाकारी रख, भद्र जनों से यारी रख’ की प्रस्तुति दी।
चंडीगढ़ से कवयित्री उर्मिला कौशिक ने गजल खुदा की पाक रहमत तो हसीं फरमान है बेटी, अगर समझो तो दुनिया के लिए वरदान है बेटी सुना कर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के संदेश का संदेश दिया। हिमाचल के पालमपुर से कवि विवेक प्रताप सिंह ने जो नज़र आता है वो है ही नहीं, और जो है, वो कहां है हूबहू, चंडीगढ़ से कवि सुशील ‘हसरत’ नरेलवी ने चला आता हूं अकसर गांव के जर्जर हुए घर में, बुज़ुर्गों की दुआएं हैं जो इक इक ईंट पत्थर में सुनाकर बुजुर्गों के लिए आदर स्वाभाव रखने की सीख दी।
कार्यक्रम के अंत में प्रो. सौभाग्य वर्द्धन निदेशक उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि साहित्य समाज की दशा को अभिव्यक्त करते हुए इसे सही दिशा दिखलाने में सक्षम है। कवियों की प्रस्तुतियों को ऑनलाइन माध्यम से हर एक तक पहुंचाया जा रहा हैं। उनका प्रयास है कि युवा ज्यादा से ज्यादा साहित्य से जुड़े और इस विरासत को आगे ले कर जाएं।