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फेक एनकाउंट में 30 साल बाद मिला इंसाफ, जानें पंजाब पुलिस के रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर मोहाली कोर्ट ने क्या सुनाई सजा

मोहाली स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत ने 30 साल पहले पंजाब में हुए एक फेक पुलिस एनकाउंटर मामले में पंजाब पुलिस के रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर को सजा सुनाई है। पीड़ित परिवार तीस साल के न्याय के लिए अदालत में केस लड़ रहा था जिन्हें अब न्याय मिला है।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 04:55 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 04:55 PM (IST)
फेक एनकाउंट में 30 साल बाद मिला इंसाफ, जानें पंजाब पुलिस के रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर मोहाली कोर्ट ने क्या सुनाई सजा
पंजाब पुलिस के अधिकारियों ने फेक एनकाउंटर में एक युवक को मारा था।

मोहाली, [संदीप कुमार]। मोहाली की विशेष सीबीआइ अदालत ने करीब 30 साल पुराने एक फेक पुलिस एनकाउंटर (Fake Police Encounter) मामले में पंजाब पुलिस के रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर के सजा सुनाई है। दोषी अमरीक सिंह (उस समय के एएसआइ) को 10 साल की सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपित पर 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। दोषी अमरीक सिंह के खिलाफ बुधवार को ही आरोप तय हो गए थे। वहीं, इस मामले में मुख्य आरोपित रिटायर्ड इंस्पेक्टर वस्सन सिंह की मौत हो चुकी है। उस समय वह ब्यास थाने में बतौर एसएचओ तैनात था।

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आरोप के मुताबिक पुलिस ने एक सिख नौजवान गुरबिंदर सिंह को घर से उठाकर उसे पुलिस एनकाउंटर में मार दिया था। पीड़ित परिवार के वकील पुषपिंदर सिंह नत्त ने बताया कि साल 1992 में पंजाब पुलिस ने ब्यास के रहने वाले व्यक्ति चन्नण सिंह को 21 जुलाई 1992 की शाम को घर से उठाकर जालंधर के एक थाने में रखा और उसे बुरी तरह टॉर्चर किया। इसके दो 2 दिन बाद पुलिस ने चन्नण सिंह के बेटे गुरबिंदर सिंह को जालंधर में रहते उसके भाई स्वर्ण सिंह के घर से उठा साथ ले गई। इसके बाद पुलिस ने चन्नण सिंह को छोड़ दिया। 24 जुलाई को पुलिस ने गुरबिंदर सिंह को पुलिस एनकाउंटर में मारा हुआ बताकर उसके केस की फाइल बंद कर दी। तब से पीड़ित परिवार ने इसे हत्या बताते हुए जिम्मेदार पुलिस अफसरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए सरकार और पुलिस के उच्च अधिकारियों से इंसाफ की अपील की, पर कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद जसवंत सिंह खालड़ा कमेटी ने केस आगे भेजा और पीड़ित परिवार ने इंसाफ दिलाने के लिए उच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया।

5 साल बाद 1997 में इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गई। सीबीआइ ने जांच के बाद पंजाब पुलिस के इंस्पेक्टर अमरीक सिंह व सब वस्सन सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया। इस मामले की सुनवाई मोहाली की विशेष सीबीआइ जज हरिंदर कौर सिद्धू की अदालत में चल रही थी। सीबीआई द्वारा 2002 में आरोपित पुलिस अफसरों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी। बुधवार को अदालत में केस की सुनवाई दौरान पूर्व इंस्पेक्टर अमरीक सिंह व पूर्व सब इंस्पेक्टर वस्सन सिंह को दोषी करार दिया था। वीरवार सुबह अमरीक सिंह को अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई है। 

पीड़ित परिवार बोला- भले ही फैसला लेट आया लेकिन हमें न्याय मिला  

वहीं, अदालत में पहुंचे मृतक के भाई परमिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें 30 साल का लंबा संघर्ष करना पड़ा। बेशक फैसला लेट आया है पर वह अदालत के फैसले से खुश हैं। 30 साल बाद परिवार को न्याय मिला है। उन्होंने कहा कि दोषियों ने मेरे बेकसूर भाई को मारा था, यह दोषियों के लिए कम सजा है। ऐसे जुर्म करने वालों को बड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि ऐसा किसी परिवार के साथ न हो।


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