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चंडीगढ़ में ऑनलाइन कला महोत्सवः हिमाचल प्रदेश के कलाकारों ने दी लोक गीतों की प्रस्तुति

नॉर्थ जोन कल्चर सेंटर पटियाला द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयाेजित किए जा रहे ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान हिमाचल प्रदेश के लोक गीतों की प्रस्तुति दी गई। इसमें हिमाचल के कलाकारों ने शादी समारोहों में गाए जाने वाले सुहागों (लोक गीत ) को पेश किया गया।

By Ankesh KumarEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 04:15 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 04:15 PM (IST)
चंडीगढ़ में ऑनलाइन कला महोत्सवः हिमाचल प्रदेश के कलाकारों ने दी लोक गीतों की प्रस्तुति
ऑनलाइन कला महोत्सव के दौरान हिमचाली गीतों की प्रस्तुति देते कलाकार।

चंडीगढ़, जेएनएन। नॉर्थ जोन कल्चर सेंटर पटियाला द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयाेजित किए जा रहे नई उम्मीद, नई पहल ऑनलाइन कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के लोक गीतों को पेश किया गया। कार्यक्रम के दौरान हिमाचल के विभिन्न जिलों में शादी समारोहों में गाए जाने वाले सुहागों (लोक गीत ) को पेश किया गया। कार्यक्रम कांगड़ा जिले की लेखिका और कवियत्री चंद्र रेखा के नेतृत्व में हुआ, जिन्होंने शादी समारोह में अपने रीति रिवाज के अनुसार गए जाने वाले सुहागों को पेश किया और उनके महत्व के बारे में जानकारी दी।

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चंद्र रेखा ने बताया कि शादी के समय मां-बेटी, बाप बेटी से लेकर भाई-बहन के संवाद को गीतों के माध्यम से पेश किया जाता है। इसके माध्यम से परिवार के साथ बेटी का प्यार दिखाया जाता है और उसके साथ ही पारिवारिक संस्कारों को भी बढ़ावा दिया जाता है। वहीं, नई जिदंगी शुरू करने वाले जोड़े को भी परिवार की परंपरा में बंधकर चलने की प्रेरणा दी जाती है।

कार्यक्रम में कांगड़ा के अलावा ऊना, हमीरपुर, और बिलासपुर में गाए जाने वाले गीतों को भी पेश किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ लोक कलाकार और गुरु जन्मेजय गुलेरिया हारमोनियम, ढोलक ने बृजेश और खंजरी पर मनीष ने गायकों के साथ प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का एनजेडसीसी के यूट्यूब चैनल और फेसबुक पर लाइव प्रसारण भी किया गया।

परंपरा और इतिहास को जिंदा रखने का प्रयास

नॉर्थ जोन कल्चर सेंटर पटियाला के डायरेक्टर डॉ. सौभाग्य वर्धन ने कहा कि हिमाचल में शादी में गाए जाने वाले गीतों में न सिर्फ प्यार की महक है इसके साथ ही उनमें परंपरा और इतिहास को भी जिंदा रखने का प्रयास किया गया है जो कि बेहतरीन प्रयास है। आज के समय में भले ही हम तर्की कर गए है लेकिन उसके बाद भी हमारे समाज में कुछ संस्कार है जिनकी हमें जरूरत है और उन्हें शादी के समय पर गाकर पेश किया जा रहा है।


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