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Mohali Nagar Nigam Result 2021: 35 सीटों पर जीत के साथ कांग्रेस का निगम पर कब्जा; पूर्व मेयर कुलवंत हारे, बेटा जीता

Mohali Municipal Corporation Election Result 2021 मोहाली नगर निगम चुनाव के नतीजे घोषित हो चुके हैं। कुल 50 वार्डों की काउंटिंग पूरी हो चुकी है। आजाद ग्रुप के मुखिया व पूर्व मेयर कुलवंत सिंह को हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस ने 37 सीटों पर कब्जा किया है।

By Ankesh KumarEdited By: Published: Thu, 18 Feb 2021 01:18 PM (IST)Updated: Thu, 18 Feb 2021 06:41 PM (IST)
Mohali Nagar Nigam Result 2021: 35 सीटों पर जीत के साथ कांग्रेस का निगम पर कब्जा; पूर्व मेयर कुलवंत हारे, बेटा जीता
वार्ड-10 के कांग्रेस प्रत्याशी और पंजाब सेहत मंत्री के भाई अमरजीत सिंह जीती जीत के बाद समर्थकों के साथ।

मोहाली [रोहित कुमार]। Mohali Municipal Corporation Election Result 2021 मोहाली नगर निगम चुनाव में दूसरी बार आजाद ग्रुप बनाकर चुनाव मैदान में उतरे पूर्व मेयर कुलवंत सिंह 267 वोट से चुनाव हार गए, लेकिन उनके बेटे सरबजीत सिंह चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं। राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है कि आजाद ग्रुप आने वाले विधानसभा चुनाव में शिअद व दूसरे दलों के लिए सिरदर्द बन सकता है। आजाद ग्रुप के 11 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। दो वार्डों से आजाद खड़े उम्मीदवारों को भी जीत मिली है। वहीं, बाकी 37 सीटों पर कांग्रेस ने बाजी मारी है। 

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चुनाव जीत के बाद ढोल की थाप पर नाचते कांग्रेस उम्मीदवार और उनके समर्थक।

कुलवंत सिंह के बेटे सरबजीत सिंह के सिर भी जीत का ताज सजा है। 2015 में नगर निगम में कांग्रेस की मदद से ही पूर्व मेयर कुलवंत सिंह ने सत्ता हासिल की थी और मेयर की कुर्सी पर काबिज हुए थे। लेकिन इस बार मुकाबला सीधा सीधा कांग्रेस के साथ था। उधर आजाद ग्रुप के उम्मीदवार जोकि चुनाव हार गए उनका आरोप था कि ये चुनाव कांग्रेस फर्जी वोटों से जीता। वार्ड नंबर 10 उम्मीदवार परमजीत सिंह काहलो ने आरोप लगाया कि ये जीत झूठी जीत है क्योंकि फर्जी वोटों से जीते है।

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जीत के बाद समर्थकों के साथ सेहत मंत्री के भाई जीती मूछों को ताव देते।

मोहाली नगर निगम का सफर

वर्ष 2010 में कांग्रेस की सत्तासीन नगर परिषद को समय से पहले ही अकाली सरकार ने भंग कर दिया था। 31 दिसंबर 2010 को परिषद की जगह शहर में निगम बनाने का एलान कर दिया था। एक जनवरी 2011 से निगम का एडमिनिस्ट्रेटर लगा दिया गया था, तब से लेकर 2015 तक पूरा नगर निगम बिना चुनाव करवाए एडमिनिस्ट्रेटर के सहारे ही अकाली सरकार चलाती रही है। फरवरी 2015 में निगम के लिए चुनाव करवाया गया था। उसमें अकाली दल सत्ता पाने में कामयाब रहा। बलवंत सिंह रामूवालिया अकाली दल का मेयर बनाने के लिए जोड़-तोड़ करने में जुटे रहे थे। बलवंत सिंह रामूवालिया के अकाली दल छोड़ यूपी में मंत्री बनने के बाद कुलवंत सिंह दोबारा से अकाली दल में आए थे।

25 अप्रैल 2015 को सभी पार्षदों ने ली थी शपथ

शहर के पहले नगर निगम के लिए 22 फरवरी 2015 में चुनाव हुआ था और 25 फरवरी को मतदान का परिणाम आया था। इसके बाद करीब दो महीने तक ऐसी खींचतान चली कि अकाली अपना मेयर बनना चाहते थे, लेकिन कुलवंत सिंह का आजाद ग्रुप जो अकाली दल से बलवंत सिंह रामूवालिया से अलग होकर निगम चुनाव लड़ा था। कांग्रेस और दो बागी आजाद चुनाव लड़ने वाले अकालियों के साथ मिलकर 25 अप्रैल 2015 को मेयर बनाने का दावा किया था। उसी दिन सभी पार्षदों ने शपथ ली थी और अकाली पार्षदों द्वारा हंगामा किए जाने के चलते बैठक को स्थगित कर दिया गया था और मात्र शपथ ही हो पाई थी।


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