प्रशासन के आश्वासन पर भारी पड़ा भगवान का भरोसा
कोरोना वायरस के चलते जारी लॉकडाउन के दौर के बीच पंजाब में इंडस्ट्री और अन्य कार्यस्थल बंद होने से बिहार यूपी जैसे राज्यों से यहां काम कर रहे प्रवासी मजदूरों के सामने पेट भरने का संकट खड़ा हो गया है।
चेतन भगत, कुराली
कोरोना वायरस के चलते जारी लॉकडाउन के दौर के बीच पंजाब में इंडस्ट्री और अन्य कार्यस्थल बंद होने से बिहार, यूपी जैसे राज्यों से यहां काम कर रहे प्रवासी मजदूरों के सामने पेट भरने का संकट खड़ा हो गया है। हालांकि सरकार द्वारा इन प्रवासी मजदूरों को उनके पैतृक राज्यों में भेजने का आश्वासन दिया गया। बावजूद प्रवासी लोग सरकार की बजाय भगवान पर भरोसा रख साइकिलों पर हजारों किलोमीटर का सफर तय करने को विवश हो रहे हैं। साइकिल पर तय करेंगे बारह सौ किलोमीटर का सफर
श्री आनंदपुर साहिब में इंडस्ट्री के पहिए थमने की वजह से रोजी रोटी को मोहताज हुए 13 प्रवासी मजदूर साइकिल पर रविवार सुबह करीब सात बजे कुराली पहुंचे। मजदूरों ने बताया कि पिछले डेढ़ महीने से कारखाने बंद होने से उनके सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। सरकार द्वारा लॉकडाउन की अवधि बार-बार बढ़ाने की वजह से अब उनके लिए यहां जीवन यापन करना बेहद कठिन हो गया है। सरकार ने प्रवासी लोगों को उनके पैतृक गांव तक भिजवाने का आश्वासन दिया था पर कई दिन बीतने के बावजूद गांव जाने का कोई जरिया नहीं बन पाया। लिहाजा उनके सभी साथियों ने सरकार पर लगाई आस को छोड़ भगवान पर भरोसा रखते हुए साइकिल पर ही अपने पैतृक राज्य बिहार के जिला कैमूर भभुआ तक का करीब बारह सौ किलोमीटर का सफर शुरू कर दिया। सोशल डिस्टेंस रखते हुए हफ्ते भर में पहुंचेंगे गांव
प्रवासी मजदूरों के अनुसार गांव तक पहुंचने के लिए उनका लक्ष्य रोजाना 200 किलोमीटर साइकिल चलाने का है जो मौसम एवं शारीरिक क्षमता के अनुरूप कम या ज्यादा हो सकता है। उन्होंने बताया कि वह प्रभु का नाम जपते हुए यहां से दिल्ली, गाजियाबाद, लखनऊ से प्रयागराज होते हुए बिहार में अपने पैतृक जिला कैमूर लगभग एक हफ्ते में पहुंचेंगे। सफर के लिए पास बनवाने के साथ ही रास्ते में खाने पीने के लिए कुछ सामान का प्रबंध करने के अलावा उन्होंने बार बार हाथ धोने के लिए साबुन और मास्क का कुछ स्टॉक साथ रखा है।