दलित उद्यमियों ने लिया संकल्प, लाएंगे नई औद्योगिक क्रांति
केंद्रीय खाद्यान्न पूल में सर्वाधिक योगदान देकर देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाला पंजाब एक फिर से नई क्रांति का वाहक बनने जा रहा है। यह दावा दलित उद्यमियों ने किया है।
रोहित कुमार, मोहाली
केंद्रीय खाद्यान्न पूल में सर्वाधिक योगदान देकर देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाला पंजाब एक फिर से नई क्रांति का वाहक बनने जा रहा है। यह दावा दलित उद्यमियों ने किया है। उनका कहना है कि इस बार पंजाब में हरित या श्वेत क्रांति नहीं बल्कि नई औद्योगिक क्रांति शुरू होने जा रही है। राज्य के दलित उद्यमियों ने एक प्लेटफार्म पर आकर दलित इंडियन चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज (डिक्की) का गठन किया है। इसके गठन के पीछे जहां गहरी औद्योगिक रणनीति है, वहीं इससे दलित उद्योगपतियों को अपनी अलग पहचान समाज के सामने रखने के लिए नया प्लेटफार्म मिलेगा।
डिक्की के उत्तरी भारतीय चैप्टर के अध्यक्ष संजीव दांगी, पंजाब प्रभारी बिजेंद्र सिंह कबीरा तथा पंजाब के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि पंजाब के कई जिलों में इस समय हजारों की संख्या में दलित उद्यमी हैं, लेकिन संगठित न होने के कारण सरकार की बहुत सी योजनाओं के बारे में उन्हें जानकारी नहीं मिल पाती। कई बार आपात स्थिति में वह अकेले रह जाते हैं। वैसे तो दलित समुदाय से संबंधित उद्योगपति अलग-अलग संगठनों के साथ जुड़े हुए हैं, लेकिन पंजाब में केवल उनकी जाति से संबंधित उद्यमियों का कोई प्लेटफार्म नहीं है। पंजाब हमेशा से नई क्रांति का वाहक रहा है। इसलिए इस संगठन का गठन करने से पहले पंजाब के बठिंडा, अमृतसर, जालंधर, लुधियाना जिलों में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करके दलित समुदाय के उद्यमियों को एकजुट किया गया है। पंजाब में अब तक सौ से अधिक दलित उद्यमी इस संगठन के साथ जुड़ चुके हैं, जिनमें स्पोर्ट्स, पैट्रोलियम तथा लैदर समेत अन्य कई क्षेत्रों के कारोबारी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि दलित समुदाय का अलग प्लेटफार्म खड़ा होने के बाद अब इस बैनर तले आने वाले उद्यमी सरकार के साथ मिलकर पॉलिसी मेकर तथा सुझाव देने वाली भूमिका में आएंगे। डिक्की के गठन का मुख्य उद्देश्य इस समुदाय के पढ़े-लिखे युवाओं को स्टार्टअप के रूप में प्रमोट करना, सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करना तथा आरक्षण के माध्यम से नौकरी हासिल करने के पीछे भागने की बजाय नौकरी प्रदान करने वाली सोच पैदा करना है। उन्होंने बताया कि इस चैंबर से जुड़े लोग अपने साथ ऐसे युवाओं को जोड़ेंगे, जिन्हें रोजगार प्रदान करने के अलावा स्वरोजगार के क्षेत्र में भी उतारा जाए। आने वाले समय में चैंबर के प्रचार-प्रसार हेतु पंजाब के कई जिलों में जागरूकता सेमिनार का भी आयोजन किया जाएगा, ताकि दलित समुदाय केवल नौकरी हासिल करने की बजाए नौकरी प्रदान करने वाली भूमिका में भी खड़ा हो सके। पंजाब में भी होगा कास्ट फ्री इंडिया मैराथन का आयोजन
डिक्की में उत्तरी भारत के अध्यक्ष संजीव डांगी ने बताया कि यह चैंबर इस समय देश के 26 राज्यों में चल रहा है। करीब 11 हजार लोग इसके साथ जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि हैदराबाद समेत विभिन्न स्थानों पर हर साल बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के जन्म दिवस के अवसर पर 14 अप्रैल को कास्ट फ्री इंडिया मैराथन का आयोजन किया जाता है। भविष्य में इस तरह के आयोजन पंजाब में भी किए जाएंगे।