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प्रगति व उन्नति करते-करते हम अपनों से पिछड़ रहे हैंः मुनि विनय कुमार आलोक

चंडीगढ़ में मुनि विनय कुमार आलोक ने अणु व्रत भवन सेक्टर 24 के तुलसी सभागार में प्रवचन किए। उन्होंने कहा कि हमें खुद तय करना होगा कि हमारा स्नेह प्रेम और आत्मीय उस मोबाइल गैजेट्स के लिए है जिसे हमने बनाया है या उनके लिए है जिन्हें हमने बनाया है।

By Vinay kumarEdited By: Published: Sat, 06 Feb 2021 09:08 AM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2021 09:08 AM (IST)
प्रगति व उन्नति करते-करते हम अपनों से पिछड़ रहे हैंः मुनि विनय कुमार आलोक
चंडीगढ़ में प्रवचन करते हुए मुनि विनय कुमार आलोक।

चंडीगढ़, जेएनएन। हम जितनी मर्जी तरक्की उन्नति कर लें, लेकिन अगर अपनों से हम दूर हो रहे हैं तो वह प्रगति किसी काम की नहीं है। पहले खुद से मिलकर अपनों से प्रेम की डोर को मजबूत करिये, फिर दुनिया में प्रगति करें। यह शब्द मुनि विनय कुमार आलोक ने अणु व्रत भवन सेक्टर 24 के तुलसी सभागार में कहे। उन्होंने कहा कि हमें खुद तय करना होगा कि हमारा स्नेह, प्रेम और आत्मीय उस मोबाइल, गैजेट्स के लिए है, जिसे हमने बनाया है या उनके लिए है, जिन्हें हमने बनाया है। जिनसे हम बने हैं! आप किसी ऐसी चीज का नाम बता सकते हैं, जो जिंदगी का पर्यायवाची हो! संभवत: नहीं, क्योंकि जिंदगी एक ही है, उसके जैसी दूसरी कोई चीज नहीं। इसलिए उसका कोई पर्यायवाची भी नहीं। जिसके जैसा कोई दूसरा नहीं, वह तो अनमोल हुई, उसकी तो दिन रात ‘बलइयां’ लेते रहना चाहिए, लेकिन यह क्या हम उसे सहेज कर रखने की जगह उसकी हर दिन परीक्षा लिए जा रहे हैं।

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भला अनमोल, अद्भुत और बड़ी शिद्दत से मिली चीजों के साथ ऐसे कोई व्यवहार करता है, जैसा हम किए जा रहे हैं। हम अपने जीवन को खुद मुश्किल बनाने में जुटे हुए हैं। डॉक्टर बता रहे हैं कि दिल पर बोझ ज्यादा पड़ता जा रहा है, वह तनाव में है। जरा! उसकी खबर लीजिए लेकिन हम तो मोबाइल हाथ में लेकर गूगल पर उसे दुरूस्त करने में जुट जाते हैं। जबकि अब दुनियाभर में साबित होता जा रहा है कि मोबाइल और गैजेट्स जीवन पर हावी होते जा रहे हैं। हम उनका उपयोग नहीं कर रहे, बल्कि वह हमारा उपभोग किए जा रहे हैं।

मुनि विनय कुमार ने कहा दुनिया की बातें छोड़िए अपने देश, पड़ोस की बातें सुनिए, समझिए। इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस की रिपोर्ट बताती है कि हमारे युवा हर दिन छह घंटे से अधिक मोबाइल से चिपके रहते हैं। यह युवा कोई और नहीं, कोई आपका भाई, बेटा, बेटी, बहन, दोस्त और रिश्तेदार ही तो है। यह रिपोर्ट बताती है कि हम दिनभर में औसतन 150 बार फोन चेक करते हैं।

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