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Tokyo Olympics 2020: जीव मिल्खा सिंह बोले- आज पिता जिंदा होते उनकी आंखों से खुशी के आंसू बहते

Tokyo Olympics 2020 जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा द्वारा टोक्यो ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर इंटनेशनल गोल्फर जीव मिल्खा सिंह ने कहा कि आज पिता (उड़न सिख मिल्खा सिंह) जिंदा होते तो वह भावुक होकर खुशी में उनकी आंखों से आंसू निकल जाते।

By Edited By: Published: Sat, 07 Aug 2021 11:53 PM (IST)Updated: Sun, 08 Aug 2021 09:50 AM (IST)
Tokyo Olympics 2020: जीव मिल्खा सिंह बोले- आज पिता जिंदा होते उनकी आंखों से खुशी के आंसू बहते
उड़न सिख पद्मश्री मिल्खा सिंह के बेटे इंटरनेशनल गोल्फर पद्मश्री जीव मिल्खा सिंह। (फाइल फोटो)

विकास शर्मा, चंडीगढ़। उड़न सिख पद्मश्री मिल्खा सिंह अक्सर जीते-जी कहा करते थे कि रोम ओलिंपिक से पहले उन्होंने दुनिया भर में 80 दौड़ में हिस्सा लिया था, इनमें उन्होंने 77 जीतीं थी। जो एक रिकार्ड बन गया था। सारी दुनिया ये उम्मीदें लगा रही थी कि रोम ओलिंपिक में 400 मीटर की दौड़ मिल्खा ही जीतेगा। मैं अपनी गलती की वजह से मेडल नहीं जीत सका। मैं इतने सालों से इंतजार कर रहा हूं कि कोई दूसरा इंडियन वह कारनामा कर दिखाए, जिसे करते-करते मैं चूक गया था। इसी साल 18 जून (50 दिन पहले ) को अधूरे सपने के साथ मिल्खा सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनका 60 साल का इंतजार शनिवार को उस समय खत्म हो गया, जब नीरज चोपड़ा ने 87.58 मीटर जैवलिन थ्रो कर प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल किया।

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नीरज से पहले एथलीट ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में अभी तक कोई भी एथलीट्स यह कारनामा नहीं कर पाया था। नीरज चोपड़ा ने इतिहास रचते हुए गोल्ड मेडल जीतकर करोड़ों भारतीयों का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। जीव मिल्खा बोले आज पिता जिंदा होते तो झूम उठते। उड़न सिख पद्मश्री मिल्खा सिंह के बेटे इंटरनेशनल गोल्फर पद्मश्री जीव मिल्खा सिंह ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि आज पिता जिंदा होते तो उनकी आंखों से खुशी के आंसू बहते, उनकी खुशी का कोई ठिकाना न होता। आज उनका सालों पुराना सपना नीरज ने पूरा कर दिया है। मैं खुद आज इस पल को महसूस कर गौरवांवित महसूस कर रहा हूं। मैं जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा की मेहनत और जज्बे को सलाम करता हूं। ईश्वर उन्हें हमेशा सलामत रखे।

नीरज चोपड़ा बनेंगे एथलीट्स के रोल मॉडल

मिल्खा सिंह कहते थे कि अगर रोम ओलंपिक में मैं मेडल जीत जाता तो आज देश में जमैका की तरह हर घर से एथलीट्स निकलते। मैं रोम में मेडल जीतने से नहीं चूका, बल्कि मैं इस देश को रोल मॉडल और सपने देने से चूक गया था। पीटी ऊषा और श्रीराम सिंह जैसे एथलीट भी मेडल जीतने से चूक गए, जिनसे देश को खासी उम्मीदें थीं। अगर हम मेडल जीत गए होते तो एथलेटिक्स गेम्स के प्रति भी युवाओं में वह आकर्षण होता जो ध्यानचंद के समय हॉकी का और 1983 में क्रिकेट व‌र्ल्ड कप जीतने के बाद क्रिकेट का था। यकीनन अब देश को नीरज चोपड़ा के तौर पर एथलीट्स को रोल मॉडल मिलेगा।

इससे पहले अभिनव बिंद्रा ने जीता था गोल्ड मेडल

ओलिंपिक की इंडविजुअल गेम्स में अभी तक दो ही खिलाड़ियों ने गोल्ड मेडल जीता है। इससे पहले बी¨जग ओलंपिक-2008 की 10 मीटर एयर राइफल प्रतियोगिता में शूटर अभिनव ¨बद्रा ने गोल्ड मेडल जीता था। ओ¨लपिक खेलों में 13 साल बाद पहला नीरज चोपड़ा ने देश के लिए दूसरा व एथलेटिक्स गेम्म में पहला गोल्ड मेडल जीता है। बता दें ओलिंपिक में खेलते हुए भारत ने सबसे ज्यादा हॉकी में आठ गोल्ड मेडल जीते हैं।


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