सिंथेटिक ट्रैक बिछाने की एनआइएस से नहीं मिली अप्रूवल
स्पोर्ट्स कांप्लेक्स सेक्टर-7 में सिंथेटिक ट्रैक बनने की राह आसान नहीं दिख रही है।
विकास शर्मा, चंडीगढ़ : स्पोर्ट्स कांप्लेक्स सेक्टर-7 में सिंथेटिक ट्रैक बनने की राह आसान नहीं दिख रही है। आलम यह है कि जो फाइलें पहले जहां प्रशासन के ऑफिसों में धूल फांक रही थी, वही फाइलें अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स पटियाला के कार्यालय में पड़ी हुई हैं। स्पोर्ट्स सेक्रेटरी केके यादव ने बताया कि हमने तमाम तरह की औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं और अब स्पोर्ट्स कांप्लेक्स सेक्टर-7 में सिंथेटिक ट्रैक बिछाने की फाइल अप्रूवल के लिए एनआइएस पटियाला में भेजी हुई है। उम्मीद है कि अगले दो-तीन हफ्तों में हमें फाइनल अप्रूवल मिल जाएगी जिसके बाद प्रशासन का इंजीनियरिग डिपार्टमेंट सिंथेटिक ट्रैक बिछाने का काम शुरू कर देगा। इससे पहले हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी ने जताया था ऑब्जेक्शन
स्पोर्ट्स कांप्लेक्स सेक्टर-7 में बनने वाले सिंथेटिक ट्रैक के निर्माण को लेकर एक के बाद एक अड़चनें आती रही हैं। इससे पहले हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी ने नक्शा पास करने को लेकर इसके निर्माण में अड़ंगा डाला था तब प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने पहल करते हुए तमाम अधिकारियों को इसमें सहयोग करने को कहा था। यूटी स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट के डायरेक्टर तेजदीप सिंह सैनी ने बताया कि हमने स्पोर्ट्स कांप्लेक्स सेक्टर-7 में सिंथेटिक ट्रैक बनाने को लेकर स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट ने अपनी तरफ से तमाम तरह की औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। अब इंजीनियरिग डिपार्टमेंट की तरफ से इसका निर्माण कार्य शुरू होना बाकी है। उम्मीद है कि इसका काम जल्द शुरू हो जाएगा। शहर में नहीं है एक भी सिंथेटिक ट्रैक
एथलीट प्रकाश ने बताया कि शहर में एक भी सिंथेटिक ट्रैक नहीं है। जिस वजह से खिलाड़ियों को मजबूरन कच्चे ट्रैक पर दौड़ना पड़ता है। कच्चा ट्रैक मिट्टी व सीमेंट से बना होता है जिससे बारिश या गीला होने पर दौड़ने से चोट लगने का डर रहता है। इसलिए खिलाड़ी अपनी लय में प्रेक्टिस नहीं कर पाते हैं और लय बिगड़ने से वह अपनी प्रेक्टिस में पिछड़ जाते हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के तमाम टूर्नामेंट सिंथेटिक ट्रैक पर होते हैं। ऐसे में जब भी कोई बड़ा टूर्नामेंट होता है तो हमें प्रेक्टिस करने के लिए पंचकूला जाना पड़ता है। इससे हमारे समय की काफी बर्बादी होती है। इसके अलावा सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि हम कच्चे ट्रैक पर प्रेक्टिस करते हैं जब भी कोई बड़ा टूर्नामेंट होता है तो सिंथेटिक ट्रैक पर दौड़ने का अभ्यास नहीं होने की वजह से हमारी वह स्पीड नहीं बन पाती और हम पिछड़ जाते हैं। मिल्खा सिंह भी कर चुके हैं कई बार मांग
उड़नसिख पद्मश्री मिल्खा सिंह भी कई मंचों से खिलाड़ियों के लिए सिंथेटिक ट्रैक जल्द बनाने की मांग कर चुके हैं। मिल्खा सिंह कहते हैं कि दौड़ ही सब खेलों की मां है जब खिलाड़ी दौड़ लगाएंगे तो उनकी फिटनेस अच्छी होगी और फिटनेस अच्छी होगी तो खिलाड़ी चाहे किसी भी खेल में हों, मेडल जरूर आएंगे। इसलिए शहर में जल्द से जल्द सिंथेटिक ट्रैक बनाया जाना चाहिए।