कोरोना ने भुलाए रिश्ते, मोक्ष के लिए एक साल पड़ी रही अस्थियां, मोहाली की संस्था ने किया जलप्रवाह
मोहाली के श्मशानघाट में एक साल से रखी गई 20 लोगों की अस्थियों को लेने कोई नहीं आया। इन मृतकों के अपनों ने ही उनसे मुंह फेर लिया। एक साल से अस्थियां मोहाली के श्मशानघाट के लॉकरों में पड़ी थी।
जागरण संवाददाता, मोहाली। कोरोना महामारी के दौरान दुनिया भर में लाखों लोगों ने संक्रमण से अपनी जान गंवाई है। वहीं, कई लोगों ने अपनों को खो दिया। महामारी का दौर ऐसा था कि कोरोना से मरने वालों के अपने भी उनका संस्कार नहीं कर पाए। प्रशासनिक अमला और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी मृतकों का संस्कार करते थे और उनकी अस्थियों को श्मशानघाट में ही रखा जाता था। उसके बाद परिवार के लोग उनकी अस्थियों को लेकर जाते थे। लेकिन मोहाली के श्मशानघाट में एक साल से रखी गई 20 लोगों की अस्थियों को लेने कोई नहीं आया। इन मृतकों के अपनों ने ही उनसे मुंह फेर लिया। एक साल से अस्थियां मोहाली के श्मशानघाट के लॉकरों में पड़ी थी। इनमें 10 के करीब लोगों की कोविड से मौत हुई थी जबकि कुछ की सड़क हादसों में मौत हुई थी। मृतकों को मोक्ष दिलाने के लिए इनकी अस्थियों को मोहाली के वार्ड नंबर-14 के पार्षद कमलजीत सिंह बनी और जुगनी वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष दविंदर सिंह जुगनी के संयुक्त प्रयास कीरतपुर साहिब में जलप्रवाहित किया गया।
डिप्टी मेयर कुलजीत सिंह बेदी श्मशानघाट पहुंचे। बेदी ने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि कोरोना से मरने वालों के अस्थियां उनके परिवारों के सदस्य लेकर नहीं गए। बेदी ने दविंदर सिंह जुगनी और पार्षद कमलप्रीत सिंह बनी और उनके सहयोगियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इन युवाओं की बदौलत सभी को मुक्ति मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी समाजसेवा है कि ऐसे लोगों के अस्थियों को जल प्रवाहित किया गया जिनके अपनों ने उनको छोड़ दिया। कम से कम इस दुनिया से जाने के बाद उनका अपमान न हो।
पार्षद कमलप्रीत सिंह ने बताया कि उन्हें श्मशानघाट के कर्मचारियों ने सूचित किया कि यहां लॉकर में कोरोना काल में मारे गए लोगों की अस्थियां पड़ी हैं। इसके बाद उन्होंने जुगनी वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष दविंदर सिंह जुगनी और उनके सहयोगियों से इस बारे बात की। इसके बाद अस्थियों को जलप्रवाह करने का फैसला लिया गया। जुगनी वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष दविंदर सिंह जुगनी ने कहा कि यह अफ़सोस की बात है कि ये अस्थियां लंबे समय से जहां पड़ी थी, लेकिन कुछ कर्मचारियों की अपनी बाध्यताएं हैं। उन्हें अस्थियों को कुछ समय के लिए यहां रखना पड़ता है। जिस व्यक्ति का नाम अस्थियों पर अंकित है, उसके नाम की पर्ची कीरतपुर साहिब में काट कर शमशान के कर्मचारियों को दी जाएगी। ताकि भविष्य में उनका कोई भी यहां आए तो उसके बारे में पता चले कि अस्थियां जल प्रवाह कर दी गई हैं।