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सीनेटर्स के लिए चिकन मटन तो स्टूडेंट्स के लिए आलू गोभी क्यों

पंजाब यूनिवर्सिटी में जंक फूड बंद करने के आदेश के बाद हॉस्टलों में नॉन वेज शुरू करने का मुद्दा उठ गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 04:38 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 04:38 PM (IST)
सीनेटर्स के लिए चिकन मटन तो स्टूडेंट्स के लिए आलू गोभी क्यों
सीनेटर्स के लिए चिकन मटन तो स्टूडेंट्स के लिए आलू गोभी क्यों

डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी में जंक फूड बंद करने के आदेश के बाद हॉस्टलों में नॉन वेज शुरू करने का मुद्दा उठ गया है। स्टूडेंट काउंसिल की प्रेजीडेंट व समेत सभी चारों पदाधिकारियों ने डीएसडबल्यू के सामने खाने में नॉन वेज शामिल करने को कहा है। ज्यादातर छात्र संगठन भी इसके समर्थन में हैं। सब ने साफ कर दिया है मैस के खाने में प्रोटीन नहीं मिल रहा है। इसको शुरू किया जाना चाहिए। साथ में यह भी सामने आ रहा है सीनेट की बैठक में नॉन वेज बनता है तो स्टूडेंट्स के लिए क्यों नॉन वेज नहीं बनना चाहिए । मामले को लेकर प्रेसीडेंट कनुप्रिया और वाइस प्रेसीडेंट का पद जीतने वाले संगठन आइएसए के प्रेसीडेंट करण रंधावा के सामने इसकी माग रखी। उन्होंने का कि इसमें आपत्ति क्या है। जो नहीं खाते हैं, उस हिसाब से उनके लिए मैस में अलग से वैज खाना परोसने के प्रबंध किए जाएं। हालाकि फरवरी 2017 में कैंटिन में नॉन वेज बनने के चलते जुर्माना लग चुका है। पीयू की मुख्य मार्केट में कच्चा मास बेचा जाता है और अधिकारिक रूप से इसको अनुमति है।

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मामले पर सभी छात्र संगठन एकजुट

मामले को लेकर सभी संगठन एकजुट आ रहे हैं। इसको लेकर संगठनों के सीनियर लीडर्स से भी बातचीत की गई। एसएफएस के हरमन, एबीवीपी के कुशल कौंडल, इनसो के रमन ढाका व रजत नैन, आइएसए के करण रंधावा, एनएसयूआइ के हरिंदर जोनी और सोई के गुरपाल ने इसको लेकर सहमति दी। सबने कहा कि इसको लेकर मैनेजमेंट सही तरीके व साफ सफाई के साथ होना चाहिए। हर बैटक में नॉन वेज परोसा जाता है, स्टूडेंट्स से क्या आपत्ति

सीनेट की हर बैठक में मास परोसा जाता है। ऐसा लंबे समय से हो रहा है। इसको लेकर भी छात्र संगठन कह रहे हैें कि खाने में भी फर्क करना। जब सीनेट बॉडी के खाने में मास का प्रावधान है तो स्टूडेंट्स के लिए क्यों नहीं हो सकता है। नॉर्थ इस्ट व पंजाब के स्टूडेंट् खाते हैं सबसे ज्यादा

संगठनों का यह भी कहना है कि करीब 800 से 1000 स्टूडेंट्स नॉर्थ इस्ट राज्यों से हैं। उनकी फूड हेबिट मे ये मुख्य रूप से शामिल है। खाने में यह नहीं होने से वो जुड़ाव नहीं महसूस कर पाते। पंजाब के स्टूडेंट्स का भी एक बड़ा हिस्सा नॉन वेज खाता है तो इसको शुरू करने में क्या दिक्कत है। स्टूडेंट्स के खाने में नॉन वेज होना चाहिए। जंक फूड बंद करने की बात कर रहे हैं लेकिन यहा तो खाना ही जंक फूड जैसा हो गया है। प्रोटीन वाला खाना थाली से गायब है। अंडा तक सही से नहीं मिलता।

कनुप्रिया, प्रेसीडेंट स्टूडेंट काउंसलिंग पीयू में नॉन वेज होना चाहिए लेकिन यह जगह मैस या कैंटीन में नहीं बनना चाहिए। इसके लिए कोई एक जगह निर्धारित हो, जो नहीं खाते उनकी भावनाओं का भी सम्मान होना चाहिए। खाने में प्रोटीन की भारी कमी है।

दलेर सिंह, वाइस प्रेसीडेंट, स्टूडेंट काउंसिल

नॉन वेज जरुर बनाना चाहिए। खाने में पोषक तत्वों की कमी को यह पूरा करता है। जंक फूड की बजाय यह ठीक है।

अमरिंदर सिंह , सेक्रेटरी, स्टूडेंट काउंसिल

नॉन वेज बनना चाहिए। इसको वेज खाने से दूर रखा चाहिए। अलग बर्तनों में बनना चाहिए। पौष्टिक आहार मिलना चाहिए जो कि नहीं मिल रहा है। खाने में वैराइटी भी नहीं है।

विपुल अत्रे, ज्वाइंट सेक्रेटरी, स्टूडेंट काउंसिल

काउंसिल व संगठन मुझे प्रेजेंटेशन दे दें, मैं कमेटी बना कर इसकी मीटिंग बुला लेता हूं।

प्रो एम्युनल नाहर, डीएसडबल्यू


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