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मिड-डे मील में बच्चों को दूध और अंडे देने का टेंडर लटका, जानिए क्या है कारण Chandigarh News

विभाग द्वारा मिड-डे मील में ब्रेकफास्ट दिए जाने की योजना को बने हुए काफी समय हो चुका है। ऐसे में इसमें देरी होने से बच्चों का नुकसान हो रहा है।

By Edited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 11:09 PM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 09:51 AM (IST)
मिड-डे मील में बच्चों को दूध और अंडे देने का टेंडर लटका, जानिए क्या है कारण Chandigarh News
मिड-डे मील में बच्चों को दूध और अंडे देने का टेंडर लटका, जानिए क्या है कारण Chandigarh News

चंडीगढ़, जेएनएन। शिक्षा विभाग द्वारा शहर के सभी सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील की योजना चल रही है जो दोपहर के वक्त स्कूलों में परोसा जाता है। उसके अलावा विभाग द्वारा मिड-डे मील में सुबह का नाश्ता देने का भी प्रपोजल बनाया हुआ था। जिसके अंतर्गत बच्चों को दूध, केला और अंडा दिया जाना था। लेकिन अब इस प्रपोजल के सिरे चढ़ने का इंतजार किया जा रहा है। मिड-डे मील के तहत बच्चों को मिलने वाले दूध और अंडे के लिए अभी तक टेंडर पास नहीं हो पाया है। 

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जून में निकाला गया था टेंडर

दूध और अंडों के लिए विभाग ने जून माह में टेंडर अलॉट किया था लेकिन उस समय भी किसी भी कंपनी ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। उसके बाद सितंबर में भी विभाग द्वारा टेंडर के लिए अपनी वेबसाइट पर जानकारी दी गई थी उसके बाद अब विभाग ने टेंडर निकाला। विभाग द्वारा टेंडर आवंटित करने में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है।

दूध के लिए एक तो अंडे के लिए कोई नहीं आया

मिड-डे मील में मिलने वाले खाने के सामान में से केवल केले का टेंडर पास हुआ है। उसके अलावा दूध के लिए सिर्फ वेरका कंपनी ने आवेदन किया है और अंडों के लिए तो विभाग को कंपनी तक नहीं मिल रही है। ऐसे में इस योजना के जल्द शुरू होने की सभी उम्मीदों को जोरदार झटका लगा है। विभाग द्वारा यह योजना बहुत मायने रखती है जिसके सिरे न चढ़ने से विभाग की साख को धक्का लगेगा।

फाइनेंस विभाग से मिल चुका है बजट

योजना के लिए शिक्षा विभाग को करीब पांच करोड़ रुपये का बजट मिल चुका है। उसके बाद सिर्फ टेंडर पास न होने की वजह से योजना ठंडे बस्ते में पड़ी है। बजट के लिए भी फाइल फाइनेंस विभाग के पास काफी देर से लटकी हुई थी।

अगस्त-सितंबर में होनी थी योजना लागू

इस योजना को स्कूलों में अगस्त या फिर सितंबर में लागू किया जाना था। अब नवंबर माह शुरू हो चुका है और योजना का कुछ नहीं पता। योजना जिस तरह से शुरू हुई थी, अभी भी वैसी ही है। चंडीगढ़ के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले 45 हजार बच्चों के लिए रोजाना ब्रेकफास्ट तैयार किया जाएगा। इनमें 27 हजार प्राइमरी और 18 हजार अपर प्राइमरी के बच्चे होंगे। शिक्षा विभाग के पास मिड डे मिल और ब्रेकफास्ट मुहैया कराने के लिए कुल 12 करोड़ का फंड आया है। इनमें से साढ़े पांच करोड़ दूध, अंडों और केले की व्यवस्था में खर्च किया जाएगा।

बच्चों के रोजाना न्यूट्रीशन के लिए यह है मापदंड

नियमानुसार प्राइमरी के बच्चों को 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन, जबकि छठी से आठवीं कक्षा के बच्चों को 700 ग्राम कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन दिया जाना चाहिए। देश के कई राज्यों में सर्वे कराया गया जिसमें यह बात सामने आई कि बच्चों को तय मात्रा से कम मुहैया कराया जा रहा है। अंडे, दूध व केले का ब्रेकफास्ट इसमें काफी सहायक साबित होगा।

विभाग की ओर से टेंडर लगाए गए हैं। दूध के लिए केवल एक कंपनी ने आवेदन किया है जबकि कम से कम तीन कंपनियों के आवेदन आने जरूरी है। अगर तीन कंपनियों के आवेदन नहीं आते हैं तो फिर फैसला फाइनेंस और शिक्षा विभाग के आलाधिकारी लेंगे।

-अनुजीत कौर, डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर

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