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अब ईको फ्रेंडली शवदाह सिस्टम से होंगे अंतिम संस्कार

इंसान की मृत्यु के बाद उसके अंतिम संस्कार में आठ घंटे और पांच क्विंटल लकड़ी लगे यह जरूरी नहीं है क्योंकि आइआइटी रोपड़ ने तैयार किया है ईको फ्रेंडली शवदाह सिस्टम।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Oct 2021 06:25 AM (IST)Updated: Fri, 08 Oct 2021 03:35 PM (IST)
अब ईको फ्रेंडली शवदाह सिस्टम से होंगे अंतिम संस्कार
अब ईको फ्रेंडली शवदाह सिस्टम से होंगे अंतिम संस्कार

सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़

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इंसान की मृत्यु के बाद उसके अंतिम संस्कार में आठ घंटे और पांच क्विंटल लकड़ी लगे यह जरूरी नहीं है, क्योंकि आइआइटी रोपड़ ने तैयार किया है ईको फ्रेंडली शवदाह सिस्टम। ईको फ्रेंडली शवदाह सिस्टम इलेक्ट्रिकल शवदाह मशीन जैसा है। जिसमें ढाई से तीन क्विटल लकड़ी और तीन घंटे में अंतिम संस्कार पूरा हो जाएगा। यह सिस्टम आइआइटी रोपड़ के प्रोफेसर हरप्रीत सिंह द्वारा तैयार किया गया है। ईको फ्रेंडली शवदाह को तैयार करने का मुख्य उद्देश्य लकड़ी को बचाने से लेकर प्रदूषण को भी कम करना रहा है। संस्कार के समय नहीं उठेगा धुआं :

ईको फ्रेंडली शवदाह सिस्टम विक-स्टोव की तकनीक पर आधारित है। शवदाह सिस्टम में मृत शरीर को रखकर जलाने से धुआं नहीं निकलेगा बल्कि विक स्टोव की तर्ज पर धुआं 90 फीसद तक कम हो जाएगा। धुआं कम से होने से जहां पर पर्यावरण में फैलने वाला गंदा धुआं रुकेगा उसके साथ ही मृत शरीर आम श्मशान घाट के मुकाबले आधे समय में जलकर खत्म हो जाएगा। ईको फ्रेंडली शवदाह सिस्टम को मंजूरी देने के लिए भारत सरकार को भी दिया गया। इसका उद्देश्य सिर्फ पेड़ों को बचाना और पर्यावरण में फैल रहे प्रदूषण को खत्म करना है।

आइआइटी रोपड़ की तरफ से तैयार किए गए सिस्टम को अमलीजामा चीमा बॉयलर रोपड़ की तरफ से दिया गया है। ईको फ्रेंडली शवदाह सिस्टम तैयार होने के बाद अब तक सात सिस्टम पंजाब, दिल्ली और देश के विभिन्न शहरों में जा चुके है और वहां पर काम चल रहा है। चीमा बॉयलर के प्रबंधक हरजिदर सिंह चीमा ने बताया कि इस सिस्टम को तैयार करने के लिए आठ से दस घंटे का समय लगता है और इसकी कीमत तीन लाख रूपये आती है। इसके अंदर इस्तेमाल किए जा रहे पुर्जे दस साल तक खराब नहीं होते, यदि पुर्जे खराब होने जैसी स्थिति आती है तो सभी पार्ट आसानी से मार्केट में उपलब्ध है। अभी तक होशियारपुर के अलावा गुडगांव, नोएडा सहित विभिन्न राज्यों में सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है।


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