पॉवर सेक्टर पर मंडरा रहा निजीकरण का खतरा, बिजली संशोधन बिल रद करे मोदी सरकार: कांग्रेस
छाबड़ा ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन पहले ही महंगी बिजली दे रहा है और ऊपर से नगर निगम अब प्रति यूनिट एमसी टैक्स लेने लग गया है।
चंडीगढ़, जेएनएन। कांग्रेस ने बिजली संशोधन बिल का विरोध करते हुए केंद्र सरकार से इसे रद करने की मांग की है। कांग्रेस का कहना कि घरों में स्मार्ट मीटर लगा बिजली विभाग के निजीकरण की साजिश की जा रही है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार बड़े-बड़े व्यवसायियों के हाथों बिजली विभाग देना चाहती है।
चंडीगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा ने सवाल करते है छाबड़ा ने कहा कि सरकार आपके घर प्रीपेड वाले स्मार्ट मीटर आपके घरों में क्यों लगवाए जा रहे है? मोदी सरकार चाहती है कि बिजली क्षेत्र पूरी तरह से प्राइवेट हाथों में चला जाए और निजी बिजली कंपनियों को लूटने का खुला लाइसेंस मिल जाए। छाबड़ा ने आगे कहा कि इस कानून के लागू होने पर सब्सिडी और क्रास सब्सिडी आने वाले तीन सालो में समाप्त हो जाएगी। अभी किसानों, गरीबी रेखा के नीचे और 500 यूनिट प्रति माह बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को सब्सिडी मिलती है, जिसके चलते इन उपभोक्ताओं को लागत से कम मूल्य पर बिजली मिल रही है। नई नीति और निजीकरण के बाद सब्सिडी समाप्त होने से उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी हो जाएगी और प्राइवेट कंपनियां मनमाने रेट पर बिजली बेचेंगी।
छाबड़ा ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन पहले ही महंगी बिजली दे रहा है और ऊपर से नगर निगम अब प्रति यूनिट एमसी टैक्स लेने लग गया है। शहरवासियों को कोरोना काल मे बिजली बिल में राहत की बजाय भारी बिल भेजे जा रहे हैं। यह जनता के साथ नाइंसाफी है। बिजली क्षेत्र के निजीकरण के कुछ ही समय बाद सरकारी कंपनियां बाहर हो जाएंगी और निजी कंपनियों का पॉवर सेक्टर पर कब्जा हो जाएगा। प्राइवेट कंपनियों को कोई घाटा न हो, इसीलिए सब्सिडी समाप्त कर घरों मे धड़ाधड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इस बिल के विरोध में देशभर के लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं। इस अमेंडमेंट बिल को लेकर बिजली कर्मचारियों में खासा आक्रोश है। कांग्रेस इस निजीकरण का विरोध करती है और चंडीगढ़ प्रशासन ने मांग करती है जल्द स्मार्ट मीटर लगाना बंद करे अन्यथा पार्टी सड़कों में उतर कर इसका विरोध करेगी।