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मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल 2021: मेजर चांदपुरी से इंस्पायर पंजाब पुलिस एसपी ने लिखी उनकी बायोग्राफी

Military Literature Festival-2021 1971 भारत-पाक युद्ध के दौरान लोंगेवाल पोस्ट के हीरो मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी (Major Kuldeep Singh Chandpuri) की पंजाब पुलिस के एसपी ने बायोग्राफी लिखी है। जिसका मिलिट्री लिटरेचर फेस्ट कार्यक्रम के दौरान पोस्टर लांच किया गया।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sun, 12 Dec 2021 04:55 PM (IST)Updated: Sun, 12 Dec 2021 04:55 PM (IST)
मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल 2021: मेजर चांदपुरी से इंस्पायर पंजाब पुलिस एसपी ने लिखी उनकी बायोग्राफी
इस बार मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल-2021 में 1971 के भारत-पाक युद्ध की गोल्ड जुबली के तौर पर मनाया जा रहा है।

सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। Military Literature Festival-2021: मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी (Major Kuldeep Singh Chandpuri) से कई बार मिलने का मौका मिला। जब दूसरी बार में उनसे मिला तो मैंने उनसे पूछा कि आपके तीन बेटे हैं उनमें से कोई फौज में क्यों नहीं गया। इस सवाल का उन्होंने ऐसा जवाब दिया कि मैं उनकी बातों का मुरीद हो गया। यह कहना है लोंगोवाल हीरो मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी की बायोग्राफी लिखने वाले पंजाब पुलिस के एसपी गुरजोत सिंह का। एसपी गुरजोत सिंह ने अंगेस्ट आल ओड्स (AGAINST ALL ODDS) नाम से चांदपुरी की बायोग्राफी लिखी है। जिसमें चांदपुरी के जीवन के बारे में पूरी कहानी है।

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बता दें कि इस बार मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल-2021 में 1971 के भारत-पाक युद्ध की गोल्ड जुबली के तौर पर मनाया जा रहा है। इसमें इस युद्ध के बहादुर सैनिकों के बहादुरी के किस्से साझा किए जा रहे हैं। ऐसे में इस फेस्ट में पहुंचे गुरजोत सिंह ने कहा कि मेरे सवाल को सुनते ही मेजर चांदपुरी ने मुझसे ही सवाल कर दिया कि आपके मम्मी-पापा भी डाक्टर हैं आप डाक्टर क्यों नहीं बने। कभी भी मां-बाप को देखकर खुद का करियर तय नहीं होता। जो तुम्हें अच्छा लगता है उसे करोगे तो उसमें तुम सफलता भी पाओगे और खुश भी रहोगे। यह बात सुनते ही मुझे लगा कि मुझे मेजर चांदपुरी के बारे में जानना है। क्योंकि जो इंसान इतिहास बना हो वह अपने बच्चों के लिए ऐसी सोच कैसे रख सकता है। वहीं से मैंने उनसे और उनके परिवार से मिलना शुरू किया और उस मुलाकात में मैंने उनके जन्म से लेकर 1971 भारत-पाक युद्ध के दौरान लोंगोवाल मोर्चे के पूरे किस्से भी उनकी जुबान से सुने।

चांदपुरी ने ठुकराया था कनेडियन आर्मी के आफर

गुरजोत सिंह ने बताया कि मेजर चांदपुरी ने खुद उन्हें बताया था कि कि 1965 में वह आर्मी ट्रेनिंग के लिए रूस गए थे। वहां पर मेजर चांदपुरी की फुर्ती को देखकर कनेडियन सैन्य अधिकारियों ने उन्हें उनकी आर्मी ज्वाइन करने का आफर दिया था, जिसे उन्होंने फटाक से ठुकारा दिया। क्योंकि उनका कहना था कि मैं जन्म के बाद पाकिस्तान में बने एक घर को छोड़ चुका हूं और अब दूसरे को छोड़कर तीसरे में बसने की हिम्मत नहीं है। मैं जिंदा रहूंगा तो अपने देश (भारत) के लिए और अगर मर भी गया तो भी तिरंगे में लिपटकर मरूंगा।

अमेरिका जाने को लेकर पापा ने लगाई थी डांट

बायोग्राफी का पोस्टर लांच कार्यक्रम में पहुंचे कुलदीप सिंह चांदपुरी के बेटे हरदीप चांदपुरी ने बताया कि एमबीए की पढ़ाई के लिए मुझे अमेरिका जाना था, लेकिन मेरा वीजा रिफ्यूज हो गया। शाम के समय मैं पापा के दोस्त के पास बैठा था, जिन्होंने मुझे पूछा कि तुम्हारे अमेरिका जाने का क्या बना ताे मैंने बताया कि वीजा रिफ्यूज हो गया। पापा के दोस्त बोले कि विदेश मंत्री के कार्यालय में मेरे संबंध हैं मैं बात करता हूं, तू अमेरिका जाने की तैयारी कर। मैं उनकी बात सुनकर खड़ा ही हुआ था कि पापा ने डांटकर बोला चुपचाप नीचे बैठ जा। मैंने पूछा क्यों तो पापा बोले कि अमेरिका जाना है तो खुद के दम पर जा। मैं या कोई दूसरा सिफारिश नहीं करेगा। सिफारिश में बाहर जाने से बेहतर है कि अपने देश में रहकर दो वक्त की रोटी खाने जितना कमा ले।


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