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मुश्किल घड़ी में मातृभूमि को नहीं भूले, कोरोना संकट में मददगार बन रहे पंजाब के NRI

पंजाब में कोरोना संकट के दौरान एनआरआइ ने मदद के लिए हाथ बढ़ाए हैं। राज्‍य में कोरोना संक्रमण फैलने के लिए सबसे पहले उनको जिम्‍मेदार ठहराया गया लेकिन वे आज लोगों का सहारा बने हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 18 May 2020 03:23 PM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 04:01 PM (IST)
मुश्किल घड़ी में मातृभूमि को नहीं भूले, कोरोना संकट में मददगार बन रहे पंजाब के NRI
मुश्किल घड़ी में मातृभूमि को नहीं भूले, कोरोना संकट में मददगार बन रहे पंजाब के NRI

चंडीगढ़/जालंधर, जेएनएन। पंजाब में सबसे पहले कोरोना संकट के लिए विदेश से आए लोगों और एनआरआइज को जिम्‍मेदार ठहराया गया। लांछन लगा कि पंजाब में कोरोना वायरस को एनआरआइ ही लेकर आए हैं इन सबके बीच कोरोना के खिलाफ जंग में विदेश में बसे इन पंजाबियों की मददगार की भूमिका पर अधिक ध्‍यान नहीं गया। ये एनआरआइ संकट की घड़ी में मातृभूमि को नहीं भूले और लाेगों के लिए सहारा बन रहे हैं।

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विभिन्‍न देशों में बसे पंजाबी एनआरआइज ने अपने गांवों और वहां के लोगों के लिए खुलकर मदद के हाथ बढ़ाए। उन्‍होंने विदेश से धन भेजा और राहत के प्रबंध किए। इससे लोगों तक मास्‍क, सेनिटाइजर, जरूरत की साम्रगी और राशन पहुंचाया गया। लाेग इससे बेहद खुशी और राहत महसूस कर रहे हैं। जानें ऐसे ही कुछ एनआरआइ के बारे में -

जोधा सिंह मान व ठाकुर सिंह मान अमेरिका में भी नहीं भूले अपना गांव छोकरां

अमेरिका में रह रहे फिल्लौर के गांव छोकरां के जोधा सिंह मान व ठाकुर सिंह मान को संकट की घड़ी में अपने गांंव की चिंता हुई, जबकि अमेरिका में कोरोना की गंभीर स्थिति के कारण वे खुद खतरे से घिरे थे। उन्‍हें बस एक ही चिंता थी कि पंजाब में कर्फ्यू से सब कुछ बंद है तो गांव का क्या होगा? इसके बाद उन्‍होंने गांव के लाेगों के लिए कुछ करने की ठानी।

      जोधा सिंह मान                                                 ठाकुर सिंह मान

महामारी से आई संकट घड़ी में गांव को नहीं भूले विदेश में बसे पंजाबी, मदद के लिए भेज रहे धन

दोनों ने इंग्लैंड में बसे भाई जगजीत सिंह मान से बात की और तुरंत 95 हजार रुपये गांव में रह रहे भाई जसपाल सिंह मान को भेजे। उन्होंने कहा कि तुरंत राशन व सेनिटाइजर खरीदो और जरूरतमंदों को मुहैया कराओ। इसके साथ ही जगजीत ने समाजसेवी धर्मपाल छोकरां व गांव की सरपंच अवतार कौर की मदद से 105 परिवारों को राशन पहुंचाया। जरूरत पड़ी तो 35 हजार रुपये और आ गए। इसके बाद भी वे धन का इंतजाम करते रहे और मदद का सिलसिला चलता रहा। सुखमिंदर सिंह भी लोगों की मदद में जुटे हैं। न्यूजीलैंड में बसे इसी गांव के मुख्तियार सिंह खालसा ने भी मदद भेजी। जसपाल मान कहते हैं कि वर्षों से भाई विदेश में रहते हैं, लेकिन यहां की फिक्र हर वक्त उनके जेहन में रहती है।

          जसपाल सिंह मान                                     सुखमिंदर सिंह 

सरबत दा भला ट्रस्ट सबसे बड़ा मददगार

मददगार एनआरआइ की फेहरिस्त में बड़ा नाम दुबई के होटल कारोबारी व सरबत दा भला ट्रस्ट चलाने वाले एसपी सिंह ओबेराय का भी है। ट्रस्ट अब तक 70 हजार परिवारों को राशन मुहैया करा चुका है। हर जिले में वह कोरोना योद्धाओं को पीपीई किट, सेनिटाइज व, मास्क भी उपलब्‍ध करा रहे हैं। अमेरिका में बसे करतारपुर के गांव गाखलां के अमलोक सिंह गाखल भी गांव के लोगों की परेशानियां नहीं भुला सके। गांव के नत्था सिंह गाखल परिवार की मदद से गांव में एक महीने से रोजाना लंगर चल रहा है। नकोदर के गांव गिल के राज सिंह गिल इंग्लैंड में रहते हैं, लेकिन रेडक्रॉस सोसायटी को मुश्किल घड़ी में मदद के लिए 50 लाख रुपये की रकम कोरोना संकट में फंसे लोगों के लिए भेजी।

मददगार एनआरआइ बोले, अपनी जन्मभूमि पर बीमारी लेकर आएगा कोई

जालंधर जिले के 954 गांवों के विदेश में बसे पंजाबी संकट की घड़ी में मददगार बन कर सामने आए हैं। अनुमान के मुताबिक जिले में करीब 15 हजार एनआरआइ हैं और हर गांव से कोई न कोई विदेश में बसा हुआ है। वहां उनका अच्छा कारोबार भी हैं। गांव के गुरुघर से लेकर स्कूल तक तो मदद आती ही थी, अब महामारी की मुश्किल घड़ी में भी वे पीछे नहीं हैं। कोरोना को लेकर अपने खिलाफ हुए प्रचार पर वे कहते हैं कि अपनी जन्मभूमि पर बीमारी लेकर कौन आता है? हो सकता है कुछ लोग हमें कुछ कहते हों, लेकिन हमारा ध्यान सिर्फ कोरोना से लड़ रहे लोगों की मदद करने पर है।

एनआरआइ बंधुओं ने गरीबों तक पहुंचाया निवाला

कपूरथला जिले में भी एनआरआइ बंधुओं की तरफ से मदद के हाथ बढ़े हैं। गांव धालीवाल दोनां दोनां के सरपंच सरदूल सिंह धालीवाल ने विदेश में बसे एनआरआइज की सहायता से मुश्किल में फंसे लाेगों तक मदद पहुंचाई और राशन बांटा। यह मदद प्रवासी श्रमिकों को भी मिली। अमेरिका के बसे स्‍वर्ण सिंह धालीवाल ने यूपी-बिहार के करीब 50 परिवारों को राशन मुहैया करवाया। उनकी तरफ से कोरोना वायरस से लोगों को बचाने के लिए अब तक चार बार सेनिटाइजर का छिड़काव गांव में किया जा चुका है। 

गांव नारंगपुर में एनआरआइ प्रीतम सिंह नारंगपुर, गांव खीरावाली में सुखवंत सिंह पड्डा, गांव सिधवा दोना में सुखविंदर सिंह नेकी, गांव जैनपुर में किरपाल सिंह व गांव खैड़ा दोना में कुंदन सिंह पड्डा आदि की तरफ से अपने-अपने गांवों में राशन व लंगर के अलावा सेनिटाइजेशन की व्यवस्था करवाई गई। 

लोगों को राशन सामग्री, फल-सब्जियां व दवाएं उपलब्ध करा रहे हैं एनआरआइ बरिंदर सिंह

हो‍शियारपुर के गढ़शंकर के माहिलपुर इलाके के गांव गोगड़ो के प्रवासी भारतीय व कण्व ग्रीन फाउंडेशन के प्रधान बरिंदर सिंह भंबरा भी लाेगाें की मदद में जुटे हुए हैं। वह दिसंबर 2019 में अपने बेटे जसमीत सिंह भंबरा की शादी करने के लिए दुबई से आए थे। शादी के बाद मार्च महीने में घोषित लॉक डाउन व कर्फ्यू लग जाने के बाद उन्होंने गांव में जरूरतमंद लोगों को राशन सामग्री व दवाएं उपलब्ध कराने की जिम्‍मेदारी उठाई।

 

कण्व ग्रीन फाउंडेशन के प्रधान बरिंदर सिंह भंबरा और खटकड़ कलां के एनआरआइ तरसेम सिंह

उन्‍होंने मोरांवाली गांव में कोरोना मरीज मिलने के बाद फाउंडेशन के सदस्य अजयाब सिंह बोपाराय, राकेश कुमार व मनजिंदर कुमार की सहायता से दूध व हरी सब्जियों लोगों तक पहुंचाई। उन्होंने थाना माहिलपुर, सैला खुर्द चौकी व थाना गढ़शंकर के चौकों में खड़े होकर अपनी ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों को पानी और फल उपलब्ध कराए तो अस्पतालों में सेहत कर्मियों को भी फल भिजवाया। फाउंडेशन अभी तक करीब एक हजार लोगों को राशन सामग्री व दवाएं उपलब्ध करा चुका है और यह क्रम जारी है।

एनआरआइ तरसेम सिंह नोता ने उपलब्‍ध कराया 15 लाख का राशन

बंगा क्षेत्र के शहीद-ए-आजम भगत सिंह के गांव खटकड़ कलां के रहने वाले एनआरआइ तरसेम सिंह 15 लाख रुपये का राशन गांव मंगुवाल और खटकड़ कला के लोगों में बंटवा चुके हैं। उन्होंने जरूरतमंद लोगों के घरों में राशन पहुंचाया। खटकड़ कलांं के पूर्व सरपंच सुखविंदर सिंह ने बताया कि इंग्लैंड में रहने वाले तरसेम सिंह ने अपने गांव के लिए किए गए विकास कार्यों में अहम भूमिका निभाई है।

                                                            (इनपुट- मनीष शर्मा, हरनेक सिंह जैनपुरी व रामपाल भारद्वाज)  


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