प्रशासन में अफसरों की एडजस्टमेंट का चल रहा खेल
कुर्सी का मोह कोई नई बात नहीं है। यही मोह अब नए लोगों के लिए सृजित होने वाले अवसरों को निगल रहा है। प्रशासन में इन दिनों एक नई प्रथा शुरू हो गई है।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़
कुर्सी का मोह कोई नई बात नहीं है। यही मोह अब नए लोगों के लिए सृजित होने वाले अवसरों को निगल रहा है। प्रशासन में इन दिनों एक नई प्रथा शुरू हो गई है। अफसरों की एडजस्टमेंट का खेल चल रहा है। वरिष्ठ अधिकारी रिटायरमेंट से पहले ही अपनी रीज्वाइनिग की बिसात भी बिछा जा रहे हैं। रिटायरमेंट होते ही तुरंत दूसरे पद पर ज्वाइन कर लेते हैं। यह खेल पिछले कई साल से चल रहा है। रिटायरमेंट से पहले ही वरिष्ठ अधिकारियों से अपनी रीज्वाइनिग की सेटिग हो रही है। कई मामलों में तो पोस्ट तक सृजित की जा रही है। रिटायरमेंट के बाद भी अधिकारी रिटायर होने को तैयार नहीं हैं। ऐसा एक केस नहीं, बल्कि दर्जनों मामले हैं। इन अधिकारियों को किली सेवानिवृत्ति के बाद ज्वाइनिग
पूर्व आइएएस केके जिदल
यूटी कैडर के पूर्व आइएएस अधिकारी केके जिदल चंडीगढ़ में ट्रांसपोर्ट और पर्सनल सेक्रेटरी जैसे अहम पदों पर रहे हैं। कई साल सर्विस के बाद वह चंडीगढ़ से ही रिटायर हो गए, लेकिन उनको रिटायरमेंट के बाद राइट टू सर्विस कमीशन का कमिश्नर नियुक्त कर दिया गया। जिदल तभी से इस पद पर कार्यरत हैं। उनकी ज्वाइनिग के बाद भी इस तरह के सवाल उठने लगे थे। पूर्व पीसीएस अनिल कुमार गर्ग
पंजाब कैडर के पीसीएस अधिकारी अनिल कुमार गर्ग नगर निगम चंडीगढ़ में एडीशनल कमिश्नर रहे। वह कुछ समय पहले ही रिटायर हुए। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने स्मार्ट सिटी चंडीगढ़ प्रोजेक्ट में एडीशनल चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के तौर पर कार्यभार संभाल लिया। शहर के डेवलपमेंट से जुड़े सभी बड़े प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के तहत पूरे हो रहे हैं। स्मार्ट सीईओ नगर निगम कमिश्नर हैं। ऐसे में एडीशनल कमिश्नर भी काफी पावरफुल पद है। गर्ग की नियुक्ति के बाद भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
पूर्व डीएचएस अमनदीप कौर कंग
हेल्थ डिपार्टमेंट के तहत आने वाला डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेज का पद काफी प्रभावशाली माना जाता है। पूरे शहर का हेल्थ सिस्टम डीएचएस के अधीनस्थ काम करता है। पूर्व डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेज अमनदीप कौर कंग 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हुई। हालांकि कोरोना काल में उनका कार्यकाल काफी सराहनीय रहा, लेकिन उनकी दोबारा से नियुक्त कई सवाल खड़े कर रही है। अब कंग की नियुक्ति एड्स कंट्रोल सोसायटी में अहम पद पर हुई है। पूर्व डिप्टी डायरेक्टर चंचल सिंह
चंचल सिंह को एजुकेशन डिपार्टमेंट से सेवानिवृत्त हुए कई साल हो चुके हैं। अब लंबे समय से वह चंडीगढ़ कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स में एजुकेशन कोऑर्डिनेटर हैं। इसी तरह से पीजीजीसीजी-42 से सेवानिवृत्त प्रोफेसर डा. दिलीप कुमार 11 महीने रूसा कोऑर्डिनेटर के पद पर कार्यरत रहे। इसी तरह से डायरेक्टर स्कूल एजुकेशन का पीए शिवकुमार और ड्राइवर की भी रिटायरमेंट के बाद एडजस्टमेंट की गई है। इसी तरह से क्रेस्ट में भी कई अधिकारी रिटायरमेंट के बाद भी जमे हुए हैं। मुकेश आनंद और डा. जी. दीवान की नियुक्ति होते-होते अटकी
यूटी प्रशासन के पूर्व चीफ इंजीनियर मुकेश आनंद को रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन देने की तैयारी प्रशासन ने कर ली थी। फाइल को प्रशासक की मंजूरी के लिए भेजा गया। सांसद किरण खेर ने भी प्रशासक को एक्सटेंशन के लिए चिट्ठी लिखी, लेकिन यूटी पावर मैन यूनियन के विरोध से मामला सुर्खियों में आ गया। इससे उनको एक्सटेंशन मिलते-मिलते रह गई। इसी तरह से पूर्व डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेज डा. जी दीवान को भी प्रशासन ने सेवानिवृत्ति के बाद दोबारा नियुक्ति देने की तैयारी कर ली थी। जिस पद पर उनकी नियुक्ति होनी थी विवाद के बाद प्रशासन को इंटरव्यू रद करने पड़े।
कोट्स..
कार्यकाल की अवधि 58 वर्ष तय की गई है। इतनी लंबी अवधि तक सेवाएं देने के बाद कुर्सी का मोह नहीं रहना चाहिए। दूसरों के लिए अवसर छोड़ने चाहिए। इंटक इसका विरोध करती रही है। अब तो एक्सटेंशन तक भी बंद की जा चुकी है। इसके पीछे भी कारण दूसरों को मौका देना ही था, लेकिन अधिकारियों की पद के प्रति लालसा कई तरह के सवाल उठाती है।
हरजिदर सिंह, वाइस प्रेसिडेंट, इंटक।