पीयू ने रोकी छात्रा की स्कॉलरशिप, हाई कोर्ट ने लगाया एक लाख का जुर्माना
पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ पर एक आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की छात्रा की स्कॉलरशिप रोके जाने पर कड़ा रुख अपनाया है।
राज्य ब्यूरो, चंड़ीगढ़ : पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ पर एक आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग की छात्रा की स्कॉलरशिप रोके जाने पर कड़ा रुख अपनाया है। हाई कोर्ट ने छात्रा की स्कॉलरशिप बहाल करने पीयू तथा यूआइएलएस विभाग पर एक लाख रुपये जुर्माना लगाते हुए जुर्माने की राशि छात्रा को दिए जाने के आदेश दिए हैं। जस्टिस महावीर सिंह सिधु ने यह आदेश छात्रा इशिता उप्पल की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। हाई -कोर्ट ने छात्रा की याचिका पर पीयू और यूआइएलएस को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि एक मेधावी छात्रा को पिछले दो वर्षों से उनके कारण जिस मानसिक परेशानी और पीड़ा से गुजरने पर मजबूर होना पड़ा है, उसका हर्जाना तो पीयू को देना ही होगा।
हाई कोर्ट ने जुर्माने के एक लाख रुपये की राशि में से आधा पीयू और आधा यूआइएलएस को भरे जाने के आदेश दिए हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि बाद में पीयू चाहे तो इसके दोषी कर्मी या अधिकारी से यह राशि वसूल सकता है। 12 वीं में छात्रा ने शहर में किया था टॉप
बता दें कि छात्रा ने वर्ष 2014-15 में बाहरवीं में पुरे शहर में टॉप किया था। इसके बाद उसने पीयू के पांच वर्षीय लॉ कोर्स में दाखिला लिया था। इस मेधावी छात्रा की आर्थिक तंगी के चलते पीयू ने छात्रा को ईडब्ल्यूएस कोटे से स्कॉलरशिप देनी शुरू की थी। लेकिन चौथे वर्ष में छात्रा की यह स्कॉलरशिप बंद कर दी गई और उसे जून 2019 में पत्र लिख बताया गया कि उसका नाम विभाग से काट दिया गया है और उसके नौवें समेस्टर की इंटर्नशिप भी रद कर दी गई है। छात्रा ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि उसका नाम इसलिए काट दिया गया कि उसने अपने छठे सेमेस्टर की मार्कशीट नहीं जमा करवाई थी। बीमार होने के कारण परीक्षा में शामिल न होने पर बंद कर दी थी स्कॉलरशिप
छात्रा ने बताया कि उसका स्वास्थ्य खराब होने के कारण वह एक पेपर नहीं दे पाई थी और उसने अपनी मेडिकल रिपोर्ट भी जमा करवा दी थी। बावजूद इसके न सिर्फ उसका नाम काट दिया गया। बल्कि उसकी स्कॉलरशिप और इंटर्नशिप भी बंद कर दी गई। यूनिवर्सिटी के इसी फैसले को छात्रा ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।