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अमेरिका की धमकियों से डरने का वक्त नहीं, देश सबसे पहले : अनीश भनोट

कोरोना वायरस से अमेरिका अब घुटनों पर आ गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 09:22 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 06:11 AM (IST)
अमेरिका की धमकियों से डरने का वक्त नहीं, देश सबसे पहले : अनीश भनोट
अमेरिका की धमकियों से डरने का वक्त नहीं, देश सबसे पहले : अनीश भनोट

डॉ. सुमित सिंह श्योराण, चंडीगढ़ : कोरोना वायरस से अमेरिका अब घुटनों पर आ गया है। दुनिया की बेहतर मेडिकल सुविधाओं के बाद भी कोरोना से वहां मौतों का सिलसिला रुक नहीं रहा है। भारत ने हमेशा अमेरिका से बेहतर रिश्ते निभाए हैं लेकिन आज अमेरिका द्वारा कोरोना के लिए भारत द्वारा दवा नहीं देने पर देख लेने की धमकी का हमें जवाब देना चाहिए। यह कहना है मरणोपरांत नीरजा भनोट के भाई अनीश भनोट का। 1986 में नीरजा ने हाईजैक हुई फ्लाइट में भारतीयों के साथ ही अमेरिकी नागरिकों की जान बचाते हुए शहीद हो गई थी। मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारत के खिलाफ विवादित टिप्पणी के बाद अनीश भनोट ने प्रधानमंत्री को ट्वीट और पत्र लिखकर कोरोना वायरस के लिए जरूरी दवा को अमेरिका को नहीं देने की मांग की है। दैनिक जागरण से बातचीत में अनीश ने कहा कि कोरोना से सिर्फ अमेरिका ही नहीं भारत भी मुश्किल दौर से गुजर रहा है। 130 करोड़ भारतीयों के लिए ही पर्याप्त दवा नहीं है। ऐसे में अमेरिका को एंटी मलेरिया दवा की सप्लाई कैसे की जा सकती है। अमेरिकी यात्रियों में ही बांट दिया पूरा पैसा

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अनीश बताते हैं कि कराची में हाईजैक हुई विमान में यात्रा कर रहे भारतीयों के साथ भी भेदभाव हुआ था। अमेरिकी यात्रियों को इलाज के लिए फाइव स्टार अस्पताल में ले जाया गया, जबकि भारतीय और अन्य देश के नागरिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। घटना के बाद दिए गए मुआवजे को सिर्फ अमेरिकी नागरिकों में ही बांट दिया गया। चंडीगढ़ की बहादुर नीरजा को मिला था अशोक चक्र

नीरजा का जन्म सात सितंबर 1963 को चंडीगढ़ में हुआ था। नीरजा का परिवार चंडीगढ़ के ही सेक्टर-46 में रहता है। अनीश बताते हैं कि नीरजा ने शुरु से ही एयरहोस्टेस बनने का फैसला कर लिया था। जिसके बाद परिवार ने भी उसे पूरा सहयोग दिया। नीरजा भनोट पैन एम फ्लाइट -73 में फ्लाइट अटेंडेंट के रूप में कार्यरत थी। पांच सितंबर 1986 में कराची एयरपोर्ट पर आतंकवादियों द्वारा जहाज के अपहरण के बाद उन्होंने पूरी सूझबूझ से यात्रियों को बचा लिया लेकिन वह खुद आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गई। नीरजा को अदम्य साहस के लिए केवल 23 साल की उम्र में मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा गया था। हर साल दो महिलाओं को नीरजा बहादुरी पुरस्कार

नीरजा बेटियों के लिए बहादुरी की मिसाल बन चुकी हैं। भनोट परिवार द्वारा हर साल नीरजा की याद में नीरजा भनोट पैन एएम-नीरजा अवॉर्ड दिया जाता है। यह अवॉर्ड समाज के लिए संघर्ष करने वाली महिलाओं को दिया जाता है। नीरजा भनोट के जीवन पर 2016 में फिल्म बनी थी जोकि हिट रही और फिल्म ने 150 करोड़ के करीब मुनाफा कमाया था। फिल्म में बेहतर अभिनय के लिए अभिनेत्री सोनम कपूर को नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है।


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