Move to Jagran APP

आज भी जिंदा हैं पीयू में साहित्‍य के पितामह की यादें, प्रेरणास्राेत हैं हजारी प्रसाद द्विवेदी

हिंदी साहित्‍य के अमर साहित्‍यकार हजारी प्रसाद द्विवेदी की यादें चंडीगढ़ के पंजाब विश्‍वविद्यालय में आज भी जिंदा हैं। यहां विद्यार्थियों के लिए वह प्रेरणास्रोत हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 19 May 2020 02:00 PM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 02:00 PM (IST)
आज भी जिंदा हैं पीयू में साहित्‍य के पितामह की यादें, प्रेरणास्राेत हैं हजारी प्रसाद द्विवेदी
आज भी जिंदा हैं पीयू में साहित्‍य के पितामह की यादें, प्रेरणास्राेत हैं हजारी प्रसाद द्विवेदी

चंडीगढ़ [डॉ. सुमित सिंह श्योराण]। हिंदी साहित्य के अमर साहित्यकार हजारी प्रसाद द्विवेदी का चंडीगढ़ के पंजाब विश्‍वविद्यालय से गहरा नाता रहा है। उनकी यादें आज भी यहां जिंदा हैं और विद्यार्थियों को प्रेरणा देती हैं। उनको पंजाब यूनिवर्सिटी में हिंदी साहित्य के पितामाह के तौर पर जाना जाता है। उनकी लेखनी के साथ ही उनका जीवन के प्रति नजरिया उन दिनों में उन्हें सबका प्रिय बना देता था।हिंदी साहित्य के इस महान शख्स ने जिंदगी के कुछ साल पंजाब यूनिवर्सिटी कैंपस में बिताए थे और अध्‍यापन किया था।

loksabha election banner

पंजाब यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग में 1960 से 68 तक प्रोफेसर के पद पर रहे

वह 1960 से 1980 तक पंजाब यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग में प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष और टैगोर चेयर पर भी नियुक्त रहे। आज हजारी प्रसाद द्विवेदी की पुण्यतिथि पर जागरण ने हिंदी विभाग और उनसे जुड़े कुछ लोगों से उनसे जुड़ी यादों को ताजा किया। पीयू के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. गुरमीत सिंह ने बताया कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हजारी प्रसाद द्विवेदी को उस समय के कुलपति डॉ. एसी जोशी लेकर आए। उनके सम्मान में प्रो. इंद्रनाथ मदान ने विभागाध्यक्ष पद भी छोड़ दिया, उनका पीयू आना बड़े सम्मान की बात थी।

चंडीगढ़ के पंजाब विश्‍वविद्यालय में लगी हजारी प्रसाद द्विवेदी की स्‍मृति पट्टिका।

उन्‍होंने बताया कि हिंदी के इस विद्वान ने पीयू में रहते हुए कई उपन्यास और लेख लिखे जोकि  अमूल्य धरोहर हैं। उनसे जुड़ी कई यादों को हिंदी विभाग में सहेजकर रखा गया है। द्विवेदी पंजाब यूनिवर्सिटी कैंपस में ही जी कैटेगरी के मकान में रहते थे। कैंपस में उन दिनों चुनिंदा तीन-चार कारें थी। उनके पास एंबेसेडर गाड़ी हुई करती थी, वह उन्हें इतना धीमा चलाते थे कि कैंपस में चर्चा का विषय बन गई। उनके स्टूडेंट्स में सेक्टर-49 पुष्पक सोसायटी में रहने वाले डॉ. जयप्रकाश, साहित्यकार रमेश कुंतल मेघ जैसे लोग रहे हैं। सिटी ब्यूटीफुल में रहते हुए उन्होंने कई उपन्यास सहित हिमाचल की वादियों पर भी काफी कुछ लिखा।

कवि गोष्ठी में जब कवयित्री के पिता को बाहर जाना पड़ा   

प्रो. जयप्रकाश बताते हैं कि द्विवेदी काफी खुले विचारों के थे। एक बार उनके 59वें जन्मदिन पर कैंपस स्थित प्रोफेसर क्वार्टर में ही कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। काफी लोग इसमें शामिल हुए जिसमें कुछ कवयित्री भी आई थी। एक कवयित्री ने कुछ बोल्ड विषय पर कविता पेश करनी थी लेकिन पिता जी के भी गोष्ठी में उपस्थित होने पर वह बोल ही नहीं पा रही थी तब हजारी प्रसाद ने कवयित्री के पिता से कहा कि वह कुछ देर बाहर जाएं तो कार्यक्रम आगे बढ़ाया जा सके। एक बार बारिश में द्विवेदी गाड़ी में ही अपनी कविताएं सुनने लगे। कुछ इस मिजाज के थे साहित्य के सागर द्विवेदी।

------

'' एक महान साहित्यकार के साथ ही द्विवेदी बहुत ही सरल और सहज इंसान थे। मैं एमए में उनका स्टूडेंट रहा। पहले संस्कृत में पीएचडी करना चाहता था लेकिन उनके मार्गदर्शन से हिंदी संकाय में आया। उनका एक अलग ही व्यक्तित्व था। द्विवेदी की जीवन के प्रति बहुत ही सकारात्मक और अपने आसपास के लोगों में ऊर्जा का संचार करते थे। उनके लिखने का अलग ही अंदाज रहा है। पंजाब यूनिवर्सिटी में उनसे जुड़ी कई यादें जुड़ी हैं। वह कार बहुत ही धीमे चलाते थे। 

- प्रोफेसर जयप्रकाश, हजारी प्रसाद द्विवेदी के स्टूडेंट और हिंदी विभाग के पूर्व प्रोफेसर।

''हजारी प्रसाद जैसे विद्वान का हिंदी विभाग से जुड़ाव हम सभी के लिए गौरव की बात है। उन्होंने काफी समय हिंदी विभाग में गुजारा और इसे नई पहचान दी। उनकी यादों को ताजा रखने के लिए बीते नवंबर में ही हिंदी विभाग में उनके नाम की स्मृति पट्टिका लगाई गई है। ताकि आने वाले छात्रों को इस महान शख्स के बारे में जानकारी मिल सके।

                                                                        - डॉ. गुरमीत सिंह, हिंदी विभागाध्यक्ष, पंजाब यूनिवर्सिटी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.