नीति आयोग ने जताई आशंका, पंजाब में 10 हजार तक जा सकती है काेरोना संक्रमितों की संख्या
पंजाब में कोरोना संक्रमण को लेकर नीति आयोग ने चिंता जताई है। नीति आयोग ने आशंका जताई है कि पंजाब में कोराेना मरीजाें की संख्या 10 हजार तक पहुंच सकती है।
चंडीगढ़, [कमल जोशी]। नीति आयोग ने पंजाब में 31 मई तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 10 हजार के पार जाने की आशंका जताई है। अगर यह आशंका सही हुई तो राज्य के अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या कम पड़ सकती है। नीति आयोग के आकलन के अनुसार 31 मई तक पंजाब में 3612 आइसीयू और 6923 नॉन-आइसीयू बेड की जरूरत होगी, जबकि पंजाब के पास 922 आइसीयू और 4938 नॉन-आइसीयू बेड की उपलब्धता होगी।
पंजाब स्वास्थ्य विभाग के अनुसार मई के अंत में 4 से 8 हजार के बीच पहुंचेगा आंकड़ा
दूसरी ओर, पंजाब के स्वास्थ्य विभाग और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का आकलन नीति आयोग के आकलन से काफी कम है। वहीं, राज्य में 3 मई से लॉकडाउन में रियायतें देने की सिफारिशें करते हुए कर्फ्यू पर विचार करने के लिए बनाई गई एक्सपर्ट कमेटी ने कहा है कि राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के ढांचे को बेहद खराब परिस्थितियों को झेलने के लिए तैयार किए जाने की जरूरत है।
आयोग की चिंता, ऐसे हालात में सरकारी अस्पतालों में हो सकती है बिस्तरों की कमी
इस रिपोर्ट में पंजाब में कोविड-19 से संक्रमित होने वालों की संख्या हर 10 से 12 दिन में दोगुनी होने की आशंका जताते हुए कहा गया है कि बेहद खराब परिस्थितियों में यह संख्या पांच दिनों में भी दोगुनी हो सकती है। इस आकलन के अनुसार मई के अंत तक राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या चार हजार और बेहद खराब परिस्थितियों में आठ हजार होगी।
31 मई तक होगी 3612 आइसीयू बेड की जरूरत, पंजाब के पास 922 ही होंगे
पंजाब के स्वास्थ्य विभाग के आकलन के अनुसार, 30 जून तक राज्य में 900 आइसीयू और 4880 नॉन-आइसीयू बेड की जरूरत होगी। इसी प्रकार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आकलन के अनुसार पंजाब में 24 मई तक 602 आइसीयू बेड और 1804 नॉन-आइसीयू बेड की जरूरत होगी। फिलहाल पंजाब में 922 आइसीयू और 4938 नॉन-आइसीयू बेड उपलब्ध हैं। इनके अलावा कोविड केयर सेंटरों के लिए 2900 बेड की पहचान कर ली गई है और 17 हजार बेड की व्यवस्था पर काम किया जा रहा है।
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केंद्र से मांगी ये मांगें....
एक्सपर्ट कमेटी ने जीएसटी कंपनसेशन की डेडलाइन 2022 से बढ़ाने की सिफारिश की है। ऐसा न होने पर राज्य को दस हजार करोड़ का सालाना नुकसान हो सकता है।
-15वें वित्तीय आयोग ने 7600 करोड़ रुपए की रेवेन्यू डेफिशिएट ग्रांट तय की है इसे और बढ़ाने के लिए केंद्र के पास मामला उठाने को कहा गया है।
-कोरोना के बाद कर्ज लेने की सीमा जीडीपी के 4 फीसद तक करने को कहा गया है।
-होटल, रेस्टोंरेंट जो कोरोना का सबसे बड़े शिकार होंगे पर बिजली के चार्जेस कमर्शियल की बजाए इंडस्ट्री वाले लगाने को कहा है।
-शराब के ठेकों से होने वाले 6000 करोड़ रुपये के आमदनी के स्रोत को संभाला जाए। शराब बिक रही है, सरकार को कुछ नहीं मिल रहा।
ये हैैं एक्सपर्ट ग्रुप के मेंबर
चेयरमैन केआर लखनपाल, एन एस संधू, डीएस कल्हा कन्वीनर, डॉ स्वराजबीर सिंह, मनमोहन लाल सरीन, डॉ के.के.तलवार, डॉ राजबहादुर, डॉ राजेश कुमार , अजय वीर जाखड़, भूपेंद्र सिंह मान, एसपी ओसवाल, राजिंदर गुप्ता, ए एस मित्तल, गौतम कपूर, भवदीप सरदाना, अशोक सेठी, बीएस ढिल्लों, एसके दास, डॉ जेएस संधू, अरुणजीत मिगलानी।
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