चंडीगढ़ सेक्टर-13 के नगर निगम सब आफिस का हाल, शौचालय में फैली गंदगी, इन पर कौन करे कार्रवाई
चंडीगढ़ के सेक्टर 13 स्थित नगर निगम के सब आफिस में बने शौचालय में गंदगी इस कदर फैली हुई है कि यहां स्वस्थ आदमी भी बीमार हो जाए। सरकारी कार्यालय का ऐसा हाल अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़ा करता है।
मनीमाजरा, [करमजीत परवाना]। चंडीगढ़ में कोरोना संक्रमण का खरता बढ़ता देख प्रशासन लोगों पर सख्ती बरत रहा है और नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी अमल में लाई जा रही है। वहीं दूसरी सेक्टर 13 मनीमाजरा स्थित नगर निगम के सब आफिस में इन नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बावजूद निगम के इस सब आफिस पर कोई कार्रवाई करने वाला नहीं है। कार्यालय में बनाए पब्लिक टायलेट इतने गंदे हैं कि उन्हें देख कर ऐसा लगता है कि नगर निगम के आफिस में आने वाले लोगों के लिए निगम खुद ही कोरोना को आमंत्रित कर रहा हो। बार बार अधिकारियों को इसके बारे में शिकायत देने के बाद भी किसी भी अधिकारी ने इस ओर ध्यान देने की कोशिश तक नहीं की।
उल्लेखनीय है कि नगर निगम की सेनेटरी टीम को इलाके के लोगों ने कई बार बुलाकर कोरोना काल में अच्छा काम करने के लिए सम्मानित भी कर चुकी है। लेकिन यह टीम अपने ही आफिस में साफ सफाई रखने में नाकाम साबित हुई है। पब्लिक टायलेट हालत यह है कि यहां से गुजरने वाले लोगों को बदबू के कारण नाक बंद करना निकलना पड़ता है।
सरकारी आफिस की भी जाए जांच
इस बारे में समाजसेवी रामेश्वर गिरी का कहना है कि वैसे तो प्रशासन और पुलिस विभाग आम लोगों को कोरोना की पूरी गाइडलाइन न मनाने पर उन पर कार्रवाई करते हैं। आम लोगों की छोटी से भूल को भी पुलिस तुरंत कार्रवाई कर देती है। परंतु नगर निगम के दफ्तर में कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। उस ओर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा । प्रशासन द्वारा बनाई गई टीमों को सरकारी आफिस में जाकर भी चेकिंग करनी चाहिए ताकि निगम के कर्मचारियों को भी गाइडलाइन पालन का भय बना रहे।
कानून सबके लिए बराबर
गिरी ने कहा कि कानून सबके लिए एक सामान है। अगर आम आदमी नियमों का पालन नहीं करता तो पुलिस और नगर निगम उसके खिलाफ कार्रवाई करने में कोई कोताई नहीं बरतते। ऐसे में अगर नगर निगम खुद कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं करता तो पुलिस और प्रशासन को इसके पीछे जो भी जिम्मेदार उसके खिलाफ कार्रवाही करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वो इस मामले को प्रशासक तक लेकर जाएंगे। ताकि दोषियों को इसकी सजा मिल सके।