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डीजल के बढ़े दाम के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार: जाखड़

-मनमोहन सरकार में 53.39 रुपये प्रति लीटर थी जालंधर में डीजल की कीमत --- राज्य ब्यूरो, चंड

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 07:44 PM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 07:44 PM (IST)
डीजल के बढ़े दाम के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार: जाखड़
डीजल के बढ़े दाम के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार: जाखड़

-मनमोहन सरकार में 53.39 रुपये प्रति लीटर थी जालंधर में डीजल की कीमत ---

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राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़: पंजाब काग्रेस अध्यक्ष एवं गुरदासपुर से सासद सुनील जाखड़ ने कहा है कि पेट्रोल व डीजल की बढ़ी कीमतों के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि क्रूडऑयल की कीमत कम होने के बाद भी देश के लोगों को महंगी दरों पर पेट्रोल व डीजल मिल रहा है। लोकसभा में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान के जवाब ने केंद्र सरकार की पोल खोल दी है। जाखड़ ने कहा कि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तो 2014 में क्रूडऑयल की कीमत 106.19 डॉलर प्रति बैरल थी। उस समय केंद्र सरकार केंद्रीय शुल्क के रूप में केवल 3.56 रुपये प्रति लीटर टैक्स लेती थी। इसके चलते जालंधर में डीजल की कीमत 53.39 रुपये प्रति लीटर थी। उन्होंने कहा कि 2016 में क्रूड आयल की कीमत 46.96 डॉलर प्रति बैरल थी, तब भी मौजूदा केंद्र सरकार के हैवी टैक्स के चलते 54.18 रुपये में डीजल बिक रहा था, क्योंकि केंद्रीय शुल्क बढ़ाकर 17.33 रुपये कर दिया गया था।

जाखड़ ने कहा कि मई 2018 में कू्रड ऑयल 75.31 डालर प्रति बैरल में था तो डीजल की कीमत 65.92 रुपये थी, क्योंकि केंद्रीय शुल्क 15.33 रुपये था। जाखड़ ने कहा कि केंद्र सरकार की नीति इस बारे में पारदर्शी नहीं है। इसके चलते लोगों की जेब कट रही है और सरकार का खजाना भर रहा है साथ ही इस खेल में शामिल में कुछ घरानों के वारे न्यारे हो रहे हैं। राफेल को लेकर गुमराह कर रहे शाह

जाखड़ ने राफेल विमान सौदे को लेकर आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह इस सौदे को लेकर गुमराह कर रहे हैं। जाखड़ ने आरोप लगाया है कि भाजपा को देश की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं है। उन्होंने राफेल सौदे की जाच के लिए संयुक्त संसदीय कमेटी (जेपीसी) बनाए जाने की मांग की है। यह सौदा भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार में पूरी तरह लिप्त है। राफेल की खरीद भाजपा के लिए सिर्फ एक सौदा है, लेकिन काग्रेस के लिए यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। देश इनको अनदेखा नहीं कर सकता । इस विवादपूर्ण समझौते के बारे में जानने का हर देशवासी को अधिकार है।


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