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पंजाब की ब्यूरोक्रेसी पर ज्यादा भरोसा कैप्टन अमरिंदर को पड़ा भारी, झेलना पड़ा साथियाें का भी विरोध

पंजाब कांग्रेस में खींचतान की बड़ी वजह राज्‍य की नौकरशाही भी मानी जा रही है। मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह को ब्‍यूरोक्रेसी पर ज्‍यादा भरोसा करना भारी पड़ गया और उनको अपने करीबियों का भी विरोध झेलना पड़ा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 11:16 AM (IST)Updated: Thu, 22 Jul 2021 07:28 AM (IST)
पंजाब की ब्यूरोक्रेसी पर ज्यादा भरोसा कैप्टन अमरिंदर को पड़ा भारी, झेलना पड़ा साथियाें का भी विरोध
पंजाब सीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार और मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, राज्‍य ब्यूरो। Rift in Punjab Congress: पंजाब कांग्रेस के अंतर्कलह का बड़ा कारण राज्‍य की नौकरशाही (Bureaucracy) को भी माना जा रह है। दरअसल मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर काे राज्‍य की नौकरीशाही पर काफी अधिक भरोसा करना भारी पड़ गया। कई मौके ऐसे आए जब कैप्‍टन मंत्रियों और कांग्रेस नेताओं से विवाद के मामले में नौकरशाही के पक्ष में खड़े दिखे। चाहे वह मुख्‍यमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार का हो या पूर्व मुख्‍य सचिव करण अवतार सिंह का मामला हो, कैप्‍टन अफसराें के साथ नजर आए।

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विधायकों व मंत्रियों की मांग को दरकिनार किया जाना विरोध का कारण

पाटी में विवाद काे लेकर हुई 'सुनवाई' में हाईकमान के पास कई नेताओं ने सरकार की कारगुजारी पर सवाल उठाए। करीब डेढ़ महीने से जारी अंतर्कलह के के बीच नवजोत सिंह सिद्धूको पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया गया। जानकारों के अनुसार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोध का एक बड़ा कारण नेताओं के बजाय कैप्टन की ओर से ब्यूरोक्रेसी पर ज्यादा भरोसा करना भी रहा। अब कांग्रेस के अंदर इस बात को लेकर भी चर्चा है कि अगर कैप्टन ने समय रहते ब्यूरोक्रेसी के बजाय नेताओं की मांगों और बातों पर ध्यान दिया होता तो अब असहज न होते।

हाई कोर्ट की ओर से कोटकपूरा गोलीकांड को लेकर आए फैसले से शुरू हुए विवाद के बाद नवजोत सिंह सिद्धू समेत मंत्री सुख¨जदर रंधावा ने अपनी ही सरकार हल्ला बोलना शुरू किया। कैप्टन इस रवैये से इतने नाराज हुए कि एक कैबिनेट बैठक में ही एक मंत्री को जमकर डांटा। साथ ही कहा कि जो मंत्री बनकर काम नहीं कर सकते वह जा सकते हैं।

कई मौकों पर ब्यूरोक्रेट्स का साथ देते नजर आए कैप्टन

अंतर्कलह बढ़ा तो पार्टी हाईकमान ने मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी। कमेटी के गठन के साथ ही मंत्रियों और विधायकों को ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ भड़ास निकालने का मौका मिल गया। सिंचाई मंत्री सुखबिंदर सिंह सरकारिया सहित कुछ मंत्रियों और विधायकों ने तो कैप्टन के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरेश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

सरकारिया और सुरेश कुमार के मामले में कैप्टन अमरिंदर ने सुरेश कुमार का साथ दिया जिससे सरकारिया नाराज हो गए। इससे पहले तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पूर्व चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह के खिलाफ शराब नीति को लेकर नाराज रहे।

वित्त मंत्री मनप्रीत बादल भी उनके साथ थ। दोनों ने कैबिनेट मीटिंग में बैठने तक से इन्कार कर दिया। परंतु तब भी कैप्टन ने करण अवतार ¨सह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में उन्हें वाटर रेगुलेटरी अथारिटी का चेयरमैन बना दिया।

दूसरी तरफ चुनाव नजदीक आते देख विधायक पंजाब निर्माण योजना के तहत अपने-अपने हलकों के लिए 25-25 करोड़ रुपये में मांग रहे हैं। इसे लेकर भी ब्यूरोक्रेसी और विधायकों के बीच में तनी हुई है। ब्यूरोक्रेसी उन्हें प्रोजेक्ट आधारित पैसा देने की बात कर रही है जबकि विधायक चाहते हैं कि वह तय करें कि कहां, कैसे और कितना पैसा लगाया जाना है। वहीं कई मंत्रियों और विधायकों को शिकायत है जिलों में उनकी पसंद के अफसर नहीं लगाए जा रहे हैं। उन जिलों में यह ज्यादा दिक्कत है जहां जिले से दो-दो मंत्री हैं।

कइयों की दिक्कत इससे अलग है। पूर्व मंत्री और कपूरथला के विधायक राणा गुरजीत सिंह ने मीडिया से बात करते हुए जिले में एसएसपी रहीं कंवरदीप कौर को लेकर आरोप लगाए थे कि उन्होंने एक नशा तस्कर के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा तो एसएसपी ने ऐसा नहीं किया।

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पिछले साल नवांशहर के विधायक अंगद सिंह ने पुलिस विभाग के अधिकारियों के खिलाफ प्रदेश सरकार को शिकायत की थी कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। उन्होंने एसडीएम नवांशहर जगदीश सिंह जौहल के खिलाफ भी शिकायत की थी। इसी तरह जालंधर वेस्ट के विधायक सुशील रिंकू ने नगर निगम में ज्वाइंट कमिश्नर रहीं आशिका जैन के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर मोर्चा खोल दिया था। लुधियाना नार्थ से विधायक राकेश पांडे ने भी आरोप लगाए थे कि निगम कमिश्नर उनके क्षेत्र के पार्षदों के विकास कार्य नहीं करवाते हैं।

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