पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार बहुकोणीय मुकाबला, अभी किसी दल ने घोषित नहीं किया सीएम फेस
Punjab Election 2022 पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार बहुकोणीय मुकाबला है। कांग्रेस आम आदमी पार्टी शिअद-बसपा गठबंधन भाजपा कैप्टन की लोक कांग्रेस व शिअद संयुक्त के साथ गठबंधन में किसानों का मोर्चा भी चुनाव लड़ रहा है।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार बहुकोणीय मुकाबला होता नजर आ रहा है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि अभी तक किसी भी दल ने अपने मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा नहीं की है। हालांकि आज आम आदमी पार्टी के सह प्रभारी राघव चडढा ने घोषणा की है कि मंगलवार को राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा कर देंगे, लेकिन अभी तक पार्टी में चेहरे को लेकर असमजंस बना हुआ है। पार्टी ने सीएम के चेहरे पर पंजाब के लोगों से रायशुमारी भी की है जिसमें 15 लाख से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया है।
इसी तरह शिरोमणि अकाली दल और बसपा गठजोड़ ने भी अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। हालांकि शिरोमणि अकाली दल के पास सुखबीर बादल चेहरा हैं, लेकिन पार्टी ने अधिकारिक रूप से अभी इसकी घोषणा नहीं की है। चूंकि इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने एक बार फिर से राजनीतिक सक्रियता बढ़ा दी है और वह हर रोज चार से पांच गांव में प्रचार के लिए जा रहे हैं। ऐसे में उनके लंबी से लड़ने की प्रबल संभावना बन गई है।
सुखबीर बादल शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी के लिए धुंआंधार प्रचार कर रहे हैं, लेकिन अभी तक बड़े टकसाली नेता उनके साथ नहीं चल पा रहे हैं। उन्होंने हिंदू डिप्टी सीएम बनाने की भी घोषणा की है। इस वर्ग का सुखबीर पर उतना भरोसा नहीं है जितना अकाली दल के सरपरस्त प्रकाश सिंह बादल पर है। इसीलिए पार्टी ने अभी तक उनके सीएम के चेहरे की अधिकारिक घोषणा न करके फिर से प्रकाश सिंह बादल को चुपके से आगे कर दिया है।
भारतीय जनता पार्टी, पंजाब लोक कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल संयुक्त गठजोड़ के पास भी फिलहाल मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं है। चूंकि अभी तक भाजपा केवल 23 सीटों पर ही लड़ती आई है और पहली बार 60 से ज्यादा सीटें लड़ने का मन बनाया हुआ है, लेकिन फिलहाल पार्टी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है । अगर गठजोड़ की बात करें तो कैप्टन अमरिंदर सिंह चेहरा बन सकते हैं, लेकिन अगर उनके पास ज्यादा सीटें ही नहीं होंगी तो उनके नाम पर मुहर लगना भी संभव नहीं होगा, इसीलिए भाजपा ने तो स्पष्ट ही कर दिया है कि चुनाव के बाद ही पार्टी अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करेगी।
सत्तारूढ कांग्रेस की हालत सबसे बुरी है। हालांकि पार्टी की रवायत है कि मौजूदा मुख्यमंत्री के नाम पर ही पार्टी चुनाव में उतरती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री के साथ-साथ प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू भी प्रबल दावेदार के रूप में सामने हैं। पार्टी दोनों में से किसी एक का नाम मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने का रिस्क नहीं उठा रही है, क्योंकि उनके नेता जानते हैं कि अगर किसी एक को सीएम उम्मीदवार घोषित कर दिया तो दूसरा नाराज होकर घर बैठ जाएगा।
भीतरघात की इसी संभावना को देखते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इन दोनों नामों के अलावा सुनील जाखड़ का नाम भी आगे कर रखा है। अब कांग्रेस में भी चुनाव के बाद ही चेहरा सामने आने की संभावना है। 22 किसान संगठनों के संयुक्त समाज मोर्चा की हालात भी यही है। मोर्चे के पास बलबीर सिंह राजेवाल जैसा सशक्त चेहरा तो है, लेकिन अभी तक तो उम्मीदवारों पर भी 22 संगठनों में सहमति नहीं बनी है इसलिए सीएम चेहरा भी उन्होंने घोषित नहीं किया है।