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सेक्टर-20 के बूथ पर काम करने वाले तीन नाबालिगों को अफसरों ने छुड़ाया Chandigarh News

जानकारी के अनुसार सेक्टर-20 स्थित बूथ नंबर-1 में तीन नाबालिग बच्चों से नौकरी करवाने की सूचना चाइल्ड लेबर डिपार्टमेंट को मिली थी।

By Vipin KumarEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 10:52 AM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 03:25 PM (IST)
सेक्टर-20 के बूथ पर काम करने वाले तीन नाबालिगों को अफसरों ने छुड़ाया Chandigarh News
सेक्टर-20 के बूथ पर काम करने वाले तीन नाबालिगों को अफसरों ने छुड़ाया Chandigarh News

चंडीगढ़, जेएनएन। सेक्टर-20 स्थित बूथ में काम करने वाले तीन नाबालिग को चाइल्ड लेबर विभाग के अधिकारियों ने रेड कर छुड़ाने में कामयाबी पाई है। लेबर डिपार्टमेंट के इंस्पेक्टर रामफल कटारिया की शिकायत पर सेक्टर-19 पुलिस ने बूथ मालिक के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी।

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जानकारी के अनुसार सेक्टर-20 स्थित बूथ नंबर-1 में तीन नाबालिग बच्चों से नौकरी करवाने की सूचना चाइल्ड लेबर डिपार्टमेंट को मिली थी। जिसके आधार पर इंस्पेक्टर रामफल कटारिया ने टीम के साथ बूथ पर रेड की। इस दौरान तीन बच्चे एक 15 वर्षीय, दूसरा 14 वर्षीय और तीसरा 10 वर्षीय को काम करते हुए पाया था। जिसके बाद उन्होंने बच्चों के मेडिकल करवाने के बाद स्नेहालयल भेज दिया। इंस्पेक्टर की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया है।

बाल मजदूरी से जुड़े बच्चों के अभिभावकों से भी अनुरोध किया कि वे बच्चों को शिक्षा के पर्याप्त अवसर दें और उनसे छोटी आयु में मजदूरी न करवाएं। सरकार की ओर से बच्चों को फ्री शिक्षा की व्यवस्था की हुई है।सरकार ने बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाया हुअा है। इसके बाद भी अगर एेसी घटना हाेती है, ताे यह देश के लिए सही नहींं है। 

होटलाें और दुकानों पर हो रही बाल मजदूरी 

उल्लेखनीय है कि चंडीगढ़ प्रशासन की सख्ती के बावजूद शहर के ज्यादातर ठेकों, होटलाें और दुकानों पर बाल मजदूरी हो रही है। इसमें ठेके पर काम करना सबसे खतरनाक है, क्योंकि इससे बच्चे की मानसिकता पर सबसे ज्यादा गंदा प्रभाव पड़ सकता है। बच्चों को आसानी से नशा करने के लिए शराब मिलती है।

फोन कॉल के बाद संस्था करती है रेसक्यू

इससे पहले भी सोशल वेलफेयर नामक संस्था भी एेसे मामलाें का खुलासा करती है। संस्था के पास कॉल आने पर उन्हें तुरंत सहायता प्रदान करती है। इसके बाद बच्चों को रेसक्यू किया जाता है। पुलिस में भी शिकायत दर्ज करवाई जाती है ताकि बच्चाें काे रेस्क्यू कराया  जा सके। 

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