समायरा बोलीं- MeToo जैसी घटनाएं महज कहानियां नहीं, ये सच है...
मीटू जैसी घटनाएं महज कहानियां नहीं हैं। ये सच है। फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे लोग हैं, जो काम के बदले मॉडल्स और एक्ट्रेस को कांप्रोमाइज करने के लिए कहते हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। मीटू जैसी घटनाएं महज कहानियां नहीं हैं। ये सच है। फिल्म इंडस्ट्री में ऐसे लोग हैं, जो काम के बदले मॉडल्स और एक्ट्रेस को कांप्रोमाइज करने के लिए कहते हैं। मैं खुद इस अनुभव से गुजरी हूं। मगर मैंने ऐसी परिस्थितियों से निपटना सीख लिया है। बेहतर हैं कि हर एक्ट्रेस और मॉडल्स ऐसे निर्माता और निर्देशकों की असलियत भी सामने लाए। एक्ट्रेस और मॉडल समायरा संधू ने कुछ इन्हीं शब्दों में मीटू मूवमेंट पर बात की।
समायरा वह पंजाब यूनिवर्सिटी के फैशन और डिजाइनिंग डिपार्टमेंट में स्टूडेंट्स के साथ बातचीत करने पहुंचीं। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री में इन दिनों काम करने के लिए कई क्षेत्र खुल गए हैं। ऐसे में युवा डिजाइनर और मॉडल्स के लिए काफी मौके हैं। इंडस्ट्री में जाते हुए हमेशा पहले अपनी कमजोरियों पर काम करना चाहिए। अकसर देखा गया है कि युवा मुबंई जाकर भटक जाते हैं। वो ये याद नहीं रखते कि इस शहर में वो क्यों आए हैं। ऐसे में मुंबई जाएं, तो हमेशा अपने गोल्स को याद रखें।
थिएटर करते हुए ठान लिया था कि एक्ट्रेस बनना है
समायरा ने कहा कि उन्होंने पटियाला में अपना बचपन बिताया, वहां रहते हुए कई पंजाबी नाटकों में अभिनय किया। ऐसे में एक्टिंग के प्रति एक विशेष आकर्षण पैदा हुआ। मगर घर वाले मुझे पढ़ाई के क्षेत्र में आगे बढ़ने को कहते। इसी वजह से बाबा फरीद यूनिवर्सिटी से बीटेक की डिग्री ली। फिर हैदराबाद से एमबीए की शिक्षा ली। यहां आने तक मैं अभिनय से थोड़ा दूर रही। मगर एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्य करने के दौरान मैंने मॉडलिंग के लिए ऑडिशन दिए। बस इसके बाद मुझे काफी ऑफर्स आने लगे। इसके बाद मुझे तमिल और तेलगू फिल्म में काम मिला।
समायरा का कहना है कि मेरे लिए सबसे बड़ी कामयाबी मुंबई में घर लेना था। चंडीगढ़ में भी घर है, तो ऐसे में अकसर अपने घर आ जाया करती हूं। इन दिनों पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री भी काफी बड़ी हो गई है, मगर अफसोस यहां महिलाओं से जुड़ा सिनेमा अभी बहुत कम है। जो सिनेमा बन भी रहा है, तो उसमें एक्ट्रेस के लिए ज्यादा काम नहीं है। हां, आने वाले समय में इसका भविष्य जरूर अच्छा है।