सीवरेज सेस कम करने का प्रस्ताव कमिश्नर की आपत्ति के साथ प्रशासन को भेजा
नगर निगम के पार्षदों ने जो सीवरेज सेस 30 से कम करके पांच फीसद प्रस्ताव पास किया था वह प्रस्ताव कमिश्नर केके यादव की आपत्ति के साथ प्रशासन को मंजूरी के लिए भेज दिया है। मई माह की सदन की बैठक में पार्षदों ने यह प्रस्ताव पास किया था। मालूम हो कि बढ़े हुए रेट पर पहले ही प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने अगले साल मार्च माह तक रोक लगा दी है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : नगर निगम के पार्षदों ने जो सीवरेज सेस 30 से कम करके पांच फीसद प्रस्ताव पास किया था वह प्रस्ताव कमिश्नर केके यादव की आपत्ति के साथ प्रशासन को मंजूरी के लिए भेज दिया है। मई माह की सदन की बैठक में पार्षदों ने यह प्रस्ताव पास किया था। मालूम हो कि बढ़े हुए रेट पर पहले ही प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने अगले साल मार्च माह तक रोक लगा दी है।
वहीं, नगर निगम के अधिकारी सीवरेज सेस को कम करने के पक्ष में नहीं है क्योंकि इससे नगर निगम का घाटा काफी बढ़ा जाएगा। इस समय पानी की सप्लाई से पहले ही नगर निगम को सलाना एक अरब रुपये से ज्यादा का घाटा है। जानकारी के अनुसार इस समय सीवरेज सेस से 42 करोड़ की आमदनी निगम को हो रही है। इंजिनियर विंग के अनुसार इसे कम कर पांच फीसद कर दिया जाता है तो यह आमदनी सिर्फ छह करोड़ रह जाएगी। वहीं, सीवरेज सेस कम करने का प्रस्ताव तभी लागू होगा जब प्रशासन इस पर मंजूरी देगा। साल 2018 में तत्कालिन मेयर देवेश मोदगिल के कार्यकाल में सदन ने कुल पानी के बिल पर 30 फीसद सीवरेज सेस चार्ज करने का प्रस्ताव पास किया था। इस समय शहर में पानी के रेट का मुद्दा बना हुआ है। भाजपा पार्षद आने वाले नगर निगम चुनाव को देखते हुए सीवरेज सेस कम करना चाहती है। अगर प्रशासन इस पर मंजूरी दे देता है तो शहरवासियों के लिए यह एक बड़ी राहत माना जाएगा। मई माह में पार्षद अरुण सूद की सिफारिश पर यह प्रस्ताव पास किया गया था कि जो बढ़े हुए रेट पर पिछले साल अधिसूचना जारी की गई थी उसे पूरी तरह से खारिज किया जाए।बढ़े हुए रेट अगले बिलों में एडजस्ट किए जाएं। कमिश्नर केक यादव का कहना है कि इससे नगर निगम का वित्तीय नुकसान बढ़ेगा। जबकि कांग्रस पार्षदों की मांग है कि पानी के बढ़े हुए रेट पर स्थायी तौर पर ही रोक लगनी चाहिए। भाजपा नेताओं का दावा है कि सीवरेज सेस कम करने के लिए एक बार प्रशासक से मिला जाएगा।
Edited By Jagran