Kartarpur Corridor: एक साल में 4 माह ही खुल पाया भारत-पाक के बीच बना उम्मीदों का कारिडोर, कोरोना ने किए किवाड़ बंद
भारत-पाकिस्तान के बीच करतारपुर कारिडोर को बने एक एक साल हो गया है लेकिन कोरोना महामारी के कारण यह कारिडोर चार माह ही खुल पाया। इसे 15 मार्च 2020 को कोरोना महामारी के कारण श्रद्धालुओं केे लिए बंद कर दिया गया था।
चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। करतारपुर कारिडोर (Kartarpur Corridor) को खुले एक साल बीत गया है, लेकिन त्रासदी यह रही कि इस एक साल में कारिडोर चार महीने ही खुल पाया। नौ नवंबर 2019 को खोले गए कारिडोर के जरिये अभी संगत ने दर्शन दीदार के लिए जाना शुरू ही किया था कि दुनिया में फैली कोरोना महामारी ने 15 मार्च, 2020 को यह किवाड़ फिर बंद कर दिए।
माना जा रहा था कि करतारपुर कारिडोर भारत और पाकिस्तान के रिश्तों की कड़वाहट को दूर करेगा। गुरुद्वारा साहिब करतारपुर बड़े धार्मिक पर्यटन के रूप में उभरेगा, परंतु वर्तमान हालात देखकर ऐसा आभास नहीं हो रहा है। कारिडोर को लेकर अब भी बहुत संभावनाएं हैंं, लेकिन सबसे बड़ी जरूरत दोनों देशों के बीच विश्वास बनाने की है।
इसी महीने तीन नवंबर को पाकिस्तान सरकार की ओर से उठाए गए एक कदम से सिख संगत काफी रोष में आ गई। करतारपुर गुरुद्वारा साहिब के बाहरी क्षेत्र के प्रबंधन के लिए एक नई बाडी (प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट) बनाई गई, जिससे पाकिस्तान सरकार के प्रति कई शंकाओं को जन्म ले लिया। हालांंकि पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) के प्रधान सतवंत सिंह और पाकिस्तान इवेक्टयू प्रापर्टी ट्रस्ट ने कहा है कि नई बाडी के पास सिर्फ प्रबंधन, लेखा-जोखा और जमीन के रखरखाव का ही काम है। गुरुद्वारा साहिब के अंदर धार्मिक मर्यादाओं का काम पीएसजीपीसी ही करेगी। सिख संगत के रोष और भारत ने एतराज जताने के बाद पाकिस्तान सरकार ने भी तुरंत नई बाडी को लेकर जारी अधिसूचना में संशोधन कर दिया।
उधर, जानकार कहते हैं कि इस तरह की कार्रवाई अविश्वास पैदा करती है और करतारपुर साहिब में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने नहीं दे रही है। चंडीगढ़ से एसजीपीसी के पूर्व सदस्य रहे अमरिंदर सिंह कहते हैंं कि यह धार्मिक स्थल है। इसे व्यापारिक दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए। आम लोगों को गुरुद्वारा साहिब जाने में क्या दिक्कतें आ रही हैं, उन्हेंं दूर करना चाहिए। अब भारत सरकार भी इसे खोलने में रुचि नहीं दिखा रही है। हर रोज पांच हजार श्रद्धालुओं के जाने की व्यवस्था है, लेकिन एक भी दिन इतनी संख्या में श्रद्धालु माथा टेकने नहीं गए। भारत सरकार को भी विचार करना चाहिए कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।
रिश्तों में मिठास तो आनी ही चाहिए
पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सतवंत सिंह ने कहा कि करतारपुर कारिडोर दोनों देशों के बीच की कड़वाहट दूर करेगा। रिश्तों में मिठास तो आनी ही चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी प्रकाश पर्व और करतारपुर कारिडोर की पहली वर्षगांठ पर करतारपुर साहिब में बड़ा सेमिनार करवाया जा रहा है। पहले जो लोग सिर्फ ननकाना साहिब और पंजा साहिब के दर्शन के लिए आते थे अब करतारपुर साहिब के दर्शन को भी प्राथमिकता देंगे। भारत से सिख संगत के कम आने पर उन्होंने कहा कि सरकार ही संगत को आने नहीं दे रही है। सिख संगत और सिख नेताओं को इसके लिए आवाज उठानी चाहिए।
कारिडोर को बनाएं प्रेम व भाईचारे की राह
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल का कहना है कि कारिडोर का निर्माण ऐतिहासिक फैसला था। दुनिया भर से लाखों सिख श्री हरिमंदिर साहिब में नतमस्तक होने आते हैं। भारत में अलग-अलग तख्तों के दर्शन करने के बाद उनकी यह इच्छा रहती थी कि वह पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा साहिब के भी खुले दर्शन-दीदार कर सकें। यह कारिडोर दुनिया भर के करोड़ों सिखों की अध्यात्मिक इच्छा पूॢत करने वाला है। दोनों देशों की सरकारों को शर्तों में ढील देनी चाहिए। करतारपुर साहिब जाने के लिए लगने वाली फीस को नाममात्र करना चाहिए।
एक नजर इस पर
- पहली पातशाही श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर नौ नवंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया उद्घाटन
- डेरा बाबा नानक से श्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारा तक कारिडोर की लंबाई आठ किलोमीटर
- 15 मार्च, 2020 को कोविड-19 के कारण कारिडोर बंद कर दिया गया
- रोजाना पांच हजार श्रद्धालुओं के जाने की है व्यवस्था, चार महीने में गए 62179 श्रद्धालु