रोते हुए पंजाब महिला आयोग में बोली मां, बेटी को 'कोरोना की बेटी' कह कर चिढ़ाते हैं लोग
पंजाब में एक मां ने रोते हुए कहा उसकी बेटी को सब कोरोना की बेटी कहकर चिढ़ाते हैं। वहीं एक इंजीनियर अपनी पत्नी को कोरोना कहकर बुलाता है।
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। कोरोना संक्रमण से लड़कर स्वस्थ होने वालों को अब सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। यह बीमारी उनके लिए मानसिक प्रताड़ना का सबब बन गई है। ऐसी ही एक महिला का दर्द सुनकर पंजाब महिला आयोग की चेयरपर्सन मनीषा गुलाटी भी सन्न रह गई।
महिला ने उन्हें फोन पर बताया, "मुझे कोरोना हो गया था। मैं ठीक भी हो गई, लेकिन मोहल्ले वाले मेरी बेटी को 'कोरोना की बेटी' कहकर पुकारते हैं। आस-पड़ोस के लोग मेरे मुंह पर ऐसे दरवाजा बंद कर देते हैं, जैसे मैं कोई छूत की बीमारी से ग्रसित हूं, जबकि मैं ठीक होकर अस्पताल से वापस भी आ चुकी हूं।"
शिकायत करते समय वह रोने लगीं। मनीषा गुलाटी ने कहा, "मैंने महिला को अपनी शिकायत लिखित में भेजने के लिए कहा है। हालांकि महिला ने शिकायत नहीं की है। जिस महिला ने फोन किया वह पढ़ी-लिखी है व अपर मिडल क्लास से संबंध रखती है। आयोग के पास पहले भी ऐसी शिकायतें आई थीं।"
मोहाली में एक इंजीनियर पति अपनी पत्नी को बार-बार 'कोरोना' कह कर बुलाता है। अगर पढ़-लिख कर भी हमारा समाज नहीं समझ पा रहा तो यह चिंता की बात है। यह नई प्रकार की समस्या है। ऐसी मानसिक प्रताड़ना देने वालों के खिलाफ कानून बनना चाहिए। केंद्र सरकार इस दिशा में तुरंत कदम उठाए।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट..
लोग पहले से ही डरे हुए हैं। ऐसे में अगर कई आंखें आपकी तरफ ऐसे देखने लगें कि आपने कोई अपराध किया है, तो इससे खासी मानसिक प्रताड़ना होती है। महिलाएं जल्द खुद को इससे उबार नहीं पाती हैं। लोगों को समाज को बदलने से पहले खुद को मजबूत करना होगा। -विनीता जोशी, मनोचिकित्सक
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कोरोना होने पर आइसोलेट करने का नियम है। इसके नाम पर किसी को प्रताड़ित या सामाजिक रूप से बहिष्कृत नहीं किया जा सकता। अगर किसी के साथ ऐसा होता है तो उसे तुरंत पुलिस में शिकायत करनी चाहिए। अगर कोरोना के नाम पर भेदभाव होता है तो यह घरेलू हिंसा के दायरे में आएगा। इसमें आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है। -कनिका आहूजा, एडवोकेट, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट