'अनोखी' बीमारी से बेटे की मौत के बाद चंडीगढ़ की शिक्षिका ने बनाया ट्रस्ट, बन गई सैकड़ों की मां
ये हैं सेवानिवृत्त शिक्षिका ऊषा मेहता। बेटे की मौत के बाद वह टूट गई थी लेकिन फिर उन्होंने किसी तरह खुद को संभाला और समाज सेवा का बीड़ा उठा। आज वह बेटे के कोचिंग सेंटर को संभाल जरूरतमंदों की सेवा कर रही हैं।
चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। सेवानिवृत्त शिक्षिका ऊषा मेहता के लिए उम्र मात्र एक नंबर है। उनमें समाजसेवा के लिए ऐसा जज्बा है कि वह कभी भी जरूरतमंदों की मदद करने से पीछे नहीं हटतीं। 85 वर्षीय ऊषा ने अपने बेटे की याद में समाजसेवा का बीड़ा उठाया है। गंभीर बीमारी के कारण उनके 45 वर्षीय बेटे की मौत हो गई थी। इसके बाद ऊषा मेहता ने बेटे की याद में ट्रस्ट का गठन किया। आज वह इसी ट्रस्ट के जरिये जरूरतमंद मरीजों का इलाज करा रही हैं। इतना ही नहीं वह जरूरतमंद स्टूडेंट्स की पढ़ाई में भी मदद कर रही हैं। वह सेक्टर-15 स्थित अपने घर से ही ट्रस्ट का संचालन करती हैं।
ऊषा के बेटे अरविंद मेहता ने पंजाब यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद एमबीए की और सेक्टर-35 में दोस्तों के साथ मिलकर कोचिंग सेंटर खोला था। मगर इसी बीच अरविंद ज्यादा समय ठीक नहीं रह सका और मल्टीपल सिरोसिस का शिकार हो गया। बेटे की देखभाल के लिए मां के अलावा घर में कोई नहीं था। मां ने जैसे-तैसे बेटे को सहारा दिया, लेकिन इलाज के दौरान ही अरविंद की मौत हो गई।
ऊषा मेहता के घर पर शिक्षण कार्य करते बच्चे। जागरण
बुजुर्ग मां के लिए बेटे अरविंद के अलावा और कोई सहारा नहीं था। बेटे के निधन के बाद वह बिलकुल अकेली हो गईं। इसी बीच, मां ऊषा मेहता को उनका एक स्टूडेंट अशोक बैरी मिला। अशोक बैरी के कहने पर ऊषा मेहता ने बेटे की याद में अरविंद मेहता मेमोरियल ट्रस्ट की शुरुआत की। इसके जरिये विभिन्न प्रकार की एजुकेशन एक्टीविटी कराने के साथ-साथ जरूरतमंद स्टूडेंट्स को एजुकेशनल ट्रिप पर भी लेकर जाने की शुरुआत की गई। वहीं जिन मरीजों के पास इलाज के लिए पैसा न हो तो, उनकी फ्री में दवाई देकर मदद की जाती है।
अरविंद मेहता मेमोरियल ट्रस्ट की कर्ताधर्ता उनकी मां ऊषा मेहता ने बताया कि जब उन्हें बेटे की बीमारी का पता चला तो वह काफी डर गई थीं। आखिरकार बीमारी के कारण उनके बेटे का निधन हो गया। बेटे की याद में आज उन्होंने क्लीनिक खोला हुआ है, जहां पर हम ऐसे मरीज को फ्री दवाई और डॉक्टर मुहैया कराया जाता है, जो खुद इलाज का खर्च वहन नहीं कर सकते।
स्टूडेंट्स के लिए खोला है मल्टीमीडिया रूम
मां और बेटे का सपना स्टूडेंट्स को शिक्षा देना था। ऐसे में मां ऊषा ने खुद के घर में मल्टीमीडिया रूम बनाया हुआ है, जिसमें ट्यूटर भी नियुक्त किया गया है, जो स्टूडेंट्स की पढ़ाई में मदद करता है। स्टूडेंट्स को प्रत्येक रविवार को बुलाकर उन्हें जरूरी जानकारी दी जाती है। इसके अलावा स्टूडेंट्स को प्रकृति से जोड़ा जा सके, इसके लिए भी ट्रस्ट की ओर से विशेष एजुकेशनल ट्रिप हर महीने आयोजित किया जाता है।