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चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों का हाल, दिव्यांग स्टूडेंट्स के लिए न टीचर्स और न ही मूलभूत सुविधाएं

चंडीगढ़ में 114 सरकारी स्कूल हैं। इन स्कूलों में तीन हजार से ज्यादा दिव्यांग स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं। यह स्टूडेंट्स विभिन्न प्रकार की दिव्यांगता से ग्रस्त हैं। लेकिन हैरानी इस बात की है कि इन स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए मात्र 23 शिक्षक ही हैं।

By Ankesh KumarEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 03:23 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 03:23 PM (IST)
चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों का हाल, दिव्यांग स्टूडेंट्स के लिए न टीचर्स और न ही मूलभूत सुविधाएं
शहर के स्कूलों में तीन हजार से ज्यादा दिव्यांग स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं।

चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। दिव्यांग समाज में बराबरी हासिल कर सके इसके लिए भारत सरकार की तरफ से दिव्यांगता को क्लासिफाइड करने के साथ वर्ष 2016 में कानून, अधिकार और कर्तव्य तो बना दिए हैं। बावजूद शहर के दिव्यांगों का सबसे बड़ा सवाल है कि वह सब मिलेंगे कैसे। शहर में 114 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें 20 प्रकार की दिव्यांगता के साथ तीन हजार से ज्यादा दिव्यांग स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं।

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हैरानी की बात यह है कि 20 प्रकार के दिव्यांग स्टूडेंट्स काे पढ़ाने के लिए सिर्फ पांच प्रकार की दिव्यांगता के विशेषज्ञ नियुक्त हैं। चंडीगढ़ प्रशासन ने भारत सकार से अन्य 15 प्रकार की दिव्यांगता को पढ़ाकर बराबरी का हक देने के लिए नवंबर 2019 में एमएचआरडी को प्लान भेजा, जिसमें 100 टीचर्स की नियुक्ति का प्रपोजल था। 6 जनवरी 2020 को 96 टीचर्स को भर्ती करने की मंजूरी मिली। एक साल में प्रशासन और शिक्षा विभाग उन सीटों को भरने के लिए नोटिफाई ही नहीं कर पाया है। ऐसे में स्टूडेंट्स भी इंतजार में हैं कि उनके टीचर कब आएंगे और उन्हें पढ़ाएंगे ताकि वह समाज की बराबरी का हक हासिल कर सके।

पांच प्रकार की दिव्यांगता के विशेषज्ञ

शिक्षा विभाग के पास तीन हजार स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए 23 टीचर्स हैं लेकिन वह सुनने, देखने में अक्षम, मेंटल लर्निंग और स्कीन से जुड़ी दिव्यांगता वाले विशेषज्ञ हैं। बोलने, चलने, लिखने, से लेकर लो विजन वाले स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए कोई विशेषज्ञ शिक्षक नहीं है। कागजों में उन स्टूडेंट्स की पढ़ाई हो सके इसके लिए जेबीटी टीचर्स की ड्यूटी लगाई गई है जो कि अपनी नॉर्मल क्लास के साथ दिव्यांग स्टूडेंट्स को पढ़ाई कराने की कोशिश कर रहे हैं। विशेषज्ञ की मानें तो उनकी पढ़ाई नाम तक ही सीमित है।

नहीं है मूलभूत सुविधाएं

शहर के 114 सरकारी स्कूलों में से 60 से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जिनमें दिव्यांग स्टूडेंट्स के लिए मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। स्कूलों में न तो रैंप की सुविधा है और न ही विशेष शौचालय। स्कूल प्रिंसिपल इन सुविधाओं के लिए कई बार विभाग को भी लिख चुके हैं लेकिन वह अपील विभाग के आला अधिकारियों और इंजीनियरिंग विभाग के बीच फंसकर रह जाती है। दिसंबर 2020 में चंडीगढ़ कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट ने चेयरपर्सन के नेतृत्व में स्कूलों का निरीक्षण किया था, जिसके बाद शिक्षा विभाग और इंजीनियरिंग विभाग को मूलभूत सुविधाएं देने के अपील की गई थी। लेकिन तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं हो सका है।


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