Move to Jagran APP

क‌र्फ्यू के बीच नगर निगम का कार्यकाल पूरा, अब एडमिनिस्ट्रेटर संभालेगा काम

शनिवार को मोहाली नगर निगम के पहले मेयर कुलवंत सिंह ने अंतिम दिन पार्षदों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग से नगर निगम की अंतिम बैठक की।

By Edited By: Published: Sat, 25 Apr 2020 09:42 PM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2020 08:33 AM (IST)
क‌र्फ्यू के बीच नगर निगम का कार्यकाल पूरा, अब एडमिनिस्ट्रेटर संभालेगा काम
क‌र्फ्यू के बीच नगर निगम का कार्यकाल पूरा, अब एडमिनिस्ट्रेटर संभालेगा काम

मोहाली, [रोहित कुमार]। पंजाब में क‌र्फ्यू के बीच मोहाली नगर निगम का पांच वर्ष का कार्यकाल शनिवार को खत्म हो गया। सोमवार से निगम के कमिश्नर कमल कुमार गर्ग एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर काम संभालेंगे। सरकार उन्हें एडमिनिस्ट्रेटर लगाने की नोटिफिकेशन भी जारी कर चुकी है। शनिवार को मोहाली नगर निगम के पहले मेयर कुलवंत सिंह ने अंतिम दिन पार्षदों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग से नगर निगम की अंतिम बैठक की। रविवार को छुट्टी है। इस लिए सोमवार से अब एडमिनिस्ट्रेटर काम संभालेगा। क‌र्फ्यू के बाद जल्द ही दूसरी नगर निगम का चुनाव होने की उम्मीद है।

loksabha election banner

प्रूनिंग मशीन की राजनीति को लेकर दुख

मेयर कुलवंत सिंह ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान 311 करोड़ रुपये का खर्च किए गए हैं। जोकि सबसे ज्यादा है। उन्होंने कहा इस राशि से अमृत स्कीम, सीवरेज का अपग्रेडेशन, सॉलिड बेस्ड मैनजमेंट प्लांट उपलब्धियां शामिल हैं। लेकिन प्रू¨नग मशीन को लेकर जो राजनीति हुई उसका दुख रहेगा। कुलवंत ने कहा कि शहर की साफ सफाई को देखने दूसरे राज्यों के नगर निगम व परिषदों के पार्षद भी यहां आए। लोगों के लिए हर काम किया गया।

ये है मोहाली नगर निगम का सफर

वर्ष 2010 में कांग्रेस की सत्तासीन नगर परिषद को समय से पहले ही अकाली सरकार ने भंग कर दिया था। 31 दिसंबर 2010 को परिषद की जगह शहर में निगम बनाने का ऐलान कर दिया था। एक जनवरी 2011 से निगम का एडमिनिस्ट्रेटर लगा दिया गया था तब से लेकर 2015 तक पूरा नगर निगम बिना चुनाव करवाए एडमिनिस्ट्रेटर के सहारे ही अकाली सरकार चलाती रही है। फरवरी 2015 में निगम के लिए चुनाव करवाया गया था। उसमें अकाली दल सत्ता पाने में कामयाब रहा। बलवंत सिंह रामूवालिया अकाली दल का मेयर बनाने के लिए जोड़-तोड़ करने में जुटे रहे थे। बलवंत सिंह रामूवालिया के अकाली दल छोड़ यूपी में मंत्री बनने के बाद कुलवंत सिंह दोबारा से अकाली दल में आए थे।

25 अप्रैल को सभी पार्षदों ने ली थी शपथ

शहर के पहले नगर निगम को लेकर 22 फरवरी 2015 में चुनाव हुआ था और 25 फरवरी को मतदान का परिणाम आया था। जिसके बाद करीब दो महीने तक ऐसी खींचतान चली कि अकाली अपना मेयर बनना चाहते थे, लेकिन कुलवंत ¨सह का आजाद ग्रुप जो अकाली दल से बलवंत सिंह रामूवालिया से अलग होकर निगम चुनाव लड़ा था। कांग्रेस और दो बागी आजाद चुनाव लड़ने वाले अकालियों के साथ मिलकर 25 अप्रैल 2015 को मेयर बनाने का दावा किया था। उसी दिन सभी पार्षदों ने शपथ ली थी और अकाली पार्षदों द्वारा हंगामा किए जाने के चलते बैठक को स्थगित कर दिया गया था और मात्र शपथ ही हो पाई थी।

अकाली दल था सत्ता में

इस समय नगर निगम पर अकाली दल सत्तासीन है। मेयर कुलवंत ¨सह अकाली दल में शामिल हो गए थे। पिछले तीन वर्षो में कांग्रेस सरकार बनने के बावजूद अकाली और कांग्रेसियों में निगम को लेकर खींचतान रही है। इसमें पूर्व मेयर कुलवंत की पूर्व स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का मेयर पर प्रूनिंग मशीन को लेकर हमला हो या स्थानीय विधायक बलबीर सिंह सिद्धू के साथ मंत्री बनने के बाद विकास कार्यों को लेकर विवाद हो। अकाली-भाजपा पार्षद शहर में रुके हुए विकास कार्यों के प्रस्तावों को रोकने का पूरा कारण मंत्री बलबीर ¨सह सिद्धू को मानते हैं। विकास कार्यों के टेंडरों पर रोक को लेकर लगातार विरोध होता रहा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.