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Punjab Congress: हरीश रावत की कैप्‍टन संग मैराथन बैठक, बोले- मंत्रियाें की नाराजगी दूर करें सीएम

Punjab Congress पंजाब कांग्रेस में मचे घमासान को समाप्‍त करने के लिए चंडीगढ़ पहुंचे पार्टी प्रभारी हरीश रावत अभी मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के साथ बैठक की। उन्‍होंने कहा कि पंजाब के कांग्रेस नेता मीडिया की बजाए पार्टी में अपनी बात रखें।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 01 Sep 2021 01:56 PM (IST)Updated: Wed, 01 Sep 2021 10:16 PM (IST)
Punjab Congress: हरीश रावत की कैप्‍टन संग मैराथन बैठक,  बोले- मंत्रियाें की नाराजगी दूर करें सीएम
चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत। (एएनआइ)

चंडीगढ़, जेएनएन/एएनआइ। Punjab Congress: पंजाब कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत ने मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर के साथ आज मैराथन बैठक की। बताया जाता है कि बैठक में रावत ने कैप्‍टन अमरिंदर स‍े मंत्रियों की नराजगी दूर करने को कहा। बिजली समझौतों के मुद्दे पर रावत ने कहा कि इन्‍हें कानूनी पहलू के कारण रद नहीं किया जा सकता है। करीब 5 घंटे तक चली बैठक के दौरान रावत ने बेअदबी, ड्रग्स, ट्रांसपोर्ट, बिजली समझौते, कृषि कानून आदि पर लंबी चर्चा की। बैठक के बाद रावत कैप्टन से काफी संतुष्ट नजर आए।

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रावत बाेले- पंजाब के कांग्रेस नेता मी‍डिया के माध्‍यम से बात नहीं रखे, पार्टी में रखें अपने विचार

इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि पार्टी के नेताओं को अपनी बात मीडिया के माध्‍यम की बजाए पार्टी के मंच पर रखना चाहिए। मैं यदि मीडिया में पार्टी के अंदरूनी मामलों पर बात नहीं करता हूं तो पंजाब कांग्रेस के हमारे सहयोगियों को भी ऐसा ही करने की उम्‍मीद रखता हूं।

कैप्टन के सुर में सुर मिलते नजर आए रावत, माने, बिजली समझौते रद्द नहीं हो सकते

नवजोत सिद्धू द्वारा निजी थर्मल प्लांटों के समझौते रद्द करने के उठाए जा रहे मुद्दे को लेकर रावत ने स्पष्ट किया कि ये समझौते रद्द नहीं किए जा सकते है, क्योंकि इसमें कई कानूनी पहलू है। अन्य मुद्दों पर भी रावत कैप्टन के सुर से सुर मिलाते हुए नजर आए।

चंडीगढ़ में पत्रकारों से बात करते हरीश रावत। (एएनआइ)

नवजोत सिंह सिद्धू और कुछेक मंत्रियों द्वारा सरकार के कामकाज को लेकर उठाए जा रहे सवालों पर स्थिति को स्पष्ट करने के लिए मुख्यमंत्री ने डीजीपी दिनकर गुप्ता, एसटीएफ प्रमुख हरप्रीत सिद्धू और एडवोकेट जनरल अतुल नंदा की भी हरीश रावत के सामने पेशी करवाई। इन अधिकारियों ने प्रदेश प्रभारी को कानूनी व तकनीकि पहलुओं से अवगत करवाया।

अहम बात यह है कि जिस समय रावत मुख्यमंत्री के साथ बैठक कर रहे थे, तब सिद्धू दिल्ली पहुंच चुके थे। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि सिद्धू दिल्ली क्यों गए हैं। सिद्धू ने एक दिन पहले ही रावत के साथ करीब 3 घंटे तक बैठक की थी। इस बैठक के दौरान रावत ने सिद्धू को दो टूक कहा था कि वह संगठन का काम करें और सरकार को अपना काम करने दे। सरकार के काम में वह दखलंदाजी न करें। वहीं, रावत का यह भी कहना है कि अगर संगठन और सरकार एक साथ चलेगी तो 2022 में कांग्रेस की सरकार बनेगी। अगर ऐसा नहीं होता है तो पार्टी को नुकसान होगा।

वहीं, मुख्यमंत्री से मुलाकात के उपरांत रावत ने स्पष्ट किया कि बिजली समझौता रद्द नहीं किया जा सकता है। क्योंकि पानी समझौता दो राज्यों के बीच में था। जबकि बिजली समझौते में तीन पक्ष है। केंद्र, राज्य और प्राइवेट कंपनी।

हरीश रावत ने कहा कि पंजाब सरकार ने प्राइवेट बिजली कंपनियों से खरीद समझौतों को लेकर कुछ कदम उठाए हैं और आगे इस दिशा में कार्य किया जा रहा है। उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के साथ बैठक के बाद कहा कि उन्‍होंने सीएम से आग्रह किया है कि तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के बारे में राज्‍यपाल से मिलें और पंजाब सरकार की चिंताओं से अवगत कराएं।

मुख्यमंत्री से मुलाकात के उपरांत रावत ने स्पष्ट किया कि बिजली समझौता रद नहीं किया जा सकता है। पानी समझौता दो राज्यों के बीच में था। जबकि बिजली समझौते में तीन पक्ष है। केंद्र, राज्य और प्राइवेट कंपनी। समझौता कानूनी रूप से वैध है। हालांकि रावत ने कहा कि सरकार को कुछेक मदों को रद करके लोगों को सस्ती बिजली दिलवानी चाहिए। वहीं, ड्रग्स वाले मामले में रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें बताया कि ड्रग्स के खिलाफ राज्य बड़ी लड़ाई रहा है। लेकिन, पार्टी और मंत्रियों की इच्छा हाईकोर्ट में ड्रग्स को लेकर जो रिपोर्ट सौंपी गई है, सरकार को उसे जल्द से जल्द खुलवाने की कोशिश करनी चाहिए।

बेअदबी मामले को लेकर रावत काफी संजीदा नजर आए। उन्होंने कहा कि यह संवेदनशील मामला है। हाईकोर्ट ने एसटीएफ और एसटीएफ की रिपोर्ट को खारिज किया है। अत: इस संवेदनशील मामले को सरकार पूरी संजीदगी से हल करके लोगों से किया अपना वायदा पूरा करे।

चार मंत्रियों द्वारा मुख्यमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रकट करने के मुद्दे पर रावत ने कहा, उनकी इस संबंध में मुख्यमंत्री से चर्चा हुई। उन्होंने मंत्रियों की आशंकाओं से मुख्यमंत्री को अवगत करवा दिया है। अब मुख्यमंत्री पर है कि वह कैसे अपने मंत्रियों की नाराजगी दूर कर सकते है। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि रावत ने मुख्यमंत्री के समक्ष नाराज मंत्रियों के को कुछ अहम विभाग देने का भी सुझाव दिया।

कृषि कानूनों को लेकर सिद्धू द्वारा उठाए जा रहे सवालों के संबंध में रावत ने कहा कि पंजाब सरकार ने इन कानूनों को रद करने के लिए विधानसभा में बिल पास किए हैं। इन्हीं बिलों को आधार बनाकर कई अन्य राज्यों ने कानून बनाएं है। कांग्रेस सरकार हमेशा ही किसानों के साथ खड़ी रही है। तीन कृषि कानून रद्द होने चाहिए। वहीं ट्रांसपोर्ट को लेकर भी रावत ने मुख्यमंत्री से चर्चा की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि ट्रांसपोर्ट परमिट को लेकर कानूनी राय ले रहे है। जल्द ही इसका समाधान कर दिया जाएगा।

जलियांवाला बाग के वास्तविक स्वरूप में छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए

जलियांवाला बाग में हुए नवीनीकरण को लेकर राहुल गांधी और कैप्टन अमरिंदर सिंह के विचारों में विरोधाभास के मामले में हरीश रावत भी कूद गए हैं। रावत ने कहा कि राहुल और कैप्टन के विचारों में कोई विरोधाभास नहीं है। दोनों ही नेताओं के अपने-अपने विचार है। साथ ही उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग की वास्तविकता के साथ कोई भी छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए।

बता दें कि मंगलवार को राहुल गांधी ने इस नवीनीकरण को लेकर ट्वीट कर इसे शहीदों का अपमान बताते हुए लिखा था कि जलियांवाला बाग के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता। वहीं, राहुल के उलट मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि मुझे नवीनीकरण में कुछ भी गलत नहीं नजर आता।

कल नवजोत सिंह सिद्धू के साथ हुई भी रावत की बैठक

बता दें कि हरीश रावत पंजाब कांग्रेस में मचे घमासान के मद्देनजर मंगलवार को चंडीगढ़ आए थे। मंगलवार को रावत ने पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष नवजाेत सिंह सिद्धू और कार्यकारी प्रधानाें के साथ बैठक की। इस बैठक में पंजाब कांग्रेस के महासचिव परगट सिंह भी मौजूद थे। बताया जाता है कि इस बैठक में नवजोत सिंह सिद्धू ने आक्रामक तेवर दिखाए थे। सिद्धू ने रावत के समक्ष भी बिजली , नशा और किसानों का मुद्दा उठाया था। सिद्धू ने यहां तक कह दिया था कि यदि ये मुद्दे हल नहीं हुए तो उनका पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष बने रहने का कोई औचित्‍य नहीं है।


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