सरहद से आए जवानों के लिए संदेश
सैनिकों और नागरिकों को कोई संदेश भेजे तो यकीनन यह खास होगा।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : जम्मू एंड कश्मीर के कारगिल जिले के सीमावर्ती गांव काकसर से स्कूली बच्चे अगर भारतीय सैनिकों और नागरिकों को कोई संदेश भेजे तो यकीनन यह खास होगा। कारगिल जिले का काकसर वह गांव है जहां से साल 1999 में पाकिस्तानी सेना ने महावीर चक्र विजेता सौरभ कालिया को बंधक बनाया था। इस गांव के स्कूल में आए दिन सीमा पार से हमले होते रहते हैं। फायरिग में अब तक 18 बच्चे अकेले इसी स्कूल से मर चुके हैं। बावजूद इसके यह बच्चे इस भरोसे से रोज स्कूल जाते हैं कि भारतीय सेना सीमा पार से आने वाली हर गोली को अपने सीने पर खाएगी। वह पढ़-लिखकर देश की सेवा करेंगे। लेक क्लब में आयोजित मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में इन संदेश पत्रों की प्रदर्शनी लगाने वाले जम्मू-कश्मीर स्टडी सेंटर के प्रमुख जय कुमार ने बताया कि इस प्रदर्शनी में हमने काकसर स्कूल और बारामुला के उरी सेक्टर के सीमावर्ती गांव बलकोट और नामला गांव के स्कूली बच्चों की ड्राइंग व संदेश पत्र प्रदर्शनी में लगाए हैं। इसमें इन बच्चों ने बताया कि कैसे वह मुश्किल हालातों में पढ़ाई कर रहे है। वे कोशिश करते हैं कि यह बच्चे अपने देश को अच्छे से समझ सकें जहां के लोग भी उन लोगों की परेशानियों को समझ सकें। इससे आपसी संबंध बनेंगे जिससे एक मजूबत रिश्ता बनेगा। इनके जज्बे को सलाम
वहीं, डीएवी कॉलेज में पढ़ने वाले मणिपुर के चिगलेनसाना और गीतांजलि ने बताया कि उन्हें इन संदेशों को पढ़ने में काफी मजा आया। इन संदेशों को पढ़कर हम जान सके कि सीमावर्ती इलाकों में पढ़ने वाले बच्चों की क्या दिक्कतें हैं। गीतांजलि ने बताया कि इन संदेश पत्रों में ज्यादातर छात्रों ने सेना और पुलिस में भर्ती होकर देश सेवा करने की बात की है, सच में इन छात्रों जज्बे को सलाम।