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वाहनो मे लगे आर्मर को अवैध बताने वाले आदेश को चुनौती

पजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मत्रालय को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के आदेश दिए है।

By Edited By: Published: Wed, 24 Jan 2018 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jan 2018 03:17 PM (IST)
वाहनो मे लगे आर्मर को अवैध बताने वाले आदेश को चुनौती
वाहनो मे लगे आर्मर को अवैध बताने वाले आदेश को चुनौती
 राज्य ब्यूरो, चडीगढ़: पजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मत्रालय को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के आदेश दिए है। मत्रालय ने देश भर मे सभी वाहनो के आगे लगे आर्मर्स और बुल बॉर्स को प्रतिबधित करने के लिए 7 दिसबर को देश के सभी राज्यो और केद्र शासित प्रदेशो को पत्र लिखा था। <ढ्डह्म> चडीगढ़ निवासी सुनील भसीन ने सीनियर एडवोकेट अनमोल रतन सिह सिद्धू के जरिये याचिका दाखिल करते हुए कहा कि केद्र सरकार की ओर से जारी यह पत्र पूरी तरह से अवैध है। पत्र के जरिये कहा गया है कि जिन भी वाहनो कारो या जीपो पर इस तरह से अलग से गा‌र्ड्स, आर्मर्स या बुलबॉर्स लगाए गए है, उनके खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट-1988 की धारा-52 के तहत कार्रवाई की जाए। याचिकाकर्ता के अनुसार इस एक्ट मे इस तरह के गा‌र्ड्स, आर्मर्स, या बुलबॉर्स के बारे मे कोई जिक्र तक नही किया गया है। बावजूद इसके केद्र सरकार ने इस एक्ट के तहत इन पर पाबंदी लगा दी है, जो कानून के तहत पूरी तरह गलत है। याचिकाकर्ता के अनुसार केद्र सरकार के इस फरमान से उन सभी गा‌र्ड्स, आर्मर्स और बुलबॉर्स के निर्माताओ का व्यवसाय ही चौपट हो जाएगा, जो इस या तो इसकी मेनुफेक्चरिग करते है या रॉ मेटीरियल तैयार करते है। याचिका के अनुसार अब तो कई कार निर्माता कपनिया भी कारो मे यह आर्मर्स और गा‌र्ड्स लगा कर बेच रही है। केद्र सरकार का यह कहना कि वाहनो मे लगे यह गा‌र्ड्स बेहद ही घातक है, पूरी तरह से गलत है। लिहाजा, याचिकाकर्ता ने केद्रीय मत्रालय की ओर से 7 दिसबर को जारी इस पत्र को रद किए जाने की माग की है।

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