MCM College चंडीगढ़ में वेबिनार, स्टूडेंट्स को दी ईएसजी इनवेस्टमेंट और म्यूचुअल फंड की जानकारी
मेहर चंद महाजन डीएवी कॉलेज फॉर वुमेन सेक्टर-36 के स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग ने एनवायरमेंटल सोशल एंड कॉर्पोरेट गवर्नेंस (ईएसजी) निवेश और म्यूचुअल फंड पर एक ऑनलाइन इंटरेक्टिव सत्र आयोजित किया। इसमें छात्राओं को ईएसजी इनवेस्टमेंट और म्यूचुअल फंड के बारे में जानकारी दी गई।
चंडीगढ़, जेएनएन। मेहर चंद महाजन डीएवी कॉलेज फॉर वुमेन सेक्टर-36 के स्नातकोत्तर वाणिज्य विभाग ने एनवायरमेंटल, सोशल एंड कॉर्पोरेट गवर्नेंस (ईएसजी) निवेश और म्यूचुअल फंड पर एक ऑनलाइन इंटरेक्टिव सत्र आयोजित किया। स्वच्छ भारत अभियान के तहत आयोजित इस सत्र में पीजीआइएम इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट सुमित महाजन मुख्य अतिथि तौर मौजूद रहे।
सत्र में कॉलेज की 50 से ज्यादा छात्राओं और 13 संकाय सदस्यों ने भाग लिया। सत्र का आयोजन प्रतिभागियों को भविष्य में बेहतर लाभ प्राप्ति के लिए निवेश और इससे संबंधित उपयोगी जानकारी देना था। विशेषज्ञ ने ईएसजी निवेश की अवधारणा की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला, जिसे आमतौर पर जिम्मेदार निवेश के रूप में भी जाना जाता है। सत्र के दौरान पारंपरिक निवेश के स्थान पर स्थायी निवेश पर जोर दिया गया।
सुमित महाजन ने सत्र के दौरान कुछ प्रासंगिक और हाल के बाजार के आंकड़ों को साझा किया, जिसमें निवेशकों के साथ-साथ उद्योग के लिए स्थिरता संबंधी कारकों के बढ़ते महत्व पर जोर दिया गया। ताजा आंकड़ों का हवाला देते हुए विषेशज्ञ ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में लॉन्च किए गए ईएसजी-थीम वाले म्यूचुअल फंड ने अपने बेंचमार्क सूचकांकों को बेहतर बनाया है और जो कंपनियां ईएसजी मानदंडों का पालन कर रही हैं, वे उन लोगों से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं, जो स्थिरता के उपायों का पालन नहीं कर रहे हैं।
कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. निशा भार्गव ने पीजी डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि कॉलेज न केवल अपने हितधारकों में स्थिरता की अवधारणा को विकसित करने के लिए आयोजन करता है बल्कि संगठनात्मक स्तर पर विभिन्न स्थायी पहल भी करता है।
उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि कि ईएसजी म्यूचुअल फंड में निवेश के लाभों के बारे में जानकारी उनके वास्तविक निवेश निर्णय लेने के दौरान प्रतिभागियों के लिए महत्वपूर्ण होगी। आज के समय में खुद के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए म्यूचल फंड की इन्वेस्टमेंट अनिवार्य है। इसकी जरूरत छोटी उम्र में ही युवाओं को कर देनी चाहिए जो कि उनकी सेवानिवृति के समय तक हर जरूरतों को पूरा करने के काबिल होनी चाहिए।